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Friday, December 17, 2010

विस्तरित बातचीत वरिष्ठ पत्रकार और टोटल टीवी के संपादक श्री उमेश चन्द्र जोशी जी से

     "आप सत्य के साथ समाज हित की लड़ाई लड़ोगे तो सफलता आपके साथ हमेशा चलेगी " ये कथन है वरिष्ट पत्रकार और टोटल टीवी के संपादक श्री उमेश चन्द्र जोशी जी का | ११ दिसम्बर सुबह सुबह मिलने का वक्त तय किया था श्री जोशी जी ने,और मै ने उन्हें सुबह सुबह ही घेर लिया मै पहुंचा तब वे ठीक से तैयार भी नहीं हो पाए थे |
ऊर्जा वान जोशी जी मुस्कराते हुए 


     जोशी जी अपनी भतीजी की शादी में पिलानी(जिला -झुंझुनू (राज.) आये हुए थे | मेरी उनसे फोन पर बातचीत हुई थी मेरी प्रार्थना पर उन्होने मुझे मिलने का समय दिया  | और मै ठहरा एक हिन्दी ब्लोगर मौक़ा कैसे चुकता सो मैं  फ़टाफ़ट उनसे मिलने पहुच गया | हालांकि पिलानी आगमन उनका पारिवारिक कार्यक्रम था सो किसी पत्रकार को खबर ना कर के अकेले ही इस सुअवसर का लाभ उठा लेना उचित समझा |

     श्री जोशी जी की पैदाइश राजस्थान के अलवर जिले में नायसराना नामक गाँव की है | नायसराना में उस समय विधा अध्ययन करना बहुत ही कठिन काम था | जमीन पर बैठना पड़ता था अपने घर से बोरी या चटाई लेकर जाना पड़ता था स्कूल की छत फूस की थी जो बारिश के समय चुने लग जाती थी | मजबूरन बरसात के दिनों में छुट्टी करनी पड़ती थी | ये बताते हुए जोशी जी अतीत में खो जाते है | और अपने भाईयो की तरफ इशारा करते हुए गर्व से बताते है की ये लोग भी उसी स्कूल से निकले हुए है | जिनमे एक भाई आजकल आर्थोपेडिक सर्जन है जयपुर रहते है ,एक वकील है जो कोटपुतली में रहते है | एक भाई लक्ष्मीनारायण झुंझुनू वाला ग्रुप में मैनेजर है | एक भाई सरकारी वैध की पोस्ट से रिटायर हो गए है और आजकल गाँव में ही दवा दारू करते है | जोशी जी ने बहुत आत्मीयता के साथ अपने परिवार जनों से मेरा परिचय करवाया | परिवार के लोग बहुत ही मिलन सार है |
फोन में कुछ ढूंढते हुए जोशी जी 
     जोशी जी ये बात बताते हुए रोमांच से भर जाते है की वे हिन्दुस्तान के पहले  ऐसे व्यक्ति है जिन्होंने रेडियो ,टीवी ,और अखबार तीनो माध्यमो में काम किया है | २९ साल से कैमरे का सामना कर रहे है | जनसत्ता में उन्हें २१ साल का कार्यानुभव रहा है | रेडियो में १५-१६ साल काम किया है और टीवी में १९८१ में समाचार वाचन का काम किया | १९८४ में उन्होंने आकाशवाणी में समाचार वाचक का काम शुरू किया | उद्घोषक के तौर पर काफी पहले ही काम करना शुरू कर चुके थे | ये बताते हुए जोशी जी फिर अतीत में खोने लग जाते है |वे बताते है की समय की पाबंदी और आवाज का सामंजस्य उन्होंने आकाशवाणी में सीखा था | वहा उस समय रिताशु भादुड़ी नामके एक दिग्गज थे जिन्होंने मुझे माइक्रोफोन पकडना सिखाया और सांस कैसे लेना है कब रूकना है कब बोलना है, मुह से माइक की दूरी कितनी होनी चाहिए ये सब उन्होंने सिखाया जो आज भी काम आ रहा है |

     एकरिंग के अलावा मैंने कई डॉक्यूमेंट्री फिल्मे भी बनाई है | लेकिन समय अभाव के कारण अब ये काम नहीं कर पाता हूँ भविष्य में समय मिल पाया तो इस काम को आगे बढ़ाऊंगा |

     पत्रकारिता के बारे में पूछने पर बताते है की वो जनसत्ता से काफी समय से जुड़े रहे है | एक्सप्रेस ग्रुप में काम करके उन्हें काफी अनुभव हुआ है | जनसत्ता में पत्रकारों का चयन बहुत ही कठिन परीक्षणों के बाद होता है | वहां जो भी काम कर लेता है वो इस क्षेत्र में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखता है | इस ग्रुप की काम करने की शैली स्पष्टवादिता की रही है |   यंहा के बारे में बताते हुए जोशी जी कहते है की मैंने स्वर्गीय प्रभाष जोशी के समय में काम किया है | प्रभाष जी कहते थे की आप का काम है न्यूज लाना और विज्ञापन विभाग का काम है विज्ञापन लाना | जिसका विज्ञापन लगा है और उसके खिलाफ भी कुछ लिखना पड़े तो उस विज्ञापन के बाजू में बेहिचक छाप दो ज्यादा ज्यादा ये होगा की अगली बार विज्ञापन नहीं देगा लेकिन सच्चाई से मुह तो नहीं मोडोगे | प्रभाष जी ने कभी भी किसी पत्रकार की कोइ भी खबर छपने से नहीं रोकी भले ही वो किसी के भी विरूद्ध क्यों ना हो |ये मेरा सौभाग्य है की मै आज तक जिन संस्थानों में काम किया है वहां मेरे ऊपर किसी का अनावश्यक दबाव नहीं रहा है यही वजह है की मै आज तक अपनी बात खुल कर कहता आया हूँ |

     पत्रकारिता के वर्तमान हालात पर चर्चा करते हुए वे बताते है की बहुत दुःख होता है जब किसी व्यक्ति से परिचय कराया जाता है और यह क़हा जाता है की इनसे मिलिए ये फला साहब है और बहुत ही इमानदार है | क्यों की इमानदार होना मनुष्य का पहला गुण होना चाहिए | ईमानदारी तो इनबिल्ट होती है उसे उस के लिए परिचय में जोड़ने की क्या जरूरत है | एक पत्रकार के लिए ईमानदार होना पहली जरूरत है | अगर आपको बेईमानी ही करनी है तो आप पत्रकारिता का पेशा क्यों चुनते है दूसरा ही कोइ व्यवसाय चुन कर करे | इस पेशे में ना आये तो ही बेहतर है | अगर शराब बेचना है तो विटामिन का लेबल लगाकर ना बेचे उसे शराब के ही रूप में बेचे | दलाली ही करनी है तो पत्रकार ना बने, दलाल ही बने | हमारे समाज को पत्रकारों से बड़ी आस है मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ समझा जाता है | अगर तीनों स्तंभों पर अंकुश रखने वाला चौथा स्तम्भ ही भ्रष्ट हो जाएगा तो लोकतंत्र का क्या होगा  | मै गरीबी से ऊपर उठकर आया हूँ उसी ग्रामीण समाज से हूँ | जो आज अभावो को झेल रहा है | आज उसके लिए आवाज उठाना ही मेरी प्राथमिकता है |

     जब मैने उनसे ये जानना चाहा की आप कैमरे के सामने होते है या लिखते है तब आपकी राजनैतिक विचारधारा का प्रभाव कभी आपके ऊपर हावी नहीं होता ये चीज कैसे संभव होती है ? जवाब में वे कहते है की जब मै प्रोग्राम कर रहा होता हूँ तो मेरे सामने हमेशा आम आदमी का हित और सच्चाई ही सर्वोपरि होता है ना की मेरी राजनैतिक विचारधारा | मै जिस पार्टी को चाहता हूँ अगर उस पार्टी के द्वारा भी कुछ गलत हुआ है तो मै उसकी भी बुराई करने में नहीं हिचकता हूँ |

      जोशी जी से परिवार के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया की उनके तीन बेटियाँ है | एक बेटी जिसका नाम विधा लाल है वो कत्थक की राष्ट्रीय स्तर की डांसर है | उसके पति भी उसके साथ परफोर्म करते है वर्तमान में फीजी में रहते है  | दूसरी बेटी साक्षी जोशी है जो पहले यहां स्थानीय न्यूज चैनल में काम करती थी आजकल बी बी सी में काम करती है |  तीसरी बेटी ने एम् बी ए किया है और अपनी गृहस्थी में मस्त है| (नीचे वीडियो में आप उनकी लड़की विधा लाल को फीजी में परफोर्म करते हुए देख सकते है ) 

     मैंने उनसे हिन्दी बलोग के बारे में पूछा तो उन्होंने क़हा की ये माध्यम भी आजकल अपनी आवाज को समाज के दुसरे वर्गों तक पहुंचने का जरिया बन गया इसमें दोनों तरफ से प्रतिक्रिया मिल जाती है |आपके लिखे जाने का प्रभाव तुरंत पता चल जाता है | मैंने भी अपनी बात कहने के लिए एक ब्लॉग बनाया था जिस पर आजकल समयाभाव की वजह से कोइ पोस्ट नहीं का पा रहा हूँ |

     इस उम्र में उनकी एनर्जी का राज भी उन्होंने मरे पूछने पर जाहिर कर दिया | वे कहते है सुबह चार बजे उठता हूँ चार गिलास पानी पीकर ६ किलोमीटर की सैर पर निकल जाता हूँ | वापस आकर आधे घंटे प्राणायाम करता हूँ | और ये दैनिक कार्यक्रम का हिस्सा ही मेरी ऊर्जा का राज है |

     मै जोशी जी का प्रशंसक कैसे बना इसके बारे में भी बताता चलू की जोशी जी को मै टोटल टीवी पर रोजाना शाम को ८ बजे से ९ बजे तक उनके एक कार्यक्रम मूड ऑफ इंडिया में देखता हूँ | एक समाचार वाचक खबर पढता है उसके बाद वो उस पर जोशी जी से प्रतिक्रिया पूछता है और जोशी जी उस खबर का सारा गुना भाग समझाते है | ऐसा लगता है जैसे वाचक ने उस खबर को लाल रंग के प्याज की शक्ल में थमाया हो और जोशी जी उसकी परत दर परत उतार कर उस लाल रंग के प्याज को छोटे से सफेद प्याज में बदल देते है | आखिर में जब खबर का सार निकल कर सामने आता है तब वो खबर इस प्रकार की खबर बन जाती है जिसका सरोकार समाज एवं आम आदमी से होता है | जोशी जी की ये ख़ासियत दूसरों से अलग करती है |

     समय काफी हो गया था(लगभग ४ घंटे ) उनके परिवार वाले भी विवाह की रस्मो के लिए उन्हें बुलवा रहे थे सो मेंने फिर मिलने का वादा लिया उन्हें अपने गाँव आने का निमंत्रण दिया और विदा ली | वो मुझे छोड़ने बाहर तक आये |
जोशी जी का ब्लॉग  है -: मुझे बोलने दो http://mujhebolnedo.blogspot.com

8 comments:

  1. नरेश जी जोशी जी के बारे में विस्तृत जानकारी मुहैया करवाने के लिए आपको भी बहुत बहुत धन्यवाद आपने इस हिन्दी ब्लॉग जगत के लिए इस सर्दी के मौसम में 40-45 कि.मी का सफर प्रातः प्रातः करके ये जानकारिया इक्ट्ठा की इसके लिए आपका आभार

    जोशी जी को उनके इस लम्बे केरियार व अपने नियमों पर अडिग रहने व इमानदारी से अपने कार्य को निभाने के लिए बहुत बहुत बधाईया

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  2. जोशी जी की बाते बहुत अच्छी लगी,आप का धन्यवाद जोशी जी से मिलवाने के लिये

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  3. जोशी जी के बारे में विस्तृत जानकारी मुहैया करवाने के लिए आपको भी बहुत बहुत धन्यवाद

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  4. अरे ! उमेश जी की उम्र तो बहुत ज्यादा दिखने लगी.

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  5. Naresh ji ,umesh ji ke bare me jaankar bahut achchha laga .ab tak to unhe TV par hee dekhate the apke madhym se unhe najdeek se jaane ka avshar mila hai. thanks

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  6. आदरणीय नरेश जी
    नमस्कार
    आपकी जानकारी बहुत कुछ सिखा गयी ....जोशी जी के बारे में बहुत कुछ पता चला ....आपका आभार

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  7. जोशी जी से पहले वाले प्रभाष जोशी और उनके जीवन मूल्यों की याद हो आयी -अच्छा लगा इन जोशी जी से भी मिलकर

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