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Sunday, May 15, 2011

महंगाई होने का कारण बकौल गट्टू हलवाई

            महंगाई पर हर जगह हर समय चर्चा रहती है | ये टोपिक ऐसा है कि आजकल गर्मी बहुत ज्यादा है कहने के बाद इसी का नंबर आता है | मै जब भी गट्टू के पास कुछ मिठाई वगैरा लेने जाता हूँ , तो वो हमेशा मिठाई के महंगे होने का कारण गिना देता है जो शायद  आप भी जानना चाहेंगे | 

           कुछ साल भर पहले की बात है गट्टू ने लड्डू के भाव 40 रूपये किलो से बढा कर 50 रूपये कर दिए | कारण पूछने पर बताया कि आजकल चीनी के भाव बहुत बढ़ गए है 45 रूपये किलो से भी ऊपर चल रहे है इसलिए मजबूर होकर भाव बढ़ाना पड़ा |

           चार एक महीने बाद बाजार में चीनी के दाम कम हो गए चीनी 45 रूपये की जगह 30 रूपये किलो हो गयी | मैंने सोचा कि गट्टू ने अब लड्डू सस्ते किये होंगे | उससे भाव पूछा तो बताया कि आजकल दाल के भाव आसमान छु रहे है | बेसन का भाव 35 रूपये से बढ़ कर 45 रूपये हो गया है इस लिए लड्डू के भाव 60 रूपये किलो हो गए  है |

           मान सून की मेहरबानी  से दाल के भाव कम हो गए बेसन भी 30 रूपये किलो हो गया चीनी भी सस्ती हो गयी लेकिन गट्टू के लड्डू 70 रूपये किलो हो गए पूछने पर बताया कि वेजिटेबल घी 45 रूपये किलो से बढ़ कर 70 रूपये किलो हो गया है |
 
           अब सुनने में आया है कि पेट्रोल के बाद गैस में आग लगनेवाली है | सिलेंडर के दाम बढ़ने वाले है तो गट्टू की नयी रेट में लड्डू 100 रूपये किलो होने वाला है | लेकिन गट्टू  हमारी एक बात का जवाब ठीक से नहीं दे पाया कि जलेबी बनती है 15 रूपये किलो वाली मैदा से और लड्डू उस्से दुगने भाव वाले बेसन से फिर भी दोनों के भाव बराबर कैसे है ?

              क्या आपके समझ में आता है  ये अर्थशास्त्र ! शायद गट्टू कि इस जलेबी की ही तरह टेढा है !


अपने काम में मगन गट्टू 

Tuesday, May 10, 2011

शेखावाटी का जन स्वास्थ्य और बकरी का धीणा

           आप सोच रहे होंगे कि जिस शब्द का मतलब हिन्दी भाषी लोग नहीं जानते उस शब्द का प्रयोग मैंने क्यों किया इसका कारण ये है कि ये शब्द यंहा शेखावाटी में बोलचाल में बहुत प्रयोग किया जाता है | धीणा शब्द का अर्थ है दुधारू पशुधन | बचपन में जब मै इधर उधर रिश्तेदारी में जाता था तब वंहा मुझसे कुछ कोमन से प्रश्न किये जाते थे जिनका क्रम इस प्रकार से रहता था | पहला सवाल बुजुर्गो के स्वास्थ का हालचाल से सम्बन्धित होता था दूसरा रोजी रोटी से सम्बंधित जैसे कि आपके पापाजी क्या करते है , आपके भाई साहब क्या काम धंधा करते है वगैरा वगैरा तीसरा सवाल उनका ये धीणा से सम्बंधित होता था कि दूध का सोर्स क्या है ? बच्चो की पढाई लिखाई के प्रश्नों का नम्बर बाद में आता था | आजकल वस्तु स्थिति में बदलाव आ गया है | पढाई लिखाई के सवाल पहले किये जाते है कौनसा बच्चा किस कक्षा में पढता है ये पहले जानना चाहते है |

             शेखावाटी में दूध हेतु गाय ,भैस ,बकरी का पालन किया जाता है | इनमे सबसे ज्यादा बकरी पालन किया जाता है | यंहा के गाँवों में बकरीयो की संख्या बहुत है | झुंझुनू ,नवलगढ ,मंडावा विधानसभा क्षेत्रो में बकरी पालन ज्यादा किया जाता है | अगर स्वास्थ्य की बात की जाए तो सबसे ज्यादा निरोगी व्यक्ति भी इन्ही क्षेत्रो के है | मै ने इन क्षेत्रो के स्वास्थ्य के अच्छे होने के कारण के बारे में काफी खोज बीन की तो पाया कि ये सब बकरी पालन की वजह से है | ग्राम  स्वरूप सिंह की तोगडा(त.नवल गढ़ )  में मेरी रिश्तेदारी है वंहा मेरा आना जाना रहता है |वंहा  के बारे में मैंने विश्लेषण किया तो पाया कि वंहा हर घर में बुजुर्गो कि आयु 80 साल से ऊपर है  | किसी को भी रक्तचाप ,मधुमेह ,ह्र्दय रोग संबंधी कोइ बीमारी नहीं है | उस गाँव का अभी तक का रिकार्ड है कि वंहा कोइ भी अकालमौत(जवान मौत ) किसी रोग कि वजह से नहीं हुई है समय से पहले यानी कि अकाल मौत एक दो अगर हुई है तो वो सुसाईड ,या एक्सीडेंट की वजह से ही हुई है | वंहा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र भी नहीं है एक बार एक कम्पाउन्डर साहब आये थे अपना धंधा जमाने के लिए लेकिन मरीजो के अभाव में वो भी थोड़े ही दिनों में चलते बने |  इस सब के पीछे कारण केवल बकरी का दूध पीना है | वंहा पूरे गाँव में भैस और गाय की संख्या नगण्य है | जबकि प्रत्येक घर में 8-10 बकरिया  है | कमोबेस बकरी पालन की यही स्थिति इस क्षेत्र के सभी गाँवो की है |


ये है हमारी बकरी और उसकेस्तनपान करते बच्चे 







नटखट बच्चे 

          
           बकरी का दूध बहुत गुणकारी होता है इस बात को दिल्ली एम्स के डॉक्टरों ने भी माना है | पिछले दिनों भास्कर में एक खबर आयी थी कि दिल्ली में डेंगू का जब प्रकोप हुआ तो वंहा बकरी का दूध चार सौ रूपये किलो में भी नहीं मिल पाया | मरीजो की रोगप्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि के लिए बकरी का दूध बहुत सहायक सिद्ध हुआ है जिसका कारण बकरी का जंगली वनस्पति का खान पान  होना और इसके दूध का सुपाच्य होना भी है | गांधी जी भी बकरी के दूध के सेवन पर जोर देते थे | बकरी का दूध केलोस्ट्रोल को कम करता है और ह्रदय को मजबूत बनाता है | स्मरण शक्ति को भी बढाता है 
अब मै आपको यह भी बता दू कि मै खुद भी बहुत बर्षो से बकरी का पालन कर रहा हूँ और इसके दूध का उपयोग कर रहा हूँ इस लिए मेरा स्वास्थ्य भी उपर वाले की मेहरवानी से अच्छा है |


Tuesday, May 3, 2011

अपने नाम को सार्थक करता एक बलोग ---जुगाड

अंतर्जाल पर भ्रमण करते करते ,जुगाडो की खोज करते करते इस जुगाड नामक ब्लॉग पर पहुचा | जैसा की नाम से जाहिर है ये कोइ विद्वान बलॉगर का तो बनाया हुआ हो ही नहीं सकता है | ये ब्लॉग बिना किसी तड़क भडक के है यानी की कोइ विजेट इस पर नहीं है | इस ब्लॉग में सारा मसाला दुसरे ब्लॉगों से उडाया हुआ है जो की ब्लॉग के शुरुआत में मोटे अक्षरों में लिखा हुआ भी है कि माल चोरी का है |

      खैर हमें चोरी और साहूकारी से क्या लेना देना मैने तो इसकी पोस्ट को देख कर आप लोगो से इसे साझा करने की सोची है | हिन्दी ब्लॉग बनाने वाले शुरुआती लोगो के बहुत से प्रश्न होते है उन सभी प्रशनो का यंहा समाधान शायद हो जाएगा | क्यों कि इसमें ब्लॉग की शुरुआत कैसे करते है पोस्ट कैसे लिखते है इस प्रकार की समस्त जानकारी जो ब्लॉग प्रवेशिका के नाम से संजीव भाई ने लिखी थी वो सभी पोस्ट यंहा है | अन्य हिन्दी के तकनीकी ब्लॉगों की सभी महत्वपूर्ण पोस्ट के लिंक यंहा दिए गए है | जैसे हिन्दी ब्लॉग टिप्स (आशीष भाई ) ,प्रतिभास (अनुनाद सिंह जी ),रचनाकार (रवी रतलामी जी )आरम्भ (संजीव तिवारी ) आदी | अगर आप भी किसी ब्लॉगर की सहायता करना चाहते है तो उसे इस ब्लॉग का लिंक पकड़ा कर चैन की बंसी बजा सकते है वो इसकी गलियों में ज्ञानार्जन करता रहेगा | क्यों कि जिस हिन्दी ब्लॉग के तकनीकी ज्ञान कि आवश्यकता उसे है वो सभी यंहा मिल जाएगा |

     अंत में आप यदि ये जाना चाहते है कि ये ब्लॉग किसका है तो वो मुझे भी पता नहीं है | क्यों कि एस प्रकार कि सूचना इस पर कही भी नहीं दी गयी है |