Followers

Friday, May 10, 2013

फस्गो देश लफंगा मै- राजस्थानी कविता -भागीरथ सिंह भाग्य


आ रै साथी जतन करां फस्गो देश लफंगा मै ।
काळै मुह का धोळ पोशिया हाथ घिचौळै गंगा मै ॥

कोई रथ मै लांघ बान्ध रह्यो कोई लांघ खींच रह्यो है ।
कोई टोपी टेढी करकै दिन भर जाड भींच रह्यो है ॥
कोई चक्कर कै चक्कर मै देश धकेलै दंगा मै .. .....आ रै साथी जतन करां

कह कै नट ज्या बढ कै हट ज्या आ का सांग अणुता है ।
मंगता बणकै बोट मांग सी जीत्या पाछै जूता है ॥
जैपर को न्यूतो दे ज्यावै खुद लादै दरभंगा मै ... .....आ रै साथी जतन करां

जा मै दिन मै माता बोलै बांका मुजरा रातां मै ।
जा बहणा का चरण पखारै रात भाण बै बांथा मै ॥
अब देखो लूंड मरै लिपटै लाश तिरंगा मै ... .....आ रै साथी जतन करां

जनता सामी बाजीगर बणकै के के खेल दिखा रह्या है ।
जन विकास की लिया बान्दरी करज विदेशी खा रह्या है ।
गरज, हेकडी, नकटाई, बेशर्मी, आ भिखमंगा मै ........ आ रै साथी जतन करां


4 comments:

  1. बहुत ही यशस्वी पर करारी चोट करती हुई रचना पढवाने के लिये आभार.

    रामराम.

    ReplyDelete
  2. भागीरथ जी की कविता "एक छोरी कालती हमेशा जीव बालती" तो आज तक भी सुनते हैं.

    रामराम

    ReplyDelete
  3. एकदम सटीक स्थिति बयां की है भागीरथ जी ने

    ReplyDelete
  4. सच में ऐसी दशा में फँस जाना दुर्भाग्य ही है जनता का।

    ReplyDelete

आपके द्वारा की गयी टिप्पणी लेखन को गति एवं मार्गदर्शन देती है |