आप ब्लोगिंग क्यों करते है? शायद आप इसका ठीक ठीक जवाब नहीं दे पाए| कुछ
कहेंगे की अपनी भड़ास निकालने के लिए कुछ कहेगे की प्रसिद्धि पाने के लिए ब्लॉग
लिखते है| मेरा मानना है की बहुत से लोग ब्लोगिंग केवल समाज सेवा के लिए ही
ब्लोगिंग करते है| उन लोगो में से एक नाम श्री दिनेशराय द्विवेदी जी का भी है |
द्विवेदी जी हिन्दी ब्लॉग जगत में किसी परिचय के मोहताज नहीं है| यहाँ सभी
पुराने ब्लोग्गर उन्हें अच्छी तरह जानते है| मेरा यह परिचय नामा लिखने का
मक़सद द्विवेदी के बारे में नए लोगो को बताना है, ताकि उनके द्वारा किये जा रहे
समाज हित के कार्यों से अन्य लोग भी प्रेरणा ले सके |
53 वर्षीया द्विवेदी जी सपरिवार कोटा (राज.) में रहते है| पेशे से वकील हैं और
उनका हिन्दी ब्लॉग तीसरा खम्बा और अनवरत बहुत ही प्रसिद्घ है| तो चलिए शुरू
करते है द्विवेदी जी से बातचीत |
मै-द्विवेदी जी आपका मेरी शेखावाटी ब्लोग पर स्वागत है ?
द्विवेदी जी- धन्यवाद आप का ।
मै- द्विवेदी जी हमारे पाठको को संक्षेप अपने परिवार के बारे में बतायें ?
द्विवेदी जी- जरूर, छोटा सा परिवार है, धर्मपत्नी शोभा राय गृहिणी हैं, जिन्हों ने
परिवार को पूरी तरह संभाल रखा है, घर वे ही चलाती हैं। दो बच्चे हैं। एक 26 वर्षीय
पुत्री पूर्वा राय है जो पेशे से जनसंख्या विज्ञानी है। , वर्तमान में एम्स, हरियाणा
सरकार के स्वास्थ्य विभाग और एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था के सम्मिलित प्रयासों से
चल रहे जन स्वास्थ्य के एक प्रकल्प में स्टेटीशियन/डेमोग्राफर के पद पर कार्यरत
है। 23 वर्षीय पुत्र वैभव राय ने एमसीए कर रहा है। अगस्त-सितम्बर, 09 तक वह
भी सोफ्टवेयर डेवलपर के रूप में नियोजन में होगा
मै-आपकी शिक्षा दीक्षा कहाँ पर हुई?
द्विवेदी जी- स्नातक तक मेरी शिक्षा बारां (राज.) मे हई, उस के बाद मैं ने विधि
स्नातक कोटा में हुआ। विश्वविद्यालय राजस्थान विश्वविद्यालय ही रहा।
मै- द्विवेदी जी हमारे पाठको को बारां जिले के पर्यटन-स्थलों के बारे मे कुछ बताये ?
द्विवेदी जी- नरेश जी बारां जिला एक प्राचीन क्षेत्र है। लगभग एक हजार से भी
अधिक वर्षों तक ब्राह्मण राज्य यहाँ रहा। प्राचीन स्थलों की कमी नहीं है। मुख्य
रुप से ब्राह्मण राज्य की राजधानी श्रीनगर थी जो आज रामगढ़ के नाम से जानी
जाती है, जिले का एक मात्र पहाड़ वहीं है जो चालीस किलोमीटर दूर से दिखाई देता है।
पहाड़ी पर माताजी का मंदिर है। पूरी पहाड़ी वृक्षों से भरी पड़ी है। पहाड़ी के ठीक नीचे
मैदान में प्राचीन शिव मंदिर है जिसे भण्ड देवरा कहा जाता है यह मन्दिर राजस्थान
का मिनी खुजराहो है। इस के अतिरिक्त । सीता बाड़ी, कन्या
दह और विलास प्राचीन स्थल हैं और सभी रमणीक स्थानों पर हैं। सीताबाड़ी में ग्रीष्म
ऋतु में बड़ा मेला होता है जिस में सहरिया भील बड़ी संख्या में आते हैं। इस मेले में
सुई से ले कर बैलगाड़ी और अब तो मोटर वाहन भी खरीदे जा सकते हैं। भील अपनी
गृहस्थी का सारा सामान यहीं से खरीदते हैं। इन के अतिरिक्त, शाहबाद, नाहरगढ़ और
शेरगढ़ के प्राचीन किले हैं। परवन नदी के किनारे काँकोणी गणेश का मंदिर है और
यहाँ उत्खनन में मंदिर समूह प्राप्त हुआ है। ये सभी प्राचीन स्थल हैं जिन के बारे में
जानकारी बारां जिले की वेबसाइट पर उपलब्ध है।
मै- आपको हिन्दी ब्लोग जगत से जुड़े हुये कितना समय हो गया ?
द्विवेदी जी- डेढ़ वर्ष हुआ है। अक्तूबर २००७ में तीसरा खंबा ब्लाग बनाया था तब से
लगातार लेखन पठन का कार्य जारी है। लेकिन लेखन का शौक पुराना है। विद्यार्थी
जीवन में कहानियाँ लिखने का जुनून हुआ करता था। पेशे के रूप में पत्रकारिता को
अपनाना चाहता था। इस के लिए एक बार मुम्बई यात्रा भी की। लेकिन बाराँ के खुले
वातावरण में जीने वाले को वहाँ का घुटनपूर्ण आवास और भीड़ पसंद न आई।
मुम्बई में ही तय किया कि वकालत करनी है। छह माह बाद मैं अदालत में था।
मै- आप हिन्दी बलोग जगत मे किस ब्लोगगर से ज्यादा प्रभावित हुये है ?
द्विवेदी जी- पसंद तो बहुत हैं पर कुछ का नाम लेने पर बहुतों की नाराजगी उठानी
पड़ सकती है। हाँ फुरसतिया जी का नाम बेखौफ ले सकता हूँ, वही मुझे ब्लागरी में
खींच लाए हैं।
मै- अब एक अलग तरह का प्रश्न, आप आजकल के समाज मे बढ़ रहे पीढी अन्तर
(जेनेरेशन गेप) के बारे मे क्या कहेगे?
द्विवेदी जी- नरेश जी, जेनेरेशन गेप अपने आप पैदा नही हुआ है। इसे हमने यानी
समाज ने ही पैदा किया है। अगर हम बुजुर्ग नवयुवको के साथ मित्रवत व्यवहार
करें और अपने विचारों पर रूढ़ होने के बजाए नए विचारों को भी समझने और
अपनाने को तैयार हों तो इस तरह के अन्तराल के लिए कोई रिक्ति ही नहीं रहेगी।
लेकिन हम एक उम्र के बाद विचार और व्यवहार में जड़ता ले आते हैं, जिस का
नतीजा जेनरेशन गेप के रूप में सामने आता है। प्रकृति और समाज यहाँ तक
कि जगत का कण कण प्रतिपल परिवर्तन शील है। उस परिवर्तन को स्वीकार
करने को तैयार रहें तो कोई समस्या ही नहीं हो सकती। मेरे परिवार में मेरे और
बेटे बेटी के बीच कोई जनरेशन गैप नहीं है। लगभग सभी विषयों पर हम खुल कर
चर्चा करते हैं। एक दूसरे के साथ अपने अनुभव और विचार शेयर करते हैं। परिवार
के सदस्यों के पास व्यक्तिगत के नाम पर शायद ही कुछ हो। जो कुछ है परिवार का
है। यही अवधारणा और आचरण पूरे समाज में लागू हो सके तो बहुत सी समस्याएं
रहें ही नहीं।
मै- कोटा मे जलवायु के हिसाब से आपका भोजन क्या रहता है?
द्विवेदी जी- सामान्य भोजन। दाल, सब्जियाँ और रोटी। मक्का ,ज्वार की रोटी और
हरी सब्जियां मुझे बहुत पसंद है। यहाँ एक कहावत प्रचलित है कि बिना तीखे खाने
के कब्ज रहती है जिस का नतीजा यह है कि यहाँ की कचौड़ियाँ प्रसिद्ध हैं और लोग
इन्हें सात समुंदर पार तक ले जाते हैं। वैसे यदि पिकनिक या गोठ हो तो पचधारी के
कत्त और बाफले मुख्य भोजन है। उपयुक्त क्या है यह तो कोई चिकित्सक ही ठीक-ठीक
बता सकता है ।
मै- आप किस प्रकार के ब्लोग ज्यादा पढना पसन्द करते है ?
द्विवेदी जी- सभी प्रकार के ब्लोग जिनमें जानकारी और ज्ञान हो, शिक्षा हो, थोड़ा
मनोरंजन हो और समय का अपव्यय न हो।
मै- द्विवेदी जी,हिन्दी ब्लोग जगत को आप मंजिल के कितना करीब मानते है ?
द्विवेदी जी- देखिए नरेश जी, अधिकांश ब्लोगर समाज में सकारात्मक परिवर्तन
लाना चाहते हैं और अपने अपने विचार के अनुसार सक्रिय हैं। यह बात सब को
जोड़ती है। विपरीत विचार भी आपस में जुड़ने में बाधक नहीं हैं। यदि इस काम को
ईमानदारी से करते रहें तो वह रास्ता भी तलाशना असंभव नहीं जिस से सब मंजिल
तक पहुंच सकते हैं। आखिर मंजिल तो एक ही है।
मै- द्विवेदी जी मेरे जैसे नये ब्लोगर के लेखन मे क्या कमियां देखते है ?
द्विवेदी जी- आप लिखते चलें और हर स्तर पर सचाई और ईमानदारी बनाए रखें।
विपरीत विचार रखने वालों के प्रति क्रोध और द्वेष न पालें। गलती करने वाले को
दया का पात्र समझें। और जड़-चेतन जगत से प्रेम करें। फिर कोई काम करें,
सफलता कभी तो आप के चरण चूम ही लेगी।
इसके साथ ही हमने द्विवेदी जी का शुक्रिया अदा करते हुये उनसे विदा ली ।
द्विवेदी जी के हिन्दी ब्लोग- तीसरा खंबा , अनवरत
द्विवेदी जी के अंग्रेजी ब्लोग -LEGALLIB , Life & Law ,Crime & Punishment
फेस बुक प्रोफ़ाईल- लिंक- http://www.facebook.com/home.php?#/profile.php?id=1477055905&ref=nf
द्विवेदी जी ने अपने लेखन व स्वभाव के कारण बहुत ही कम समय में हिन्दी ब्लॉगिंग में पन एक विशेष स्थान बना लिया है। मिलवाने के लिए आभार।
ReplyDeleteघुघूती बासूती
द्विवेदी जी ने अपने लेखन व स्वभाव के कारण बहुत ही कम समय में हिन्दी ब्लॉगिंग में अपना* एक विशेष स्थान बना लिया है। मिलवाने के लिए आभार।
ReplyDeleteघुघूती बासूती
द्विवेदी जी से मिलने का सौभाग्य हमे भी मिला है।वाकई शानदार ब्लागर के साथ-साथ ईमानदार ईंसान भी है वे।
ReplyDeleteacha raha interview. kuch sikha bhi.
ReplyDeleteद्विवेदी जी से साक्षात्कार के लिये धन्यवाद! उनके विचार बहुत उच्च हैं, और आशा है कि उनके साथ विचार-विमर्श चिट्ठों के माध्यम से चलता रहेगा।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया रहा साक्षात्कार। आपकी पसंद की दाद देता हूं। सवाल भी अच्छे थे और जवाब देने वाले तो खैर वकील साब थे लाजवाब ही थे।
ReplyDelete...द्विवेदी जी एक बेहतरीन इन्सान हैं और इसीलिए बेहतरी ब्लागर भी हैं। निश्चित रूप से वे सामाजिक बदलाव का जज्बा रखते हैं और इसीलिए ब्लागिंग प्लेटफार्म उन्होंने चुना। उनकी सुलझी सोच का मैं कायल हूं और खुद को उनके नज़दीक पाता हूं।
आपको शुभकामनाएं...
आदरणीय द्विवेदी जी से आपकी यह बातचीत उम्दा है । उनके सभी ब्लॉग का लिंक देकर आपने अच्छा कार्य किया । अंग्रेजी ब्लॉग तक तो मैं इसी लिंक को देखकर पहुँचा हूँ । धन्यवाद ।
ReplyDeleteद्विवेदी जी से मिल कर अच्छा लगा।
ReplyDeleteद्विवेदी जी से मिलवाने के लिए आभार !
ReplyDeleteद्विवेदी जी से मुलाकात अच्छी लगी
ReplyDeleteब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म पर एक अलग स्थान रखने वाले, द्विवेदी जी से बातचीत का यह अंदाज़ पसंद आया। भिलाई में उनके साथ 3 दिनों का साथ रहा है। इस बीच उनके व्यक्तित्व को थोड़ा बहुत जान पाया।
ReplyDeleteइस पोस्ट के लिए आभार
द्विवेदी जी एक ब्लॉगर ही नहीं लेकिन एक ऐसे व्यक्तित्व भी हैं जो उनसे कहीं किसी तरह भी जुड़ जाए उनका हो जाता है। मैं द्विवेदी जी को व्यक्तिगत तौर पर उनकी यहाँ-वहाँ छपी टिप्पणियों के माध्यम से ही जानता हूँ,मुझे उनके व्यक्तित्व से प्रभाव तब हुआ जब मैंने देखा कि वे टू दि प्वाँईंट बात करते है खरे को खरा और और जो उन्हें बुरा लगता है वहाँ से वो किनारा करके चल देते हैं( ये मेरा अपना ऑब्ज़र्वेशन है)। इसी लिए मुझे द्विवेदी जी ने अपनी ओर खींचा है। आज आपके ब्लॉग पर उनके बारे में साक्षात्कार पढ़कर बहुत कुछ जानने को मिला खुशी हुई। लेकिन मुझे लगता है कि द्विवेदी जी से और भी बहुत कुछ ग़्रहण किया जा सकता है जो शायद छूट गया है। आपके इस प्रयास के लिए नरेश भाई आपको बधाई देता हूँ और द्विवेदी जी की ऊर्जा को सलाम ठोकता हूँ।
ReplyDeleteप्रकाश बादल शिमला।
बढ़िया बातचीत. द्विवेदी जी के कुछ आयाम और खुले. धन्यवाद!
ReplyDeleteद्विवेदी जी वाकई बहुत सज्जन एंव सादगी पूर्ण व्यक्तित्व है. पिछले दिनो वह फ़रीदाबाद मे पधारे थे और चार पांच दिनो के इस प्रवास मे उनका परिवार मेरे यहा रहा. हमे पता ही नही चल पाया कि मै और मेरा परिवार उनसे पहली बार मिला है. मै अपने कार्य मे व्यस्त रहने के कारण उनसे सुबह और शाम को ही मिल पाता था. वैसे मेरी धर्म पत्नी ने मेरी कमी पूरी करने की कोशिश की लेकिन मै कोशिश कर के भी समय नही निकाल पाया, द्विवेदी जी इतने विनम्र स्वभाव वाले हैं कि इन्होने इस बात की कभी कोई शिकायत नही की. इसे मै अपना दुर्भाग्य ही कहूगा की इनके मेरे यहा प्रवास के दौरान भी मै इनके सानिध्य का लाभ नही उठा पाया. फ़िर भी मुझे इस बात का गर्व है कि इतने बडे महान व्यक्तित्व ने मुझ अकिंचन के यहां कुछ दिन गुजारे और कत्त बाफ़ले तथा मसालेदार खाना पसंद करने वाले सज्जन ने मेरे यहां का उबला हुआ घास पात का भोजन बिना किसी शिकवे-शिकायत के ग्रहण किया.
ReplyDeleteदिनेश जी के लेखन ने और व्यक्तित्व ने हमेशा प्रभावित किया है ..आज आपके द्वारा उनके बारे में और भी बहुत कुछ जाना ..अच्छा लगा .शुक्रिया
ReplyDeleteद्विवेदी जी से साक्षात्कार एक अच्छा प्रयास रहा . इस तरहे के साक्षात्कार की परम्परा को आगे भी जारी रखना .
ReplyDeleteएक बार फिर आपको और द्विवेदी जी को कोटि -कोटि धन्यवाद !!!!!!!!!
लगता है हमें छोड़कर सभी लोग द्विवेदी जी से मिल चुके हैं यहां तक की पंगेबाज जी भी वैसे तो यह राज द्विवेदी छिपाये रहे थे लेकिन पंगेबाज जी ने खोल दिया अब दिवेदी जी का इंतजार हैं कि वो बतायें कि पंगेबाज जी ने उनसे पंगे लिये कि नहीं
ReplyDeleteद्विवेदी जी के बारे में जानकार अच्छा लग रहा है. विचारशील व्यक्ति है. और एक महत्त्वपूर्ण ब्लॉगर भी.
ReplyDeleteपूनः आभार.
मैं कुछ भी इनके बारे में नहीं कहूंगा.. बस इतना ही कहूंगा कि इनके रूप में मुझे एक अभिभावक ब्लौग जगत में भी मिल गया है.. बाकी मेरे लिये इनका स्थान क्या है यह वह स्वयं जानते हैं.. :)
ReplyDeleteदिनेश जी के बारे में पढ़कर अच्छा लगा.
ReplyDeleteब्लॉग जगत में कुछ लोग हैं जिनके बारे में टिपण्णी करने की अपनी योग्यता नहीं ! द्विवेदीजी भी उनमें से एक हैं. इस मुलाकात के लिए आपका धन्यवाद.
ReplyDeleteअल्बम ने साक्षात्कार में चार चाँद लगा दिया !
ReplyDeleteभाइ आज पहले बार द्विवेदी जी के बारे मे इतनी बाते मालूम हूई, आपका बहुत आभार द्विवेदी जी से परिचय करवाने के लिये.
ReplyDeleteरामराम.
क्या बात है इन दिनों आप ओर ताऊ साक्षात्कार भ्रमण पे इकट्ठे निकले है लगता है .द्रिवेदी से मुलाकात दिलचस्प लगी ,वैसे भी वे एक जागरूक ओर अच्छे इन्सान होने के साथ उस पेशे में है जहाँ वे लोगो के लिए बहुत कुछ यकीनन करते होगे .
ReplyDeleteद्विवेदी जी से मिलकर और उनके बारे में जानकर बहुत अच्छा लगा .
ReplyDeleteऐसे ही महान लोगो से मिलवाते रहिये धन्यवाद
ReplyDeleteबन्धुवर दिनेशरायजी से बातचीत पेश करने के लिए आप हार्दिक शुभ कामना ग्रहण करें ।
ReplyDeleteमन प्रफुल्लित हो गया द्विवेदी जी से बातचीत पढ़कर। और उस दिन भी हुआ था जिस दिन ब्लॉगवाणी कार्यालय दिल्ली में मैथिली गुप्त, सिरिल गुप्त, काकेश, पंगेबाज, आलोक पुराणिक जी के साथ मिलने का मिला था। ऐसे ही सबसे मिलते रहें और उनके साक्षात्कार यहां पर पढ़ते रहें। हमारी तो ब्लॉगिंग सार्थक हो गई।
ReplyDeleteश्री दीनेश भाई जी वाकई तीसरा खम्बा से वकालत के पेशे की बारिकियाँ और अनवरत से सामाजिक बातोँ पे बखूबी लिखते हैँ
ReplyDeleteतथा उनका परिवार अपने ही स्वजनोँ सा लगने लगा है -
उनसे मिलवाने का बढिया काम किया आपने -
आभार !
- लावण्या
अच्छा लगा दिनेशराय द्विवेदी जी के बारे में जानकर..
ReplyDeleteइसी बहाने द्विवेदी जी के व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओं से परिचित होने का सुअवसर मिला।
ReplyDelete----------
जादू की छड़ी चाहिए?
नाज्का रेखाएँ कौन सी बला हैं?
पँडित जी के निश्छल उत्तरों ने मन मोह लिया ।
ReplyDeleteमेरे मनमोहन तो, वह पहले से हैं
ब्लोगरी में कदम रखकर अभी कुछ पल ही हुए हैं, इसलिए पुराने महारथियों से कम परिचय है। उनमें से एक, द्विवेदी जी से मिलाने के लिए धन्यवाद।
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