चित्र गूगल के सौजन्य से |
चित्र गूगल के सौजन्य से |
मेरा ध्यान अपने पुराने बीते हुए समय की तरफ लौट गया | यही कोइ दस ग्यारह साल पहले मै जब सूरत में पेमेंट कलेक्सन का काम करता था | यह पैसे उसी समय के रखे हुए थे | उस समय ये रूपये मुझे मजबूरन सबसे छिपाकर रखने पड़ते थे | यह उस समय का टूव्हीलर का नो पार्किंग चार्ज था जो ट्रैफिक वाले वसूलते थे | आजकल की रेट मझे भी पता नहीं है कितना बढ़ गया है | लेकिन तब 110 ही था | ये 110 रूपये केवल आपात स्थिति में ही काम में लेने हेतु रखे जाते थे | जो भी मार्केटिंग का काम करता है | उसे अपना व्हीकल नो पार्किंग में ही रखना पड़ता है क्यों कि अगर पार्किंग में पार्क करे तो उसे घुसाने और बाहर निकालने में ही 15-20 मिनट लग जाते है जो कि बैंकिंग हावर में बहुत महत्वपूर्ण होते है | इस लिये नो पार्किंग चार्ज हमेशा ही पास में रखना मुनासिब रहता है |
अगर उस समय आपके पास रुपये है और आप समय पर पहुच जाते है,तो आप की बाइक क्रेन पर लटकने से बच जायेगी नहीं तो आपकी बाइक ट्रैफिक पुलिस की क्रेन पर झूला झूलते हुयी जायेगी | ट्रैफिक पुलिस मुख्यालय जाने पर ही छुड़ा पायंगे | मुख्यालय तक आप को ऑटो में जाना पड़ेगा | दूसरी बात जिस इन्सपैक्टर ने उसे उठाया है वो ही उसका चालान अपनी चालान बुक में से काटेगा दूसरा नहीं | जब आप वंहा पहुचते है और वो क्रेन दुसरे राऊंड हेतु गयी हुयी हो तो आप को मुख्यालय में दो तीन घंटे इंतज़ार भी करना पड सकता है |अगर आप ने एक दिन से ज्यादा वंहा छोड़ दिया तो तो आपकी बाईक की असेसरीज से लेकर टायर ट्यूब तक गायब हो जाते है | इन सब बातो को एक भूक्त भोगी अच्छी तरह से समझ सकता है |इन सब खतरों को देखते हुए ये 110 रूपये हमेशा पर्स की चोर जेब में ही रखे जाते थे | आप कहाँ रखते है ?
राजस्थान के लोक देवता
पहेली से परेशान राजा और बुद्धिमान ताऊ
माली गाँव
हम भी पर्स का उपयोग नहीं करते हैं।
ReplyDeleteवाह ! गुड़िया ने आज आपकी पुराणी याद ताजा करा दी :)
ReplyDelete११० रुपयों की गजब कहानी. हमारे पास भी पर्स नहीं रहता.
ReplyDeleteआजकल की रेट डेढ़ सौ रुपए हैं (जयपुर में)। सौ रुपए नो पार्किंग चार्ज और पचास रुपए क्रेन चार्ज। वैसे हमें इस शुभ कार्य के लिए पैसे रखने की ज़रूरत नहीं पड़ती। कारण तो आप समझ ही गए होंगे :)
ReplyDeleteपुरानी यादें वाकई चेहरे पर मुस्कान दे जाती हैं..
हैपी ब्लॉगिंग
सुंदर पुरानी याद साझा की है...
ReplyDeleteदेखा.... हम बच्चे क्या क्या ढूंढ निकालते हैं..... :)
ReplyDeleteवाह नरेश जी आप पर तो दिपावली पर लक्ष्मी जी की कृपा हो गई जो छुपा हुआ धन मिलने लगा आप पुरानी चिजो को तालाशना शुरू कर दो शायद कोई सोने की मटकी मिल जाये
ReplyDeleteआपने टी.वी पर बताया लक्ष्मी यंत्र तो नहीं काम में लिया है?
वक्त -वक्त की बात है ...मनभावन पोस्ट
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