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Friday, November 26, 2010

चर्चा रचना बी की ---भाग १ .............................नरेश सिंह राठौड

     रचना बी जैसा की आप सभी जानते है यह नाम नया है | लेकिन मेरे शहर में यह नाम पुराना  है रचना बी की उम्र लगभग ३० - ३२ के आस पास है | आज सुबह सुबह दूकान पर चढ़ गई राशन पानी लेकर (मतलब आटा चावल लेने ) |

     वैसे मेरा कभी उससे ज्यादा वास्ता नहीं पड़ा था, लेकिन मोहल्ले भर के लोग कहते थे रचना बी पढ़ी लिखी बेवकूफ है | एक तो पढ़ी लिखी ऊपर से बेवकूफ यानी करेला और नीम पर चढा हुआ | मै इस प्रकार के लोगो से हमेशा बचा करता हूँ | मेरे पिताजी हमेशा कहा करते थे बेवकूफ को टका दे दो लेकिन अकल मत दो | मैने भी रचना बी को ज्यादातर ना नुकर से टरकाया है | लेकिन आज तो हालात कुछ अलग थे दाल कुछ ज्यादा ही जला कर आयी थी | सो आते ही बोली आप अकेले ही काम कर कर रहे है दूकान पर | मै ने कहा क्या करू , नौकर जितना काम ही नहीं है | क्यों आप अपनी घरवाली को क्यों नहीं रखते है ? आजकल घरवाली को परदे में रखना गैर कानूनी है| उन्हें समानता का अधिकार देना चाहिए | मै आप की महिला आयोग में शिकायत करूंगी रचना बी ने धुवा उड़ाते हुए कहा | रचना बी जब भी गुस्से में होती है , तो उनके कान में से धुवा निकलता रहता है | क्या कहते, हमें भी नियम कानून का कंहा पता है जो रचना बी से पंगा ले सकते | क़ानून की जानकारी तो दिवेदी जी को है|

      वैसे भी ताऊ ने कह रखा है बच्चे,ब्रह्मण ,गाय,जल,अग्नि ओर नारी से पंगा नहीं लेना, वरना इज्जत का फ़ालूदा बनते देर नहीं लगेगी | हमने भी रचना बी की बात मानते हुए अपनी अनपढ़ घरवाली को दूकान में रखने लग गए | वो भी साथ साथ काम करके सहयोग करने लगी |

    कुछ दिन बाद फिर अचानक रचना बी के दर्शन हुए , घरवाली को देखते ही कहा अरे ! आप घरवाली से काम करवाते है | आपको शर्म नहीं आती | औरतों पर अत्याचार करते हुए, घर का काम भी करे और आपकी दूकान का भी, यह तो नारी जाती पर अन्याय है आपकी शिकायत कोइ जागरूक महिला बलोगर से करनी पड़ेगी मै आपको ब्लॉग जगत में बदनाम करके रहूंगी | सूना है आपने भी ब्लॉग जैसा रोग पाल के रखा है | आपके इस दूकान में कम्प्यूटर भी नजर आ रहा है | आप जानते नहीं है मेरे सम्बन्ध बहुत ऊपर तक है | पूरा मोहल्ला मेरे नाम (आतंक ) से सलाम करता है | मेरे पसीने छूटने लगे आमिरखान  का आल इज वैल भी कुछ काम नहीं आया | मैने कहा रचना बी आप अभी तो घर जाइए आपकी दाल जल जायेगी जो आप चूल्हे पर चढ़ा कर आयी थी और टीवी पर आपके पसंदीदा कोमेडीयन अलबेला खत्री का प्रोग्राम  भी निकल जाएगा |
जैसे तैसे मैंने रचना बी से पीछा छुड़ाया लेकिन अब लगता है संगीता जी के ज्योतिष का सहारा लेकर देखना पडेगा की ये साढ़े साती है या ढया है|  जन्म कुण्डली के कोनसे भाव में क्या बैठा है पता ही नहीं चल रहा है | या सुबह सुबह कही शीशे में अपना ही चेहरा तो नहीं देख लिया ? क्या पता भगवान जाने क्या होने वाला है | आल इज वैल...... आल इज वैल.... आल इज वैल.....|
(नोट :-उपरोक्त पोस्ट का किसी भी जीवीत या मृत आदमी से कोइ सम्बन्ध नहीं है फिर भी अगर कोइ सम्बन्ध जोड़ना चाहे तो ये उसकी मर्जी है  )

पहेली बूझक राजा को ताऊ ने सिखाया सबक 

भूखे भक्तों को भगवान , भोजन कब पहुचाओगे-- मालीगांव

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8 comments:

  1. रोचक संस्मरण के साथ बढिया पोस्ट, धन्यवाद
    इन रचना बी को इस बार चुनाव में खडा कर दो, बढिया नेता हैं।

    प्रणाम

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  2. सब ताऊ की संगत का असर है :)

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  3. साढ़े साती व ढया का चक्कर छोडो !
    पंडित जी ने कारण बता दिया है अब तो कुंडली में पता करावो कि ये ताऊ नामक ग्रह कौनसे घर में बैठा है और क्या प्रतिफल देगा :)
    वैसे कुंडली में ताऊ योग हमेशा बढ़िया ही होता है :)

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  4. भाईवर,
    नमस्कारम्‌!
    आपकी इस पोस्ट को पढ़कर मैं दो बातें कहना चाहूँगा...

    १. यह कि आपकी मुहावरेदार भाषा और उसकी प्रवहमानता पर मैं मुग्ध हूँ।

    २. यह कि आप विरामादि चिह्न का प्रयोग ज़्यादा स्पेस देकर न करें...यह प्रयोग कमोवेश अटपटा-सा है।

    आशा है कि इसे सहजतापूर्वक लेंगे...तथास्तु!

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  5. अपन भी ललित जी समान राम राम कर ही लेते हैं :-)

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  6. .
    आप भी क्या गजब करते हो बाबू साहिब ....हे प्रभो... हरिः ओम हरिः ओम :)

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