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Tuesday, January 6, 2015

ई -मित्र की हकीकत In side story about Emitra

     आज कल जगह जगह आपको ई मित्र के बोर्ड लगे हुए मिल जाएंगे । ई मित्र  राजस्थान  सरकार की बहुत ही महत्वपूर्ण योजना है। इस  योजना के द्वारा नागरिको के लिए सरकारी काम काज आसानी से और रियायती दरों पर उनके नजदीकी क्षेत्र में उपलब्ध  करवाया जाता है । सरकार के ई गवर्नेंस के सपने को साकार करने हेतु ये  योजना चलाई  गयी है । इसका दूसरा नाम CSC यानी की नागरिक सेवा केंद्र भी है ।
सरकार के ई गवर्नेन्स के कार्य में योगदान हेतु  मैंने भी जुड़ने का निर्णय लिया और फ्रेंचाइजी देने वाली कंपनी से  बात कर के अपना आवेदन  दिया । कुछ दिनों में मुझे पासवर्ड और आई डी भेज दिए गए । लेकिन  मैंने ट्रेनिंग और अन्य जानकारी के लिए कंपनी से पूछा तो कहा गया की आप ई मित्र के पोर्टल से  सूचनाये निकाल कर  स्वयं अध्ययन करे ।
                       
             ई मित्र कियोस्क काउंटर में बिजली ,पानी,टेलीफोन आदि के बिल जमा किये जाते है । अन्य बहुत से सरकारी विभागों के कार्य आदि किये जाते है । जैसे मूल निवास ,जाती ,जन्म मर्त्यु प्रमाण पत्र ,छत्रवृति के फॉर्म भरना  खेती बाड़ी के सब्सिडी के फार्म ,यूनिवर्सिटीज  की फीस जमा करना ,प्रतियोगी परिक्षाओ के ओन लाईन आवेदन जमा करना  ,पेन कार्ड का आवेदन करना आदि ।


राजस्थान सरकार की बेहतरीन योजना (ई मित्र )


      जैसे तैसे करके बिल जमा करना शुरू कर दिया बिलो की स्टब काउंटर जो विभाग द्वारा रखा जाता है उसे मैंने भविष्य रिकॉर्ड हेतु रख लिया । अजमेर विधुत वितरण विभाग के स्थानीय ऑफिस से मेरे पास सामाचार मिला की आप को ऑफिस में तुरंत हाजरी देनी है । मै पहुँच गया जैसे मुजरिम थाने में पहुँचता है । विभाग के अधिकारी से मिला तो अधिकारी महोदय का पारा सातवे आसमान पर भवे तनी हुई वक्र अवस्था में थी । मुझे देखते ही कहने लगे आपकी हिम्मत कैसे हुयी हमारे विभाग के बिल जमा करने की और चलो जमा भी करना तो तो कम से कम हमें बताना तो चाहिए था की मै विधुत विभाग के बिल जमा कर रहा हूँ । आपने बिलों के स्टब काउंटर (पार्श्व प्राप्ति रशीद ) भी अब तक जमा नहीं करवाए | साहब तो कुर्सी के रोब में १० मिनट तक नॉन स्टॉप चालू ही रहे । मै भी हाथ बांधे मुजरिम की तरह खड़ा रहा ।जैसे किसी की भैंस चोरी कर ली हो |
जब अधिकारी महोदय थोड़े रुके तो मैंने भी अपनी सफाई में बताया की जिस कंपनी से मैंने फ्रेंचाईजी ली है उस के निर्देश थे की स्टब काउंटर जमा करवाने की जरूरत नहीं है जिला स्तर पर जो जिला ई मित्र सोसाईटी (DGES) बनी हुयी है वो सारी रिपोर्ट सभी विभागों को जमा करवाती है और विभागों को पासवर्ड और आई डी दे रखी है वो भी विभाग में निकाल सकते है | इस लिए मैंने भी आपके पास आना और स्टब काउंटर जमा करवाना जरूरी नहीं समझा और अब आप मुझे बता रहे है की जमा करवाना जरूरी है तो मै आगे से जमा करवाता रहूँगा और जो अब तक के है वो आप जमा कर लीजिये ,साहब थोड़े ठीले हुए और कहने लगे ठीक है लेकिन आगे से जिस दिन भी आप बिल जमा करते है उसके दुसरे दिन स्टब काउंटर और विभाग की कैश बुक रिपोर्ट की दो कापी जमा करवाइए एक कापी हम रखते है दूसरी जिला ऑफिस में भेजते है |

      अब आप खुद सोचिये राजस्थान सरकार की इतनी बढ़िया योजना का कुछ सरकारी अधिकारी अपने स्वार्थ और अपने अहम् की खातिर कचरा बना रहे है | जब वो रिपोर्ट की दो कापी की मांग कर रहे है जब कायदे से एक ही कापी देनी चाहिए क्यों की दूसरी कापी तो उन्हें अपने विभाग के लिए भेजना है तो उसकी नकल करवाने के पैसे तो विभाग ही खर्च करेगा | दूसरा मुद्दा की बिल जमा करो उसके दुसरे ही दिन स्टब काउंटर जमा करवाओ जब की नियमानुसार ई मित्र कियोस्क काउंटर नागरिको की सुविधा हेतु बनाया गया है इस लिए सुबह ९ बजे से लेकर शाम को ७ बजे तक खुला रखना जरूरी है इन दोनों में से एक नियम तो तोड़ना ही पडेगा या तो स्टब काउंटर जमा नहीं होंगे अगर जमा करवाने जाएगा तो काउन्टर बंद करके जाना पडेगा |  अजमेर विधुत वितरण विभाग बिल जमा करने का प्रति बिल जो कमीशन देता है उसमे से कियोस्क धारक को ३.९० रूपये मिलते अब मान लीजिये किसी दिन ३ बिल जमा करवाने हेतु आये और उनके स्टब काउंटर जमा करवाने के लिए विभाग जाना पड़े तो मेरी दूकान से विभाग की दूरी ३ किमी है जहां जाने आने में १५ रूपये का पैट्रोल खर्च हो जाता है और अन्य खर्चे जैसे तीन पेज प्रिंटिंग का खर्चा बिल जमा करने में जो नेट का डाटा खर्च होता है वो सब मिला कर कमीशन से कंही ज्यादा हो जाता है | और आने जाने में जो कीमती समय जाया हो उसका भरपाई तो संभव ही नहीं है | एक बात ये भी है की क्या एक कियोस्क धारक सभी विभागों में जाकर बता सकता है की उसने अपना ई मित्र केंद्र शुरू किया है ?
           
     चलिए ये तो हुयी विभागों की बानगी अब बताता हूँ की सेवाए कुछ सेवाये तो एसी है जिनको शुरू तो कर दिया जाता है लेकिन उसमे जो कठिनाई आती है उसको दूर करने में कोइ मदद नहीं करता है अगर आप अपनी LSP (local service provider ) से सम्पर्क करते है तो वो लोग आपको हेल्प लाइन के नंबर पर बात करने के लिए कहेंगे जबकि हेल्प लाईन जिला ई मित्र सोसाईटी की अंडर में आती है वो बिलकुल सरकारी मुलाजिम है कभी कभार फोन उठा भी लेंगे तो आपकी मदद नहीं कर पायंगे और आपसे ये भी सलाह और उलाहना देंगे की LSP से प्रॉपर ट्रेनिंग नहीं ली है गाईड लाइन ठीक से पढ़िए | नतीजा सिफर .......|

     अभी अभी ताजा सर्विस में एक नयी सुविधा शुरू हुयी है भामाशाह योजना के कार्ड हेतु नाम जुडवाने की इसके बारे में क्या बताऊ अगर भूले से भी आपका इन्टरनेट किसी स्टेप पर जाकर डाउन हो गया या सिस्टम हैंग हो गया तो आप कुछ भी कर ले आप अपने किये हुए काम को दोबारा नहीं कर सकते है और ना ही सम्पादित कर सकते है यानी ना उगले बने और ना निगले बने ऊपर से सरकारी योजना है कोइ ये नहीं बता रहा है की कियोस्क धारक को मेहनताना क्या मिलेगा जबकि ये जरूर बताया जा रहा है की आवेदक से कोइ पैसा नहीं लिया जावेगा यानी फ्री ऑफ़ कोस्ट है |

1 comment:

  1. बिलों के स्टब काउंटर जमा कराना कियोस्क वालों की ड्यूटी है या विभाग खुद नेट से डाउनलोड करे?
    इसके लिए क्या नियम है यह आरटीआई द्वारा पूछा जा सकता है ! आप आरटीआई से पूछेंगे तो वो आपके खिलाफ हो जायेंगे अत: अपने किसी मित्र से आरटीआई भिजवाईये ! जबाब मिलने पर उसकी कॉपी साथ रखिये !!

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