नरेगा में काम या खैरात |
अब इस बढी हुयी दरो का कारण जो उन्होंने बताया वो चौंकाने वाला था | जो मजदूर हाथ का काम करते थे उन सब ने काम करना बंद कर दिया उनमे से ज्यादातर ने सरकारी सहायता (नरेगा को मै तो सरकारी सहायता ही कहता हूँ ) में जाना शुरू कर दिया है | यह योजना क्या है इसके बारे में ज्यादा बताने की जरूरत नहीं है| आप अपने आस पास इस के द्वारा किये जा रहे कार्यो व उनके द्वारा हो रहे राजनीतिक लाभ को भी अच्छी तरह समझ रहे होंगे |
अब आप समझ गए ही होंगे की दस्तकारी वाले सभी सामान की कीमत क्यों अचानक बढ़ गयी है | भले ही ए सी की कीमत कम हो गयी हो लेकिन गरीब आदमी को तो हाथ वाले पंखे का ही सहारा है | उसके लिए तो महंगाई दुगुनी से भी ज्यादा बढ़ गयी है | इस बारे में आपके क्या विचार है ज़रा टिप्पणी में बताइए तो .....|
खैरात ही है नरेगा।
ReplyDeleteठीक ही लिखा है आपने ... नरेगा खैरात है ... दस्तकारों के लिए भी, और उनके लिए भी जो इस व्यवस्था के संचालन में हैं... क्या कहें हिन्दुस्तान के लोगों की सोच भी कुछ ऐसी ही है जो बनिस्बत मेहनत कर के कमाने के किसी सहायता या मुफ़्त के अनुदानों पर जीना बेहतर समझते हैं ...
ReplyDeleteजानकारी आधारित आपके इस सुन्दर और संदेशात्मक रचना की जितनी तारीफ की जाय कम है / इस देश के लोकतंत्र का यही मतलब है /जनता का पैसा जनता को भूखे मारने के लिए और उसका कल्याण करने के बजाय भ्रष्ट और गद्दार मंत्रियों के कल्याण में लगाया जा रहा है / लोकतंत्र इसी वजह से मर रहा है / आशा है आप इसी तरह ब्लॉग की सार्थकता को बढ़ाने का काम आगे भी ,अपनी अच्छी सोच के साथ करते रहेंगे / ब्लॉग हम सब के सार्थक सोच और ईमानदारी भरे प्रयास से ही एक सशक्त सामानांतर मिडिया के रूप में स्थापित हो सकता है और इस देश को भ्रष्ट और लूटेरों से बचा सकता है /आशा है आप अपनी ओर से इसके लिए हर संभव प्रयास जरूर करेंगे /हम आपको अपने इस पोस्ट http://honestyprojectrealdemocracy.blogspot.com/2010/04/blog-post_16.html पर देश हित में १०० शब्दों में अपने बहुमूल्य विचार और सुझाव रखने के लिए आमंत्रित करते हैं / उम्दा विचारों को हमने सम्मानित करने की व्यवस्था भी कर रखा है / पिछले हफ्ते अजित गुप्ता जी उम्दा विचारों के लिए सम्मानित की गयी
ReplyDeletekya bole kya na bole.......
ReplyDeletejub har jagh har kam ke piche mamiron ko hi badhwa dena thahra to.............
अगर यह जनता इन नेताओ की चाल समझती तो क्या बात थी, ऎसे लोगो के कारण ही यह नेता ऎश कर रहे है, हर बार निक्कमी सरकार आ रही है
ReplyDeleteकीमतें बढ़ना तो एक बात; नरेगा लोगों को काहिल बना रहा है - यह चिन्ता का विषय है।
ReplyDeleteभ्रष्टाचार पनप रहा है सो अलग!
नरेगा लोगों को कामचोर बना रहा है | वोट बैंक बनाने के लालच में शुरू की गई यह योजना देश में निठल्ले लोगों की एक जमात खड़ी कर देगी | गांवों में इस योजना के चलते आज मजदूर तक नहीं मिलते | जिसका सीधा असर दस्तकारी जैसे कामो के साथ कृषि पर पड़ रहा है |जो चिंताजनक है
ReplyDeleteजब फ्री की खैरात मिल रही है तो कोई मेहनत क्यों करे ?
बड़ा रोचक तथ्य उठाया है । लोगों को पहले नहीं बुझाया यह ।
ReplyDeleteमेरे लिए तो आँखें खोलने वाली जानकारी है यह। सफल हैं बन्धु आप, जारी रहिए…
ReplyDeleteजी हाँ जरुर महंगाई बढ़ी है और भ्रष्टाचार भी पर शोपिंग माल में 400 की चीजें 1400 में बेचीं जाती है वो थोड़ी ना महंगाई है .
ReplyDeleteनरेगा और इस जैसे अन्य योजनाओं से गरीबो की आय में वृद्धि हुयी है अब वो भी अपनी मजदूरी की ज्यादा कीमत मांग सकते है .
पर उन्हें थोड़ी अधिकार है अपनी जिंदगी को बेहतर बनाने का !! कभी भूख सही है आपने ? अगर इस योजना से एक भी भूखे परिवार को राहत मिलती है तो इस पर अरबो भी खर्च करना जायज है .
और भ्रष्टाचार तो इतना है और भी चीजों में जिसकी हद ही नहीं है इसमें कमसे कम कुछ हिस्सा तो गरीबों तक पहुँच रहा है .
क्या आप ये कहना चाहते है की गरीबों को कोई हक नहीं है अपना जीवन स्तर ऊपर उठाने का ? जमाखोर व्यापारी, भ्रष्ट नेता और अधिकारी कहाँ जिम्मेदार हैं महंगाई के लिए ? है ना?
@ नवीन जी मेरा मकसद केवल इस बात की तरफ इशारा करना मात्र है कि आज जो दस्तकारी उधोग खत्म होने जा रहा है उसके बाए में भी कोइ सोचे | क्यों कि किसी काम को किये बिना ही मजदूरी मिल रही हो तो क्या वो अच्छा है? आज लोग गरीबी की बाते करते है आप आइये गाँवों में हम आपको गरीब दिखाते है कोन कितना गरीब है जिसके पास बीपीएल का कार्ड है लेकिन अपनी खुद की कार है | या वो जिसकी चप्पले टूट गयी एक बीपीएल का कार्ड बनवाने की जुगत में इस योजना से गरीबो का जीवन स्तर कितना सुधरा और महंगी कितनी बड़ी और वोट बैंक कितना बढ़ा यह बहुत विश्लेषण का विषय है | मैंने जो बताया वो एक नई जानकारी और कड़वी सच्चाई है| आप चाहे तो इस सामान के विक्रेता से मिल कर तस्कीद कर सकते है |
ReplyDeleteनरेश जी
ReplyDeleteशायद आपने ये लाइन नहीं पढ़ी
और भ्रष्टाचार तो इतना है और भी चीजों में जिसकी हद ही नहीं है इसमें कमसे कम कुछ हिस्सा तो गरीबों तक पहुँच रहा है .
काम के बिना मजदूरी का बीपीएल कार्ड में और भी जो भ्रष्टाचार हो रहें है उन पर लेख लिखें तो बेहतर होता
आपके लेख से ऐसा लग रहा है कि मजदूर भ्रष्टाचार कर रहे है या मुफ्त कि मजदूरी ले रहे है पर क्या आपको नहीं लगता कि इसमें मूल रूप से सरकारी अधिकारी जिम्मेदार है जो अपना काम ठीक से नहीं कर रहे मजदूर इसमें किस हद तक जिम्मेदार है ? काम कराये बिना मजदूरी देना सही नहीं है पर ये किसकी जिम्मेदारी है कि सुनिश्चित करें कि काम हो और वो मजदूरों तक सही रूप में पहुंचे ? अपात्र लोगों को गरीबी कार्ड ना मिले ये किसकी जिम्मेदारी है ? एक गरीब को बीपीएल कार्ड बनाने में कितने पापड बेलने पड़ते है ये आपको पता है ? जो अपात्र है वो चुटकियों में ये हासिल कर लेते हैं पर जिन्हें इनकी जरुरत है उन्हें कैसे हासिल होता है ये जानने कि कोशिश कीजियेगा ?
मैं फिर से कहता हूँ इसमें बहुत गलतियाँ है पर अगर एक भूखे को अगर भरपेट खाना मिलता है तो ये हर तरह से जायज है इसमें खामियां है सुधार कि जरुरत है पर ये विचार अच्छा है सही कार्यान्वित करने कि आवश्यकता है बस .
मजदूर इसमें किस हद तक जिम्मेदार है ? काम कराये बिना मजदूरी देना सही नहीं है पर ये किसकी जिम्मेदारी है कि सुनिश्चित करें कि काम हो और वो मजदूरों तक सही रूप में पहुंचे ?
ReplyDelete@ जिस व्यक्ति की जिम्मेदारी है उसे मजदूर मिलकर पीट रहे है यदि वह बिना काम करे उनकी हाजरी न लगाये | यदि काम लेने वाला थोडा दबंग है तो वे या तो कार्य पर सामूहिक रूप से आना बंद कर देंगे या किसी दलित मजदूर को आगे कर थाने में उसके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा देंगे कि काम के दौरान इसने मुझे जातिसूचक गाली दी |