हिन्दी ब्लॉगजगत में ज्यादा तर बलोगर आलोचनात्मक लेख से बचना चाहते है | इस लिए सतही बातें लिखते है | क्या आप भी एसा ही करते है | कही इस बात से तो नही डरते है की कोई पाठक नाराज ना हो जाये | मैं आपको कुछ ब्लोगों की रोचक बातें बताउगा जो आपने भी पढ़ी होगी पर ध्यान नही दिया होगा | या फ़िर आलोचनाओ से डरते हुए लिखने का साहस नही किया होगा |
यदि आप नये ब्लोगर है तो आपकी पहली पोस्ट पर इस प्रकार कि टिप्पणियां जरूर मिलेगी । हिन्दी ब्लोग जगत मे आपका स्वागत है । आपको ब्लोग सम्बन्धी किसी भी जानकारी की जरूरत हो तो नि:शंकोच बताये हमे आपकी मदद करके अच्छा लगेगा । एक बार हमारे चिट्ठे पर जरूर पधारे । इन लाइनों मे अन्तिम लाइन ही मुख्य है क्यों कि यह है नयी मछली को फंसाने का चारा ।
कुछ तकनीकी ब्लोगर अपनी पोस्ट मे यह भी लिखते है यदि आपको इस पोस्ट मे कुछ समझ मे नही आ रहा हो या किसी प्रकार कि कोइ परेशानी हो तो हमे जरूर बताये आपकी समस्या का निदान किया जायेगा। इन शब्दों पर मुझे एक ही ख्याल आता है , आपका वास्ता पहचान कि दुकान वाले से तो जरूर पडा होगा जो सामान बेचते समय (विशेषकर विधुत उपकरणों मे) आपको बिना बिल पर लिखे गारंटी देता है जब आप उसे लिखित मे देने के लिये कहते है (पहली बात तो आप एसा कहेगें ही नही ) तो वह पहचान कि दुहाई देगा । और फ़िर जब आप का उपकरण समय दौरान खराब हो जाता है तो आप को पता चलता है गारंटी कि असलियत । तब आप ठगाये हुये से महसूस करते है । उस गारन्टर दुकान वाले व उन तकनीकी ब्लोगर महोदय की असलियत का पता तभी चलता है जब आपको समस्याओं से दो चार होना पड़ता है । मेरी सलाह यही है कि आप अपना ज्ञान बढ़ाये दूसरों के भरोसे मत रहिये ।
गारंटी की बात पर मुझे याद आया पिछले दिनों मैने एक प्रिंटर खरीदा था hp all in one f80 माडल था। खरीदने के एक महीने बाद ही प्रिंटर ने काम करना बन्द कर दिया । जब उसे जयपुर स्थित उसके सर्विस स्टेशन मे भेजा गया तो पता चला कि इसके अन्दर चूहा घुस गया था और अन्दर की केबल को काट दिया है । इस लिये यह फ़िजिकल डेमेज है और कम्पनी के नियम के अनुसार फ़िजिकल डेमेज गारंटी के अन्दर नही आता है । मैने उनके अधिकारी से कहा कि चूहा घुस गया इसमें मेरी क्या गलती है कम्पनी को इसका समुचित प्रबन्ध करना चाहिये था जिससे चूहे के घुसने का रास्ता ही नही रहता । अंततोगत्वा अब वो प्रिंटर मेरे कबाड़ खाने कि शोभा बढा रहा है । माफ़ी चाहूंगा, यदि मेरी इस पोस्ट से किसी के पेट मे दर्द हुआ हो तो ।
यदि आप नये ब्लोगर है तो आपकी पहली पोस्ट पर इस प्रकार कि टिप्पणियां जरूर मिलेगी । हिन्दी ब्लोग जगत मे आपका स्वागत है । आपको ब्लोग सम्बन्धी किसी भी जानकारी की जरूरत हो तो नि:शंकोच बताये हमे आपकी मदद करके अच्छा लगेगा । एक बार हमारे चिट्ठे पर जरूर पधारे । इन लाइनों मे अन्तिम लाइन ही मुख्य है क्यों कि यह है नयी मछली को फंसाने का चारा ।
कुछ तकनीकी ब्लोगर अपनी पोस्ट मे यह भी लिखते है यदि आपको इस पोस्ट मे कुछ समझ मे नही आ रहा हो या किसी प्रकार कि कोइ परेशानी हो तो हमे जरूर बताये आपकी समस्या का निदान किया जायेगा। इन शब्दों पर मुझे एक ही ख्याल आता है , आपका वास्ता पहचान कि दुकान वाले से तो जरूर पडा होगा जो सामान बेचते समय (विशेषकर विधुत उपकरणों मे) आपको बिना बिल पर लिखे गारंटी देता है जब आप उसे लिखित मे देने के लिये कहते है (पहली बात तो आप एसा कहेगें ही नही ) तो वह पहचान कि दुहाई देगा । और फ़िर जब आप का उपकरण समय दौरान खराब हो जाता है तो आप को पता चलता है गारंटी कि असलियत । तब आप ठगाये हुये से महसूस करते है । उस गारन्टर दुकान वाले व उन तकनीकी ब्लोगर महोदय की असलियत का पता तभी चलता है जब आपको समस्याओं से दो चार होना पड़ता है । मेरी सलाह यही है कि आप अपना ज्ञान बढ़ाये दूसरों के भरोसे मत रहिये ।
गारंटी की बात पर मुझे याद आया पिछले दिनों मैने एक प्रिंटर खरीदा था hp all in one f80 माडल था। खरीदने के एक महीने बाद ही प्रिंटर ने काम करना बन्द कर दिया । जब उसे जयपुर स्थित उसके सर्विस स्टेशन मे भेजा गया तो पता चला कि इसके अन्दर चूहा घुस गया था और अन्दर की केबल को काट दिया है । इस लिये यह फ़िजिकल डेमेज है और कम्पनी के नियम के अनुसार फ़िजिकल डेमेज गारंटी के अन्दर नही आता है । मैने उनके अधिकारी से कहा कि चूहा घुस गया इसमें मेरी क्या गलती है कम्पनी को इसका समुचित प्रबन्ध करना चाहिये था जिससे चूहे के घुसने का रास्ता ही नही रहता । अंततोगत्वा अब वो प्रिंटर मेरे कबाड़ खाने कि शोभा बढा रहा है । माफ़ी चाहूंगा, यदि मेरी इस पोस्ट से किसी के पेट मे दर्द हुआ हो तो ।
अच्छा विषय उठाया आपने। ऐसे और भी कई रोचक मसले इस दुनिया में बिखरे पड़े हैं; पर उन पर समय जाया करना निरर्थक लगता है। मेरे विचार में कोई भी किसी जुगाड़ से कुछ स्थायी पा नहीं सकता है। अन्तत: अपयश ही हाथ लगता है। कोई स्वयं को या दूसरों के माध्यम से कितना भी उठाने- गिराने की कोशिश कर ले, पर ज्यादा दिन टिका नहीं जा सकता। कोई टिप्पणि ज्यादा आने के नुस्खे सिखाते दूसरों को लिखने की तमीज सिखाते नहीं अघाते, कोई अपने अमर योगदान का गुणगान करते करवाते नहीं अघाते,कोई दूस्रों की/से तुलना करने में जुट कर दूसरों की रेखा छोटी करने के एकसूत्री कार्यक्रम में निमग्न है, कोई एक दूसरे की पीठ खुजाने से ही निजात नहीं पाते.... । कहाँ तक गिनियेगा? जैसे जैसे लोग बढ़ेंगे, वे अपने अपने व्यक्तित्व के अनुसार ब्लॊग-जगत् में अपनी उपस्थिति दर्ज़ करवाएँगे ही। इसलिए बेहतर है कि उन सब पर ध्यान देने की अपेक्षा अपनी ऊर्जा अपने कामों में लगाई जाए। शेष जैसा जिसको रुचे-सोहे।
ReplyDeleteअब हिन्दी ब्लॉग जगत की मजेदार बातें तो बताए .
ReplyDeleteकविता जी ने बिना लाग लपेट के वास्तु स्थिति बताई है. निस्संदेह अपने स्वयं कि क्षमताओं को बढ़ाना होगा जिस पर हम विश्वास कर सकें. आभार.
ReplyDeleteआप के तो प्रिंटर में चूहा घुसा। मेरे तो नए फ्रिज में चूहा घुसा वह भी एल्यूमीनियम की चादर काट कर। वैसे यदि कोई प्रोफेशनल सेवा के बदले शुल्क लेता है तो बुरा क्या है? हाँ यदि कोई मुफ्त सेवा दे रहा है तो और भी अच्छा है। पर मुफ्त सेवा की सीमा होती है।
ReplyDeleteहिन्दी ब्लोग जगत मे आपका स्वागत है । आपको ब्लोग सम्बन्धी किसी भी जानकारी की जरूरत हो तो नि:शंकोच बताये हमे आपकी मदद करके अच्छा लगेगा । एक बार हमारे चिट्ठे पर जरूर पधारे ।
ReplyDeleteइन लाइनों मे अन्तिम लाइन ही मुख्य है क्यों कि यह है नयी मछली को फंसाने का चारा ।
लीजिये जी मै भी इसी से प्रेरित हो गया.
और ये मेरी नई फॉरम का लिंक........
हिन्दी ब्लॉग्गिंग जगत
हिन्दी कंप्यूटिंग
और
प्रथम फॉरम
अब दोषी मुझे मत मानियेगा. गलती आपकी ही है......
जो शीर्षक देकर आपने बुलाया वैसा कुछ आलेख में मिला नहीं-बताईये न मजेदार बातें.
ReplyDeleteअन्यथा तो इस आलेख को "इन लाइनों मे अन्तिम लाइन ही मुख्य है क्यों कि यह है नयी मछली को फंसाने का चारा ।" -इससे कैसे अलग रखें. :)
वैसे यदि कोई प्रोफेशनल सेवा के बदले शुल्क लेता है तो बुरा क्या है? हाँ यदि कोई मुफ्त सेवा दे रहा है तो और भी अच्छा है। पर मुफ्त सेवा की सीमा होती है!!
ReplyDeleteपिछले आपके कई लेख जिसमे आपने तकनीकी जानकारी उपलब्ध करायी थी उसके लिए शुक्रिया देना रह गया था...आज आपका शीर्षक देखकर मै भी कुछ समीर जी जैसी उम्मीद लेकर आया था ..पर विषय में कुछ ऐसा नही मिला...बाकी कविता जी ने स्पष्ट तौर पर काफ़ी कुछ कह दिया है....
ReplyDeleteमेरी भी एक समस्या है कि मैंने एक कंप्यूटर मानीटर खरीदा लेकिन वो चलता ही नहीं है जब कंपनी वालों से बात की तो वो कहते हैं कि सीपीयू भी खरीदो तब चलेगा अब मुझे ये बताओ कि पांच हजार के कंप्यूटर के लिए मैं 20 हजार का सीपीयू क्यूं खरीदूं क्या कोई और चारा नहीं है इसका
ReplyDeleteआपकी रचनाधर्मिता का कायल हूँ. कभी हमारे सामूहिक प्रयास 'युवा' को भी देखें और अपनी प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करें !!
ReplyDeleteआपको लोहडी और मकर संक्रान्ति की शुभकामनाएँ....
ReplyDeleteआपका ये लेख तो बहुत ही मज़ेदार और रोचक लगा वाह। हमें किसी न किसी तरह कोई न कोई फाँसने के चक्कर में रहता है और हम फंस भी जाते हैं।
ReplyDeleteआपके इस लेख से बहुत अच्छी जानकारी मिली,इसके लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद!
ReplyDeleteसीताराम प्रजापति,तिहावली
रोचक ढ़ग से प्रस्तुत उपयोगी पोस्ट.
ReplyDelete