आज भाटिया जी की ये पोस्ट पढ़कर मुझे अहसास हुआ की हमारे भाई जो विदेशो में रहते है उन्हें देशी खाने के लिए कितना परेशान होना पड़ता है | विदेश में रहने वालो की तो छोडिये आजकल जो शहरो में रह रहे है उन्हें भी बहुत परेशान होना पड़ता है | मजे है तो गाँव वालो के जो की आराम से देशी खाना खा सकते है |
देशी खाने में हमारे राजस्थान के बाजरे के बने खाने का जवाब कही नहीं है | बाजरे की राबडी ,बाजरे की रोटी और बाजरे की खीचड़ी इनका कोइ मुकाबला नहीं है | जिसने भी इन्हें खाया है वो ही इसका स्वाद बता सकता है | बाजरे की खीचड़ी बनाने में एक सबसे बड़ी समस्या आती है बाजरे को कूटने की ये कुटाई का जो तरीका है वो थोड़ा अलग प्रकार का होता है इस प्रक्रिया में बाजरे के ऊपर का छिलका उतार लिया जाता है | इस कुटाई हेतु साधन काम में लिए जाते है एक ओंखली या इमाम दस्ता(लोहे की खरल )| ये दोनों साधन प्राय शहरी लोगो के पास नहीं होते है और विदेश में रहने वालो के पास तो बिलकुल ही नहीं हो सकते है |
लेकिन इस समस्या का हल मुझे जो सूझा वो मै आपको बताता हूँ | हो सकता है आपका भी कभी मन करे तो आप भी मिक्सर की सहायता से बना सकते है जो की वर्तमान समय में हर रसोई की आवश्यक वस्तु बन गया है | आपको मिक्सर में ब्लेड वो लगाना है जो आप लस्सी बनाने या फेटने के लिए काम में लेते है | उसमे फायदा ये है की बाजरे के टूकडे नहीं होंगे केवल उसके ऊपर का छिलका ही निकलेगा | और आपको यही करना है | आप बाजरे में थोड़ा पानी डाले और मिक्सर को एक बार कम गती से तथा बाद में तेज गती से घुमाए | पानी की मात्रा अगर आपने सही डाली है तो मानिए की आपका काम बन गया है अब आप बाजरे में से उसके छिलके जो की अब डस्ट बन गए है ,को अलग करना है | ये डस्ट अलग करना औरतो को अच्छी तरह से आता है इस कार्य में प्राय मर्द लोग फ़ैल हो जाते है |
उसके बाद इस साफ़ किये गए बाजरे को जिसमे की लगभग ८० प्रतिशत आटा बन जाता है बाकी २० प्रतिशत दाने के रूप में रहता है | इस मिश्रण में ३० प्रतिशत के हिसाब से मूंग की छिलके वाली दाल डाल देंगे | बाद में इस में आप आवश्यकता अनुसार नमक और पानी मिलायेंगे जिस प्रकार आप दलिया बनाते है उसी प्रकार इसे भी बना लेंगे | आपको दलिया बनाने का तरीका समझाने की जरूरत शायद नहीं होगी | यदि आपको दलिया बनाना भी नहीं आता है तो आप इससे बनाने की चेष्टा नहीं करे | इसे आप देशी खांड और घी डाल कर खा सकते है |
अब एक चित्र जो खिचडी बनते समय मैंने अपनी रसोई में मोबाईल द्वारा लिया था |
उसके बाद इस साफ़ किये गए बाजरे को जिसमे की लगभग ८० प्रतिशत आटा बन जाता है बाकी २० प्रतिशत दाने के रूप में रहता है | इस मिश्रण में ३० प्रतिशत के हिसाब से मूंग की छिलके वाली दाल डाल देंगे | बाद में इस में आप आवश्यकता अनुसार नमक और पानी मिलायेंगे जिस प्रकार आप दलिया बनाते है उसी प्रकार इसे भी बना लेंगे | आपको दलिया बनाने का तरीका समझाने की जरूरत शायद नहीं होगी | यदि आपको दलिया बनाना भी नहीं आता है तो आप इससे बनाने की चेष्टा नहीं करे | इसे आप देशी खांड और घी डाल कर खा सकते है |
अब एक चित्र जो खिचडी बनते समय मैंने अपनी रसोई में मोबाईल द्वारा लिया था |
खिचड़ी का लाइव चित्र |
आप वाली खिचड़ी को देख कर मुंह में पानी आ गया | बचपन में घर में बहुत बना करती थी ,आजकल थोडा कम हो गया है |.....आपने एक बार पुन:याद ताजा कर दी .......आज ही जरूर बनायेगें |
ReplyDeleteवाह ! क्या बढ़िया परिक्षण किया है अबकी बार मिक्सी का प्रयोग करेंगे ,हालाँकि हमारा फरीदाबाद शहर अभी इतना आधुनिक नहीं हुआ कि ओंखली या इमाम दस्ता ना मिले |
ReplyDeleteकाफी है इसी मे से भेज देना पहले स्वाद चखेंगे फिर बनायेंगे। शुभकामनायें।
ReplyDeleteओखली हमारी संस्कृति का भी प्रतीक तो है ना......आपने बहुत सुंदर शब्दों में प्रकाश डाला है ..बाजरे की खिचड़ी किस तरह बनाई जाती है ...और उसका स्वाद मुंह में पानी आ गया ...आपका आभार इस जानकारी भरी पोस्ट के लिए ..!
ReplyDeleteशानदार, बधाई.
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आयें, आपका हार्दिक स्वागत है
मीडिया की दशा और दिशा पर आंसू बहाएं
भारत मे गांव मे भी मै रहा हुं, ओर ऎसी ऒखली भी देख रखी हे, हमारे यहां बाजरा नही मिलता, इस लिये बाजरे की खिचडी नही बन सकती, वैसे बाजरे की रोटी मेने हरियाणा मे खूब खाई हे
ReplyDeleteवाह, खाने में तो सच में आनन्द आ गया होगा।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ...आज तो बाजरे की खिचड़ी ही बनेगी...... सच में स्वाद आज भी याद है पर समस्या वही आती है जिसकी आपने पोस्ट की शुरुआत में बात की.....
ReplyDeleteखिचड़ी को देख कर मुंह में पानी आ गया !
ReplyDeleteआप ऐसे फोटो ना दिखाया करें :) मुँह में पानी आ जाता है।
ReplyDeleteहम गर्मियों में इसे नहीं खा सकते जी
प्रणाम
जरुरी उपकरण छाज का तो आपने जिक्र किया ही नहीं :)
ReplyDeleteवाह जानकारी के लिये धन्यवाद
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