यह कविता शेखावाटी के प्रसिद्ध कवि श्री भागीरथ सिहं भाग्य ने राजस्थानी भाषा में लिखी है नीचे राजस्थानी भाषा के कठिन शब्दों के हिन्दी अर्थ भी दिये है फिर भी किसी पाठक को समझ मे नही आए तो टिप्पणी या मेल द्वारा पूछ सकते है ।
सुख को कनको उड़तो कीया काण राख दी काणै में |
खोयो ऊँट घडै मै ढूडै कसर नहीं है स्याणै में ||
भूल चूक सब लेणी देणी ठग विद्या व्यापार करयो |
एक काठ की हांडी पर ही दळियो सौ बर त्यार करयो ||
बस पङता तो एक न छोड्यो च्यारू मेर सिवाणै मै |
खोयो ऊँट घडै में ढूँढे कसर नहीं है स्याणै मै
डाकण बेटा दे या ले , आ भी बात बताणी के |
तेल बड़ा सू पैली पीज्या बां की कथा कहाणी के ||
भोळा पंडित के ले ले भागोत बांच कर थाणै मे |
खोयो ऊंट घडै मे ढूंढै क़सर नहीं है स्याणै में |
जका चालता बेटा बांटै ,बै नितकी प्रसिद्ध रैया |
बिगड़ी तो बस चेली बिगड़ी संत सिद्ध का सिद्ध रैया ||
नै भी सिद्ध रैया तो कुण सो कटगो नाक ठिकाणै मे ||
खोयो ऊंट घडै मे ढूंढै क़सर नहीं है स्याणै में |
बडै चाव सूँ नाम निकाल्यो , होगो घर हाळा भागी |
लगा नाम कै बट्टो खुद कै लखणा बणरयो निर भागी |
तूं उखडन सूँ नहीं आपक्यो थकग्यो गाँव जमाणै में |
खोयो ऊंट घडै मे ढूंढै क़सर नहीं है स्याणै में |
कनको - पतंग
कींया - कैसे
काण - बिना संतुलन का
काणै मे - पतंग में जो धागा डाला जात है उसे काणा कहा जाता है |
ढूंढे - खोज करना
स्याणै मे - ज्यादा समझदार बनना
च्यारू में - चारो ओर
सिवाणै मे - सीमाओं में
बडां - दाल के वडे
बां की- उनकी
भोला - ना समझ
भागोत - भागवत गीता
जका - जो व्यक्ति
रैया - रहे है
ठिकाणै में - सगे संबंधियों में
लखणा - अपने लक्षण से
बणरयो - बना हुआ है
आपक्यो - थक जाना
बहुत बढ़िया चुनकर लाये है | भागीरथ सिंह जी की रचनाओं को नमन |
ReplyDeleteनरेश जी
ReplyDeleteखम्मा घणी !
टेम्पलेट बहुत बढ़िया लगा और ये पहले वाले के बजाय खुलता भी जल्दी है |
NICE POEM
ReplyDeleteआ ब्लॉग बडिया लाग्यो है अपडेट रोज करौ तो ठीक लागसी
ReplyDeleteराव गुमानसिंह
http://dingalpingal.blogspot.com