आज मै आपका परिचय अपने ताऊ जी से करवा रहा हूँ | ये हमारे बलोग जगत वाले ताऊ नहीं है इन्हें तो यह भी नहीं मालूम की ब्लॉग क्या होता है | लेकिन उनकी बहुत सी विशेषताओं पर मै प्रकाश डालूँगा | शायद आपके कुछ काम आ सके |
हमारे दादा जी की सात सन्तान थी जिनमे पिताजी और ताऊ जी के रूप में दो लडके बाकी हमारी पांच बुआ जी | ताऊ जी दुसरे नंबर के है | इनका जन्म 1932 में हुआ था | उन्होंने हाई स्कूल गाँव के स्कूल से किया था | उस वक्त हाई स्कूल पास व्यक्ति कि बहुत कद्र की जाती थी | 1950 में वे भारतीय सेना में भर्ती हो गए | वंहा उन्होंने पांच साल काम किया उसके बाद परिवार वालो के दबाव में उन्होंने सेना की नौकरी छोड दिल्ली के संसद सचिवालय में नौकरी शुरू कि जिसमे बाबू की पोस्ट पर कार्य किया | वंहा पर विभिन्न विभागों में कार्य किया रिटायरमेंट के समय वे कपड़ा मंत्रालय में कार्य कर रहे थे | दिल्ली में नेताजी नगर के बी ब्लॉक में रहते थे |
आज उनकी उम्र अस्सी वर्ष के लगभग है लेकिन स्वास्थ्य उनका टकाटक है |घर से खेत की दूरी तीन किमी है वो भी बलुई मिट्टी वाला कच्चा रास्ता जिसपर चलने से आपकी दुगुनी ऊर्जा खर्च होती है | वे रोजाना दोनों समय खेत में जाते है वंहा अपना खेती बाडी का कार्य करते है| घर के समस्त कार्य स्वयं करते है | पानी भरना ,आटा पिसवाना बाजार जाना ,इस प्रकार के समस्त कार्य हेतु वे किसी दुसरे पर निर्भर नहीं रहते है |
उनकी दिनचर्या सुबह साढ़े चार बजे शुरू होती है | शौचादि के लिए भी वे दो किमी दूर खेत की तरफ जाते है जिससे उनकी सुबह की सैर भी हो जाती है | सूर्य उदय के समय वे सूर्य नमस्कार व् अन्य योगा करते है | उसके बाद स्नान आदि करते है | एक घंटा भगवतगीता का पाठ करते है | उसके बाद भोजन करते है | भोजन भी ज्यादतर वे खुद बनाते है | या अपनी देख रेख में बनवाते है | आटा हमेसा मोटा पिसवाते है | उसे छलनी से छानने के बाद उसका निरक्षण किया जाता निरक्षण के बाद उस चोकर को वापस आटे में डाल कर रोटी बनाई जाती है | भोजन भी बहुत सादा रहता है घी दूध दही आदी ही रहते है| दूध हमेशा गाय का ही लेते है भैस का दूध वे निकृष्ट समझते है | सब्जी कम मसाले की होती है | दोपहर के आराम के बाद वे अपनी गौशाला की देख रेख करते है |
उनकी गौशाला के बारे में हम हमेशा मजाक करते है | क्यों कि उन के पास जो भी गाय दूहने के लिए लाई जाती है वो ही थोड़े दिन बाद दूध देना बंद कर देती है | जिसका कारण उनका अपनी गायों के प्रती अगाध प्रेम है | उसे ज्यादा खिलाते पिलाते है और वो भी उतने ही नखरे करती है | इस प्रकार उनके पास हमेशा ही चार पांच गाय रहती है | उनकी देख रेख वे स्वयम ही करते है |
आप चित्र में उनकी गायों को देख सकते है |
हमारे दादा जी की सात सन्तान थी जिनमे पिताजी और ताऊ जी के रूप में दो लडके बाकी हमारी पांच बुआ जी | ताऊ जी दुसरे नंबर के है | इनका जन्म 1932 में हुआ था | उन्होंने हाई स्कूल गाँव के स्कूल से किया था | उस वक्त हाई स्कूल पास व्यक्ति कि बहुत कद्र की जाती थी | 1950 में वे भारतीय सेना में भर्ती हो गए | वंहा उन्होंने पांच साल काम किया उसके बाद परिवार वालो के दबाव में उन्होंने सेना की नौकरी छोड दिल्ली के संसद सचिवालय में नौकरी शुरू कि जिसमे बाबू की पोस्ट पर कार्य किया | वंहा पर विभिन्न विभागों में कार्य किया रिटायरमेंट के समय वे कपड़ा मंत्रालय में कार्य कर रहे थे | दिल्ली में नेताजी नगर के बी ब्लॉक में रहते थे |
आज उनकी उम्र अस्सी वर्ष के लगभग है लेकिन स्वास्थ्य उनका टकाटक है |घर से खेत की दूरी तीन किमी है वो भी बलुई मिट्टी वाला कच्चा रास्ता जिसपर चलने से आपकी दुगुनी ऊर्जा खर्च होती है | वे रोजाना दोनों समय खेत में जाते है वंहा अपना खेती बाडी का कार्य करते है| घर के समस्त कार्य स्वयं करते है | पानी भरना ,आटा पिसवाना बाजार जाना ,इस प्रकार के समस्त कार्य हेतु वे किसी दुसरे पर निर्भर नहीं रहते है |
उनकी दिनचर्या सुबह साढ़े चार बजे शुरू होती है | शौचादि के लिए भी वे दो किमी दूर खेत की तरफ जाते है जिससे उनकी सुबह की सैर भी हो जाती है | सूर्य उदय के समय वे सूर्य नमस्कार व् अन्य योगा करते है | उसके बाद स्नान आदि करते है | एक घंटा भगवतगीता का पाठ करते है | उसके बाद भोजन करते है | भोजन भी ज्यादतर वे खुद बनाते है | या अपनी देख रेख में बनवाते है | आटा हमेसा मोटा पिसवाते है | उसे छलनी से छानने के बाद उसका निरक्षण किया जाता निरक्षण के बाद उस चोकर को वापस आटे में डाल कर रोटी बनाई जाती है | भोजन भी बहुत सादा रहता है घी दूध दही आदी ही रहते है| दूध हमेशा गाय का ही लेते है भैस का दूध वे निकृष्ट समझते है | सब्जी कम मसाले की होती है | दोपहर के आराम के बाद वे अपनी गौशाला की देख रेख करते है |
उनकी गौशाला के बारे में हम हमेशा मजाक करते है | क्यों कि उन के पास जो भी गाय दूहने के लिए लाई जाती है वो ही थोड़े दिन बाद दूध देना बंद कर देती है | जिसका कारण उनका अपनी गायों के प्रती अगाध प्रेम है | उसे ज्यादा खिलाते पिलाते है और वो भी उतने ही नखरे करती है | इस प्रकार उनके पास हमेशा ही चार पांच गाय रहती है | उनकी देख रेख वे स्वयम ही करते है |
ताऊ जी की गाये |
संतुलित और देसी रहन सहन स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याओं का हल है..... जैसे ताउजी को ही देखिये..... अच्छा लगा उनके विषय में जानकर
ReplyDeleteबढ़िया लगा आपके बाबोसा के बारे में जानकर |
ReplyDeleteपहले आपको देखकर व अब आपके बाबोसा के स्वास्थ्य के बारे जानकर यह आसानी से अनुमान लगाया जा सकता है कि आपके परिवार में रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी है |
पुराना और स्वस्थ भारत दिख गया आपके ताऊजी में।
ReplyDeleteसुंदर चित्रण. आज की पीढ़ी के पास ये सब करने की फुर्सत ही नहीं है.
ReplyDeleteउस युग के अधिकांश आदर्श व्यक्तियों का यही जीवन था। इसी सादगी से समाज प्रेरित होता था। हमारा उन्हें प्रणाम निवेदन करें।
ReplyDeleteभारत की सामाजिक ,सांस्कृतिक ,आधात्मिक व अर्थ व्येवस्था का आधार गौ माता ही है |आज इस माता पर भूत संकट है ॥हे भारत भारतवासियों आपको गौ माता पुकार रही है ॥उसको बचाओ ...आप किनही कारणो से पाल नही सकते हो तो ॥उसके आधारित बने उत्पादो को तो अपना सकते हो |................नरेश जी आपको साधुवाद की आपने एक बहुत सुंदर प्रयास किया
ReplyDeleteआप के ताऊ जी के बारे पढ कर अच्छा लगा, पुराने जमाने के लोग मेहनती होते थे,ताऊ जी को प्रणाम
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