लूर, होली के गीतो के स्वर सुनाई पडने लग जाते है । तरह तरह कि विचित्र वेशभुषा
धारण किये हुये कुछ मजाकि लोग यहा गली चौराहे पर मिल जाते है । रात्री को
सामूहिक रूप से चंग(ढप) बजाते हुये धमाल गाते है । आजकल तो तकनीकि युग
आ गया है इस लिये म्यूजिक कम्पनियो के रिकार्डेड संगीत का ज्यादा चलन हो
गया है | मैने भी सोचा क्यों न शेखावाटी से दूर गये हुए लोगो को कुछ धमाल सुनाई
जाए जिसे सुनना उनके लिए अब शायद नामुमकिन सा हो गया है वैसे आप सबने
सीमा मिश्रा की आवाज में वीणा कैसेट पर ही ज्यादातर धमाल सूणी है लेकिन
वह ओरिजनल धमाल नहीं है |शेखावाटी की ओरिजनल धमाल आज आप यहाँ सुनेगे
आप महशूश करेंगे कि अभी आप अपने गांव मे पहूंच गये है ।
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(यह चित्र गूगल से लिया गया है किसी को ऐतराज होने हटा दिया जायेगा )
बहुत सुन्दर धमाल रहा. हम इसे उतरने का प्रयास कर रहे हैं. आभार.
ReplyDeleteआपकी धमाल ने तो ....... बचपन में सुनी होली की धमाल की याद दिलादी है.
ReplyDeleteऔर भी कुछ हो तो वो भी सुनावो ना.........इंतजार रहेगा.
होली का पूरा रंग है इस में ..शुक्रिया
ReplyDeleteOriginal Dhamaal sunane ka shukriya..
ReplyDeleteहमें तो हर बार नहाने के बाद भिगोते थे दोस्त हमारे ....वाकई होली अगर ढंग से खेली जाए तो इससे बेहतर कोई त्यौहार नहीं
ReplyDeletenarendraji maja aa gaya mai bhi shekhawati k sikar shahar se hihun aapne mujhe mera bachpan yaad dila diya
ReplyDeleteनरेश जी, कई सालो बाद ये स्वर कानो को सुनने के लिए मिले है , बहुत अच्छा लगा हो सके तो कुछ और अच्छी -अच्छी धमाल रिकॉर्ड कर ले ताकि शेखावाटी से दूर बैठे लोग भी इन्हें सुन कर अपनी यादे तजा कर सके !
ReplyDeleteभाई मज़ा आ गया होली के बारे जानकर और गीत सुनकर। एक अलग ही रंग में रंग गया।
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