यह ज्यादातर ठंडी जगह में पाया जाता है | जैसे खेजडी के पेड़ में या नम भूमी में बिल बना कर | सांप अपना बिल नहीं बनाता है लेकिन इसके पंजे होते है जिनसे यह अपना बिल बना भी लेता है | यह कीट मकोड़े को खाकर पेट भरता है |
यह चित्र गूगल से लिया गया है किसी को कोइ आपत्ति हो तो बताये हटा दिया जाएगा |
दूसरी ख़ासियत है इसकी मजबूत शारीरिक संरचना इससे यह प्रतिकूल परिस्थितियों में भी ज़िंदा रह सकता है | इसकी चमड़ी भी बहुत मजबूत होती है | जिससे राजस्थान की घुमंतू जाती (कालबेलिया,बिन्जारा , भील ,बावरिया ) के लोग इसकी चमड़ी से जुतिया बनवाते है | जो बहुत ही टिकाऊ होती है | एक मिथक भी है की बरसात के दिनों में इसके ऊपर बिजली गिरने का खतरा अधिक रहता है | लोग इसे जूती बनाने के लिए नहीं मारे, इसलिए शायद कहा गया होगा | इसमें कितनी सच्चाई है यह तो विशेषज्ञ ही बता सकते है |
काली पहाड़ी ग्राम में जमुवाय माता के मन्दिर में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा
वो बूढी जाटणी दादी
प्रिय दोस्त लक्ष्मी कंहा हो तुम ?
गोह के बारे में इतनी जानकारी पहली बार मिली, धन्यवाद।
ReplyDelete---------
क्या आप बता सकते हैं कि इंसान और साँप में कौन ज़्यादा ज़हरीला होता है?
अगर हाँ, तो फिर चले आइए रहस्य और रोमाँच से भरी एक नवीन दुनिया में आपका स्वागत है।
उत्तर प्रदेश में मैने एक 'बड़ी छिपकली' देखी है वह अधिकतर पानी में रहती है और मछलियाँ और कीड़े-मकोड़े खाती है। वहाँ हम लोग इसे 'गोहटी' कहते हैं जो आप द्वारा बताये गये 'गोह' नाम से मेल खता है। पर मुझे इन दोनो के एक ही होने पर सन्देह है।
ReplyDeleteएक पौढ़ गोहटी लगभग दो फुट की होती होगी। इसका भार लगभग ५ किलो होता होगा। त्वचा बहुत मोटी और मगरम्च्छ जैसी होती है।
नरेश जी
ReplyDeleteआज से दो दिन पहले एक कम्पनी में कई लोगों के साथ बैठे थे तब अनायास ही बातो बातो में इसका जिक्र आ गया था तब भी एक साथी ने इसके सहारे दीवार पर चढ़ने वाली बात बताई थी तब मैंने उस पर विश्वास नहीं किया आज आपने फिर इसके बारे में विस्तृत चर्चा की तब इसकी इस खासियत का पता चला |
इस जीव के बारे में कहावत है कि इसका काटा पानी भी नहीं मांगता यानी इसके जहर से तुरंत मर जाता है पर पिछले दिनों जब मैं गांव गया था तब एक व्यक्ति बता रहा था कि इसमें जहर होता ही नहीं है क्या यह सच है ? वह व्यक्ति घंघेलियों से मिली जानकारी के अनुसार बता रहा था | घंघेलिये तो इसको मारकर खा जाते है |
hota hai
Deleteबहुत रोचक जानकारी दी आपने ।
ReplyDeleteगोह तो हरियाणे मै भी मिलती है, लेकिन यही वाली या कोई दुसरी यह नही पता, इस अति सुंदर जानकारी के लिये आप का धन्यवाद
ReplyDeleteगोह के बारे में इतनी जानकारी पहली बार मिली, धन्यवाद।
ReplyDeleteगोह तो अपने इधर भी होती है लेकिन छोटी होती है। छिपकली से बस जरा सी बडी।
ReplyDeleteछिपकली,नेवले जैसे मुँह वाली गोह देखी तो कईं बार है...लेकिन इसके बारे में इतनी जानकारी बिल्कुल नहीं थी..
ReplyDeleteगोह या घ्योरा हमारे यहां अभी भी हैं घर के इर्द गिर्द मंडराते रहते हैं। जब छोटा था तब पहली बार देखा तो लगा कि गिरगिट है,फ़िर सोचा कि गिरगिट तो इतना बड़ा नहीं हो सकता?जब दादी को दिखाया तो पता चला कि गोह या घ्योरा है। इसे पटण गोह भी कहते हैं।
ReplyDeleteइसके विषय में यह किवदंती अवश्य है कि इसका काटा पाणी भी नहीं मांगता, लेकिन हमारे यहां की कुछ जातियों का पेशा ही गोह पकड़ना है। इसका मांस वे खाते हैं। तभा चमड़े से डमरु या छोटी खंजरी, एक तारा, सारंगी मढी जाती है। इन वाद्य यंत्रों में गोह के चमड़े से ही सही आवाज आती है।
वैसे दिखावट में यह डायनासोर की वंशज लगती है। इसकी जीभ बहुत लम्बी होती है। जब बाहर जीभ निकालती है तो डायनासोर सी लगती है। इसके किस्से कहानियों से इतिहास भरा पड़ा है। हमारे 36गढ में कहते हैं कि यह बिल में घुस जाए तो एक जोड़ी बैल भी इसे खींच कर बाहर नहीं निकाल सकते।
अच्छी पोस्ट
आभार
नरेश जी इसकी जीभ आगे से दो भागों में बंटी होती है। और यह बहुत कम ही काटता है। इसकी एक छोटी प्रजाति जिसे हम पीला घेरा (गोह) कहते है। वह काटता है।
ReplyDeletebahut hi badia hukum
ReplyDeletemei rinkish srivastava banda (u.p.) me rehate houn,
ReplyDeleteaaj humare ghar kee chat se eak goh (jise yehan banda me vishkapper kahate hai) pakari gaye. parso yani 3 nov 2012 ko mene va mere bete ne usae chat ke tattar per chalte hue dekha tha, tub se wo bhoot dar gaya tha. kal bhee use dhoonda per vo nahi mila. per aaj expert ko bula kar pakar liya.
mei yeh jaanana chaheete houn ke kya vishkapper or goh eak hee prani hai jaisa kee jo log pakarne aaye the wo kah rahe the kee vishkapper he bada ho kar goh ban jata hai, per in logo ke mutabik goh vishkapper jitana jehareela va khatarnak nahi hota.
mei rinkish srivastava banda (u.p.) me rehate houn,
ReplyDeleteaaj humare ghar kee chat se eak goh (jise yehan banda me vishkapper kahate hai) pakari gaye. parso yani 3 nov 2012 ko mene va mere bete ne usae chat ke tattar per chalte hue dekha tha, tub se wo bhoot dar gaya tha. kal bhee use dhoonda per vo nahi mila. per aaj expert ko bula kar pakar liya.
mei yeh jaanana chaheete houn ke kya vishkapper or goh eak hee prani hai jaisa kee jo log pakarne aaye the wo kah rahe the kee vishkapper he bada ho kar goh ban jata hai, per in logo ke mutabik goh vishkapper jitana jehareela va khatarnak nahi hota.
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ReplyDeleteaaj humare ghar kee chat se eak goh (jise yehan banda me vishkapper kahate hai) pakari gaye. parso yani 3 nov 2012 ko mene va mere bete ne usae chat ke tattar per chalte hue dekha tha, tub se wo bhoot dar gaya tha. kal bhee use dhoonda per vo nahi mila. per aaj expert ko bula kar pakar liya.
mei yeh jaanana chaheete houn ke kya vishkapper or goh eak hee prani hai jaisa kee jo log pakarne aaye the wo kah rahe the kee vishkapper he bada ho kar goh ban jata hai, per in logo ke mutabik goh vishkapper jitana jehareela va khatarnak nahi hota.
गोह और गोयरा में फर्क होता है । गोह 2 से 3 फिट तक लम्बी हो सकती है, जबकि गोयरा एक गिरगिट जितना होता है । गोह और गोयरा दोनों ही साँप की तरह बार बार जीभ निकालते है और अगर ये किसी को काट लें तो शिकार की 3-4 मिनट में ही मृत्यु हो जाती है । साँप हमेशा छेड़ने या दबने पर ही काटता है जबकि ये मौका देखकर ही वार करते हैं ।
ReplyDeleteमेरे घर के पीछे एक तालाब है जिसमेँ तीन गोहटे दिखायी पड़े, इससे क्या हानि हो सकती है ?
ReplyDeleteकृपया बताएँ...
yes
Deleteकोई मुझे इसका zoological classification बता सकता है।
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