आइये आज हम जाने की पानी को अपने घर में कैसे शुद्ध किया जा सकता है और नीरोग रहा जा सकता है | पानी को शुद्ध करने की विधिया निम्न है -
- छनन विधी -
- ताप विधी
- क्लोरीकरण एवं आयोडीन विधी
- ताम्बे के बर्तन द्वारा
- चुने एवं फिटकरी के द्वारा
- कोयले के द्वारा
ताप विधी - पानी को प्लास्टिक की बोतल में भरकर ढक्कन लगा कर चार से छः घंटे धुप में रख देते है इस से ९० % हानी कारक जीवाणु नष्ट हो जाते है | या फिर पानी को उबाल लिया जता है जो की खर्चीला और समय लेने वाला काम है |
क्लोरीनीकरण एवं आयोडीन विधी - इस विधी में पानी में क्लोरीन और आयोडीन दवा डाली जाती है | ज्यादातर सरकारी जल संसाधनों में इसी विधी को काम में लिया जाता है | इसका पहला नुकशान यह है की पानी में दवा की दुर्गन्ध आती है दूसरी यह है की अगर इसकी मात्रा ज्यादा हो तो यह शरीर के लिए भी नुकशान करती है | एक लीटर पानी में क्लोरीन की एक बूँद डाली जानी चाहिए |
क्लोरीनीकरण के घरेलू उपाय
(क) ब्लीच घोल (विलयन)
• एक गैलन पानी अथवा चार ली. पानी में चार बूंद ब्लीच विलयन मिला लेते हैं।
• यदि पानी गन्दा हो तो चार ली. पानी में आठ बूंद ब्लीच मिलाते हैं।
• अच्छी तरह मिलाने के बाद 15 मिनट के लिए छोड़ देते हैं। 15 मिनट के बाद हल्का स्वाद तथा 30 मिनट बाद क्लोरीन का स्वाद नहीं होना चाहिए। यदि 30 मिनट बाद भी पानी में क्लोरीन का स्वाद हो तो अगली बार एक बूंद कम ब्लीच डालना चाहिए।
(ख) ब्लीचिंग पाउडर
1.3 से 5 मि. ग्रा. ब्लीचिंग पाउडर (संक्रमण पर निर्भर) 1 ली. पानी को रोगाणु रहित करने के लिए जरूरी होता है। यह रोगाणु रहित करने में 0.5 से 1 घंटा समय लेता है। 26 से 100 मि.ग्रा. अथवा एक चुटकी ब्लीचिंग पाउडर 20 ली. पानी को रोगाणु रहित कर सकता है।
ताम्बे के बर्तन द्वारा - इस विधी में ताम्बे के बर्तन में पानी ७२ घंटे के लिए रखा जाता है | तीन ताम्बे के बर्तन में रखा जाता है क्रम से काम में लिया जाता है और खाली बर्तन को तुरंत भर दिया जाता है | ताम्बे के बर्तन में पानी ७२ घंटे में जीवाणु मुक्त हो जाता है | यह विधी पानी को जीवाणु मुक्त करने में ९०% कारगर है |
चुने एवं फिटकरी के द्वारा - जब पानी बहुत ज्यादा गंदा हो यानी गद्लाया हुआ हो तो यह विधी काम में लेते है | इसमें बिना बुझा चुना का एक ढेला पानी में डाल देते है | या १० लीटर पानी में एक चुटकी फिटकरी दाल देते है जिससे जीवाणु भी मर जाते है और गन्दगी भी तलछट (पेंदे ) में बैठ जाती है |
कोयले के द्वारा - इसको तीन स्टेप में बनाया जाता है यानी की तीन बर्तन लिए जाते है | तीनों के तली में छेद किया जाता है | तीनों को एक दूसरे के ऊपर रखा जाता है पहले में सूखी साफ़ घास डाल दी जाती है दूसरे में बजरी (वो मिट्टी जिसमें मोटे कण होते है ) और तीसरे में लकड़ी का कोयला डाला जाता है | अब पहले बरतन में अशुद्ध पानी भर देते है तो वो घास द्वारा फ़िल्टर हो कर दूसरे बर्तन में गिरता है जिसमें की रेती भरी हुयी रहती है | रेती से फ़िल्टर हो कर यह पानी कोयले वाले बरतन में गिरता है कोयले द्वारा अशुद्धियों को अवशोषित कर लिया जाता है | इसके बाद जो साफ़ पानी है वो नीचे रखे बर्तन में संग्रहित किया जाता है | यह जीवाणु युक्त होता है जिसे बाद में हल्की मात्रा में क्लोरीन द्वारा जीवाणु मुक्त किया जा सकता है |
अब सोच रहा हूँ कि कौन सा अपनाऊँ।
ReplyDeleteexcellent cooper idea
ReplyDeleteआवश्यकता अविष्कार की जननी है यह बात कितनी सही है |
ReplyDeleteआज पानी की किल्लत के चलते इतनी विधियाँ खोजनी पड़ गयी :(
बहुत सुंदर जानकारी दी आप ने, धन्यवाद
ReplyDeleteधन्यवाद बहुत ही बढ़िया पोस्ट है
ReplyDeleteBehtreen Jaankari.
ReplyDeleteबहुत ही उपयोगी जानकारी
ReplyDeleteआपकी इस पोस्ट की चर्चा "टेक-वार्ता" पर की गयी है |
ReplyDeletehttp://hinditechvarta.blogspot.com/2010/07/blog-post.html
अच्छी जानकारीपरक पोस्ट...
ReplyDeleteआभार्!
@नरेश सिंह राठोड जी
ReplyDeleteमैं आपको हम सबके साझा ब्लॉग का member और follower बनने के लिए सादर आमंत्रित करता हूँ,
http://blog-parliament.blogspot.com/
कृपया इस ब्लॉग का member व् follower बन्ने से पहले इस ब्लॉग की सबसे पहली पोस्ट को ज़रूर पढ़ें
धन्यवाद
महक
@नरेश सिंह राठोड जी
ReplyDeleteमैं आपको हम सबके साझा ब्लॉग का member और follower बनने के लिए सादर आमंत्रित करता हूँ,
http://blog-parliament.blogspot.com/
कृपया इस ब्लॉग का member व् follower बन्ने से पहले इस ब्लॉग की सबसे पहली पोस्ट को ज़रूर पढ़ें
धन्यवाद
महक
@नरेश सिंह राठोड जी
ReplyDeleteमैं आपको हम सबके साझा ब्लॉग का member और follower बनने के लिए सादर आमंत्रित करता हूँ,
http://blog-parliament.blogspot.com/
कृपया इस ब्लॉग का member व् follower बन्ने से पहले इस ब्लॉग की सबसे पहली पोस्ट को ज़रूर पढ़ें
धन्यवाद
महक
दिक्कत यही है कि पानी सदियों से इतना सुलभ रहा है कि मनुष्य उसे सहज रूप में ही प्राप्त करने का आदी रहा है। मगर बढती समस्याओं के मद्देनजर आपकी तरकीब देरसवेर अपनानी ही पड़ेगी।
ReplyDeleteAaj jankari mili kafi labhdayak hai
ReplyDeletegood very informative
ReplyDeleteAaj jankari mili kafi labhdayak hai
ReplyDelete