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Friday, July 3, 2009

बिन बारीश के ताऊ की बल्ले बल्ले


इस बार मानसून की देरी से सभी चिंतित हो गए है | इस समय की वर्तमान परिस्थितियों पर लोग बाग़ आपस में बातें करते रहते है मेरी दूकान पर भी इस प्रकार की चर्चा चलना आम बात है इन्ही चर्चाओ के बीच में एक कहानी मुझे एक ताऊ ने सुनायी जो इस प्रकार है |
पुराने समय में एक गाँव में पंडित ताऊ रहता था | ताऊ की कोई औलाद वगैरा नही थी मतलब की घर में ताऊ और ताई मात्र दो प्राणी ही थे | मानसून आने वाला था ताऊ को खेत देखने जाना था ताऊ ने आसमान की तरफ देखा और बादलों को देख कर विचार किया की बारिश कभी भी आ सकती है | इस लिए ताऊ ने साथ में छाता ले जाना उचित समझा | ताऊ बंद छाते को लेकर चल दिया | खेत में पहुँच गया और थोड़ी देर घूम घाम कर छाया में सुस्ता कर वापसी चल दिया | ताऊ ने घर पहुँच कर अपनी छतरी को दीवार के पास उलटा खड़ा कर दिया यानी की हत्थे वाला भाग अब नीचे की तरफ़ हो गया था | पहले छाते को हत्थे से पकड कर ताऊ मजे से खेत में जाकर आया था लेकिन घर आकर उसने छाते को दीवार के सहारे उलटा खड़ा कीया जैसे ही उसने छाता नीचे की और किया उसमे से एक काला सांप निकल कर भागा और ताऊ तुंरत पीछे खिसक गया | ताई यह देख कर दंग रह गयी उसके मुह से बरबस ही निकल पडा "यो तो बरस्यो कोनी बरस्या पडतो काळ| बिन बर्ष्या समो हुयो तूठ्यो दींदयाल ||"
इसका अर्थ है कि अच्छा हुआ जो बारीश हुई नही अगर बारीश होती तो ताऊ उस छाते को रास्ते मे खोलता ओर सांप डस जाता ताऊ के मरने से ताई के लिये अकाल जैसे हालात बन जाते इस लिये उसके लिये तो बिना बारीश के समो ( ज्यादा पैदावार ) हो गया और भगवान की कृपा हो गयी ।

8 comments:

  1. बहुत बढ़िया कहानी |

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  2. ithaas ke bare me yu to jyada jankari nahi par aapka blog or post interestimg hai par waha comment publish nahi ho raha tha....so yaha type kiya hai....

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  3. पहले तो भाई आप का ब्लांग बाडी देर लेता है खुलने मे, बाकी कहानी वाक्या मै बहुत सुंदर लगी,इस का मतलब तो यही हुया जो भगवान करत है सही करता है.
    धन्यवाद

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  4. बहुत अच्छी कहावत कह दी ताऊ ने।

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  5. बहुत बढिया कहानी. ईश्वर जो करता है अच्छा ही करता है.

    रामराम.

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  6. कहानी का सार दमदार रहा ...आप दुकान पर अच्छी चर्चा कर लेते है ......एक पंथ दो काज ....

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  7. जो होता है भले के लिए ही होता है !

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