लालू यादव, रेल्वे, चारा और पशु | आप कहेंगे की इनमे क्या सम्बन्ध है | लालू यादव और चारे का तो मुझे पता नहीं लेकिन रेल्वे टिकट और पशुओ का सम्बन्ध मुझे पता है | और आज मै आपको यही बताऊंगा |
हमारे यहाँ शेखावाटी में रेल्वे के पुरानी टिकट जो पीले रंग के मोटे कागज़ की बनी होती थी ,उसका उपयोग ग्रामीण इलाको में नीम हकीम बहुतायत से करते है |
पशुओ में डिलेवरी के बाद उसके गर्भाशय की सफाई के लिए इसका उपयोग पुराने समय से किया जा रहा है | वैसे तो आंवल (placenta) जिसे लोकल भाषा में जेर क़हा जाता है ,प्राकृतिक रूप से बाहर आ जाती है लेकिन कई बार यह बाहर नहीं आती और एक दो दिन बाद पशु के पेट में इन्फेक्शन हो जाने से उसकी मोत तक हो जाती है |
इस समस्या के समाधान के लिए रेलवे टिकट को पानी में उबाल कर उस पानी को पशु को पिला दिया जाता है | फल स्वरूप उस पशु का जेर ( placenta) बहार आ जाता है | क्यों है ना आश्चर्यजनक उपयोग | अगली बार जब आप कही ग्रामीण इलाके के स्टेशन पर जाओ तो उस टिकट को फेकना नहीं |
achi aur mazedaar jaankaari di hai hai aapne,agli post me wajah bhi likhe ki kaise ticket pilane se ilaaj ho jata hai.
ReplyDeletedhanyvaad
अरे वाह अजूबा है ये तो
ReplyDeleteaapne jo jaankaari di he voh vaastav men chonkaa dene vaali he ab aap se smprk bnaa rhegaa. mera blog he akhtarkhanakela.blogspot.com akhtar khan akela kota rajasthan
ReplyDeleteये तो वाकई आश्चर्यजनक उपयोग वाली जानकारी दी है आपने |
ReplyDeleteगांव में ग्रामीण तरह तरह के प्रयोग करते रहते है | ऐसे ही एक बार हमारे गांव में एक किसान के मिर्ची के पौधों में कीड़े लग रहे थे तो उसने उनका इलाज करने के लिए देशी दारू के सभी पौधों में इंजेक्शन लगा दिए और उसका काम बन गया |
टिकेट का अच उज है........
ReplyDeleteआश्चर्यजनक....... रोचक जानकारी ....येसी ही उम्मीद थी आप से....
ReplyDeleteहा हा हा, कमाल का जुगाड़ी राष्ट्र है... अपना भारतवर्ष भी.
ReplyDeleteबहुत ही मजेदार बात बताई आप ने, मैंने पूरे घर भर को बतायी.
सब खूब हँसे और चकित हुए.
अब कोलोनी की बारी है चकित होने और हंसने की.
i m mahaveer Nathawat my email is gmx53@yahoo.com u r doing very good work. in rajput it is very unususal. aapko iske liye sadhuwad.
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