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Friday, June 26, 2009

शेखावाटी के प्रसिद्ध कवि श्री भागीरथ सिह ' भाग्य ' Sekhawati's famous poet Shri Bhagirath Singh 'Bhagya'

शेखावाटी के बगड़ कस्बे मे पैदा हुये कवि श्री भागीरथ सिंह ‘भाग्य’ राजस्थानी भाषा के अग्रणी कवियों मे से एक हैं। इन्होने राजस्थानी भाषा मे अनेक कविता संग्रह लिखे है । जिसमें से एक कविता संग्रह दर्द दिसावर के संकलित अंश मै यहाँ पेश कर रहा हू ।
यह कविता संग्रह उन्होने तब लिखा था जब वे कुछ समय नोकरी के सिलसिले मे बाहर गये थे । बाहर कमाने के लिये गये हुये कवि के मन कि कसक और व्यथा का उन्होने सजीव और मार्मिक चित्रण किया है । म्हारी बात नामक शीर्षक मे उन्हीं के शबदो मे
दिसावर री हांफला भरती जिंगाणी
भीड़...... भीड़...... भीड़......
भीड़ माय चिथ्योडी खुद री छाया नै बचावतो म्हारो मन
जद कई कई दिना तक म्हारे कने नही हुतो
उण वखत
बस दूहा ही संगी साथी हा


लोग
जाणै कायदा ना जाणै अपणेस
राम भलाईँ मौत दे मत दीजै प्रदेश ||

ना सुख चाहु सुरग रो नरक आवसी दाय।
म्हारी माटी गांव री गळियाँ जै रळ जाय॥

जोगी आयो गांव सूँ ल्यायो समचार
काळ पड्यो नी धुक सक्यो दिवलाँ रो त्युहार्

इकतारो अर गीतडा जोगी री जागीर
घिरता फिरतापावणा घर घर थारो सीर

जोगी बंतल कराँ पूछा मन री बात
उगता हुसी गांव मँ अब भी दिन अर रात

जमती हुसी मैफलाँ मद छकिया भोपाळ
देता हुसी आपजी अब पी कै गाळ

दारू पीवै आपजी टूट्यो पड्यो गिलास
पी कै बोलै फारसी पड्या एक किलास

साँझ ढल्याँ नित गाँव री भर ज्याती चौपाळ
चिलमा धूँवा चालती बाताँ आळ पताळ

पाती लेज्या डाकिया जा मरवण रै देश
प्रीत बिना जिणो किसो कैजे सन्देश

काळी कोसा आंतरै परदेशी री प्रीत
पूग सकै तो पूग तूँ नेह बिजोगी गीत

मरवण गावै पीपली तेजो गावै लोग
मै बैठयो परदेश मँ भोगू रोग बिजोग ।।

सावण आयो सायनी खेता नाचै मोर
म्हारै नैणा रात दिन गळ गळ जावै मोर


*चिथ्योडी- दबी कुचली * रळ मिलना *धुक सक्यो -मनाया जा सका

*मैफलाँ महफिल,पार्टी *आपजी पिताजी *सीर- हिस्सा *आळ

पताळ जिसका कोई ओर छोर नही हो (अनंत) *पाती – पत्र

*मरवण राजस्थान की एतिहासिक नायिका ( प्रेमिका)

*काळी कोसा – बहुत ज्यदा दूर *पूग पहूंच *सायनीसमान उम्र ( नायिका)