ईंधन हमारी दैनिक जरूरत है । कम होते प्राकृतिक संसाधनो में ऊर्जा के स्रोत भी सीमित है । चारो और ऊर्जा बचाओ का शोर मचा हुआ है इस अभियान में रॉकेट चूल्हे की अहम भूमिका है ख़ास कर भारत जैसे देश में जहाँ 80 % आबादी गाँवों में निवास करती है ।
गाँवों में जलाऊ लकड़ी आसानी से उपलब्ध होती है । इसलिए घरो में परम्परागत चूल्हे (tredishanal stove ) ही काम में लिए जाते है । उन्ही चूल्हों में सुधार कर रॉकेट चूल्हे का परिष्कृत रूप सामने आया है ।
आवश्यक सामग्री : 1 लोहे का खाली कंटेनर
4" पाईप (लोहे का)
4" एल्बो (लोहे का )
जाली का स्टैंड 2 नग ( बर्तन रखने के लिए और लकडियो के नीचे लगाने के लिए ।
कंटेनर में चित्र अनुसार पाइप और एल्बो फिट करे । पाईप के और कंटेनर के बीच में टॉप रोधी सामग्री भर दे जैसे लकड़ी का बुरादा या मिट्टी और कागज की लुगदी । बस आपका रॉकेट चूल्हा तैयार है आपकी सेवा में ।
एक बात का धयान रखे की लकडियो के नीचे राख का ढेर ना होने दे अन्यथा इसकी कार्य कुशता पर असर पडेगा । मैंने इसे बना कर काम में लेकर देखा है वाकई बहुत कारगर और बढ़िया जुगाड़ है। धुँआ बिलकुल भी नहीं देता है।
अगर आपको किसी प्रकार की समस्या आती है तो आप टिप्पणी करके पूछ सकते है ।
गाँवों में जलाऊ लकड़ी आसानी से उपलब्ध होती है । इसलिए घरो में परम्परागत चूल्हे (tredishanal stove ) ही काम में लिए जाते है । उन्ही चूल्हों में सुधार कर रॉकेट चूल्हे का परिष्कृत रूप सामने आया है ।
आवश्यक सामग्री : 1 लोहे का खाली कंटेनर
4" पाईप (लोहे का)
4" एल्बो (लोहे का )
जाली का स्टैंड 2 नग ( बर्तन रखने के लिए और लकडियो के नीचे लगाने के लिए ।
कंटेनर में चित्र अनुसार पाइप और एल्बो फिट करे । पाईप के और कंटेनर के बीच में टॉप रोधी सामग्री भर दे जैसे लकड़ी का बुरादा या मिट्टी और कागज की लुगदी । बस आपका रॉकेट चूल्हा तैयार है आपकी सेवा में ।
एक बात का धयान रखे की लकडियो के नीचे राख का ढेर ना होने दे अन्यथा इसकी कार्य कुशता पर असर पडेगा । मैंने इसे बना कर काम में लेकर देखा है वाकई बहुत कारगर और बढ़िया जुगाड़ है। धुँआ बिलकुल भी नहीं देता है।
अगर आपको किसी प्रकार की समस्या आती है तो आप टिप्पणी करके पूछ सकते है ।
रोकेट चुल्हा |
रोकेट चूल्हे की कार्यप्रणाली |
जुगाड़ ऊपर से देखने पर एसा दिखाई देगा |
इसमें इंधन की बचत कितनी होती है ?
ReplyDeleteइसमें ईंधन की बचत लगभग 20 % से लेकर 60 %तक होती है , ये निर्भर करता है की आपके चूल्हे की डिजाइन कैसी है | और आप रख रखाव कितना रखते है |
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