आप सोच रहे होंगे कि जिस शब्द का मतलब हिन्दी भाषी लोग नहीं जानते उस शब्द का प्रयोग मैंने क्यों किया इसका कारण ये है कि ये शब्द यंहा शेखावाटी में बोलचाल में बहुत प्रयोग किया जाता है | धीणा शब्द का अर्थ है दुधारू पशुधन | बचपन में जब मै इधर उधर रिश्तेदारी में जाता था तब वंहा मुझसे कुछ कोमन से प्रश्न किये जाते थे जिनका क्रम इस प्रकार से रहता था | पहला सवाल बुजुर्गो के स्वास्थ का हालचाल से सम्बन्धित होता था दूसरा रोजी रोटी से सम्बंधित जैसे कि आपके पापाजी क्या करते है , आपके भाई साहब क्या काम धंधा करते है वगैरा वगैरा तीसरा सवाल उनका ये धीणा से सम्बंधित होता था कि दूध का सोर्स क्या है ? बच्चो की पढाई लिखाई के प्रश्नों का नम्बर बाद में आता था | आजकल वस्तु स्थिति में बदलाव आ गया है | पढाई लिखाई के सवाल पहले किये जाते है कौनसा बच्चा किस कक्षा में पढता है ये पहले जानना चाहते है |
शेखावाटी में दूध हेतु गाय ,भैस ,बकरी का पालन किया जाता है | इनमे सबसे ज्यादा बकरी पालन किया जाता है | यंहा के गाँवों में बकरीयो की संख्या बहुत है | झुंझुनू ,नवलगढ ,मंडावा विधानसभा क्षेत्रो में बकरी पालन ज्यादा किया जाता है | अगर स्वास्थ्य की बात की जाए तो सबसे ज्यादा निरोगी व्यक्ति भी इन्ही क्षेत्रो के है | मै ने इन क्षेत्रो के स्वास्थ्य के अच्छे होने के कारण के बारे में काफी खोज बीन की तो पाया कि ये सब बकरी पालन की वजह से है | ग्राम स्वरूप सिंह की तोगडा(त.नवल गढ़ ) में मेरी रिश्तेदारी है वंहा मेरा आना जाना रहता है |वंहा के बारे में मैंने विश्लेषण किया तो पाया कि वंहा हर घर में बुजुर्गो कि आयु 80 साल से ऊपर है | किसी को भी रक्तचाप ,मधुमेह ,ह्र्दय रोग संबंधी कोइ बीमारी नहीं है | उस गाँव का अभी तक का रिकार्ड है कि वंहा कोइ भी अकालमौत(जवान मौत ) किसी रोग कि वजह से नहीं हुई है समय से पहले यानी कि अकाल मौत एक दो अगर हुई है तो वो सुसाईड ,या एक्सीडेंट की वजह से ही हुई है | वंहा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र भी नहीं है एक बार एक कम्पाउन्डर साहब आये थे अपना धंधा जमाने के लिए लेकिन मरीजो के अभाव में वो भी थोड़े ही दिनों में चलते बने | इस सब के पीछे कारण केवल बकरी का दूध पीना है | वंहा पूरे गाँव में भैस और गाय की संख्या नगण्य है | जबकि प्रत्येक घर में 8-10 बकरिया है | कमोबेस बकरी पालन की यही स्थिति इस क्षेत्र के सभी गाँवो की है |
बकरी का दूध बहुत गुणकारी होता है इस बात को दिल्ली एम्स के डॉक्टरों ने भी माना है | पिछले दिनों भास्कर में एक खबर आयी थी कि दिल्ली में डेंगू का जब प्रकोप हुआ तो वंहा बकरी का दूध चार सौ रूपये किलो में भी नहीं मिल पाया | मरीजो की रोगप्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि के लिए बकरी का दूध बहुत सहायक सिद्ध हुआ है जिसका कारण बकरी का जंगली वनस्पति का खान पान होना और इसके दूध का सुपाच्य होना भी है | गांधी जी भी बकरी के दूध के सेवन पर जोर देते थे | बकरी का दूध केलोस्ट्रोल को कम करता है और ह्रदय को मजबूत बनाता है | स्मरण शक्ति को भी बढाता है
अब मै आपको यह भी बता दू कि मै खुद भी बहुत बर्षो से बकरी का पालन कर रहा हूँ और इसके दूध का उपयोग कर रहा हूँ इस लिए मेरा स्वास्थ्य भी उपर वाले की मेहरवानी से अच्छा है |
शेखावाटी में दूध हेतु गाय ,भैस ,बकरी का पालन किया जाता है | इनमे सबसे ज्यादा बकरी पालन किया जाता है | यंहा के गाँवों में बकरीयो की संख्या बहुत है | झुंझुनू ,नवलगढ ,मंडावा विधानसभा क्षेत्रो में बकरी पालन ज्यादा किया जाता है | अगर स्वास्थ्य की बात की जाए तो सबसे ज्यादा निरोगी व्यक्ति भी इन्ही क्षेत्रो के है | मै ने इन क्षेत्रो के स्वास्थ्य के अच्छे होने के कारण के बारे में काफी खोज बीन की तो पाया कि ये सब बकरी पालन की वजह से है | ग्राम स्वरूप सिंह की तोगडा(त.नवल गढ़ ) में मेरी रिश्तेदारी है वंहा मेरा आना जाना रहता है |वंहा के बारे में मैंने विश्लेषण किया तो पाया कि वंहा हर घर में बुजुर्गो कि आयु 80 साल से ऊपर है | किसी को भी रक्तचाप ,मधुमेह ,ह्र्दय रोग संबंधी कोइ बीमारी नहीं है | उस गाँव का अभी तक का रिकार्ड है कि वंहा कोइ भी अकालमौत(जवान मौत ) किसी रोग कि वजह से नहीं हुई है समय से पहले यानी कि अकाल मौत एक दो अगर हुई है तो वो सुसाईड ,या एक्सीडेंट की वजह से ही हुई है | वंहा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र भी नहीं है एक बार एक कम्पाउन्डर साहब आये थे अपना धंधा जमाने के लिए लेकिन मरीजो के अभाव में वो भी थोड़े ही दिनों में चलते बने | इस सब के पीछे कारण केवल बकरी का दूध पीना है | वंहा पूरे गाँव में भैस और गाय की संख्या नगण्य है | जबकि प्रत्येक घर में 8-10 बकरिया है | कमोबेस बकरी पालन की यही स्थिति इस क्षेत्र के सभी गाँवो की है |
ये है हमारी बकरी और उसकेस्तनपान करते बच्चे |
नटखट बच्चे |
बकरी का दूध बहुत गुणकारी होता है इस बात को दिल्ली एम्स के डॉक्टरों ने भी माना है | पिछले दिनों भास्कर में एक खबर आयी थी कि दिल्ली में डेंगू का जब प्रकोप हुआ तो वंहा बकरी का दूध चार सौ रूपये किलो में भी नहीं मिल पाया | मरीजो की रोगप्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि के लिए बकरी का दूध बहुत सहायक सिद्ध हुआ है जिसका कारण बकरी का जंगली वनस्पति का खान पान होना और इसके दूध का सुपाच्य होना भी है | गांधी जी भी बकरी के दूध के सेवन पर जोर देते थे | बकरी का दूध केलोस्ट्रोल को कम करता है और ह्रदय को मजबूत बनाता है | स्मरण शक्ति को भी बढाता है
अब मै आपको यह भी बता दू कि मै खुद भी बहुत बर्षो से बकरी का पालन कर रहा हूँ और इसके दूध का उपयोग कर रहा हूँ इस लिए मेरा स्वास्थ्य भी उपर वाले की मेहरवानी से अच्छा है |
बकरी को धूप में क्यों बांध रखा है जी :)
ReplyDeleteप्रणाम
बकरी का धीणा तो वाकई काम का है एक तो बढ़िया स्वास्थ्यवर्धक दूध मिल जाता है और उसके मेमनों को बेचकर भी बढ़िया कमाई हो जाती है | यही नहीं बकरी तो गांवों का चलता फिरता फ्रिज है , दोपहर में या कभी भी घर पर मेहमान आ जाय झट से बकरी का दूध निकल लो चाय बनाने को |
ReplyDeleteआपका कहना सही है ........एक तरह से देखा जाए तो ....राजस्थान में वो काम धेनु का कार्य करती है |
ReplyDelete@अंतर सोहिल जी ,ये फोटो सर्दीयो का है इस लिए इसे धुप में बाँध रखा है |
ReplyDeleteबड़े गुण हैं बकरी में! अपना भोजन तलाशने में माहिर है वह! मुझे तो अपनी पोस्ट याद आ गयी - जोनाथन लिविंगस्टन बकरी!
ReplyDeletehttp://gyanduttpandey.wordpress.com/2008/10/27/jonathan-livingston-goat/
आप की बात से सहमत हुं, बचपन मे जब भी हम गांव जाते थे, तो उस समय सुबह सवेरे दादी मां गाय का दुध जब निकालती थी तो सीधी दुध की धार हमारे मुंह मे जाती थी, ओर दिन मे बकरी का दुध पीते थे, ओर सारा दिन शरारती मेमने से खेलते थे, ओर भी कई लोगो से सुना हे कि बकरी का दुध बहुत लाभकारी होता हे, धन्यवाद
ReplyDeleteछौने, संभवतः बकरी के बच्चे को यही कहते हैं।
ReplyDeleteयह बात सही है मेरा अनुभव भी यही रहा है ..जब घर में होता हूँ तो बकरी का दूध जरुर पीता हूँ ...लेकिन जिस तरह से वातावरण बदल रहा है तो उसका प्रभाव लोगों के जीवन पर भी पड़ रहा है ..रोचक और उपयोगी जानकारी के लिए आपका आभार
ReplyDeleteबकरी का दूध बहुत गुणकारी होता है.... बहुत अच्छी पोस्ट... फोटो भी मनमोहक हैं....
ReplyDeleteक्षमा करें! मैं यहाँ किसी भी से सहमत नहीं हूँ!हांलांकि मैं यह मानता हूँ की जयादातर तीप्निकार मुझसे जयादा ज्ञान रखते. बकरी का दूध बीमार के लिए तो काम का हो सकता हो पर देसी गाय के दूध की बराबरी नहीं कर सकता! गाय का दूध समरण शक्ति , शुद्ध बुधि व निरोगता के लिए बहुत ही उपयोगी होता है व सात्विक भी जो की बकरी व भैंस के दूध में नहीं होती.भगवान कृष्ण ने भी गाय के लिए गोवर्धन पर्वत उठाया था व गाय की रक्षा के लिए उनके अवतार लेने की बात कई जगह पढ़ी है
ReplyDeleteधन्यवाद
एक छोटी सी दूध की डेयरी का रुप होती है बकरी इसके दुध में फ़ायदे बहुत होते है।
ReplyDeleteBhai sahab, india gaav me basaa hai, jyadatar log obc, st,sc. hai inki economee bakari se chalti hai, yaa chal sakti hai... 10 se 15 bakri raklo to mahine me 5ooo rs. kama sakte ho.... aap neacchhi baat batayee. thanks.
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