पिछले भाग ने आपने बख्तावरपुरा की कहानी के बारे में पढा इस भाग में आप इसकी सफाई व्यवस्था और पानी के प्रबन्धन के बारे में जानेंगे . इस गाँव में प्रत्येक गली में बारिस का पानी इकठा करने के लिए के लिए ७० फीट गहरे सोखते गढ्ढे बनाए गए है जिसमे गली मोहल्लो में बहने वाला बरसात का पानी इन सोखते गढ्ढो में भर जाता है और जमीन में पानी का जो स्तर गिरता जारहा था वो अब ऊपर आने लगा है इसी प्रकार घरो में जो व्यर्थ पानी बहता है उसके लिए भी चार पांच घरो के बीच में एक सोखती कुई का निर्माण कराया गया है इस प्रकार की कुयीयो की संख्या ७५ है | सभी गलीयो में कूडा पात्र रखा गया है | तकरीबन तीस कूडा पात्र रखे गए है | ६ टांके व आधुनिक सुविधाओं वाले ४५ सामुदायिक शोचालय बनाए गए है |
गाँव की उपलब्धिया - नई तकनीक अपनाने पर इस गाँव को -
आदर्श ग्राम अवार्ड
स्वास्थ्य मित्र अवार्डभामासा अवार्ड
निर्मल ग्राम पुरूस्कार अवार्ड
जलमित्र पुरूस्कार मिले है | १६ नवम्बर २००८ को सार्क प्रतीनिधिमंडल ने इस गाँव का अवलोकन कीया तथा सफाई व्यवस्था का जायजा लिया |
४ मई २००७ को अम्बेडकर स्टेडियम नयी दिल्ली में तत्कालीन राष्ट्रपती ए पी जे अब्दुल कलाम आजाद ने इस गाँव को निर्मल ग्राम पुरूस्कार दिया | इस पुरूस्कार को प्राप्त तो बहुत सी ग्राम पंचायतो ने किया है लेकिन बहुत ही कम ग्राम पंचायते है जहा इस सफाई व्यवस्था को बाद में भी कायम रख पायी हो | आज इस ग्राम की जो काया पलट हुयी है उसका सारा श्रेय यहाँ के सरपंच श्री महेंद्र जी कटेवा को है जिनकी अथक मेहनत व लगन से यह सब संभव हो पाया है | जब भी मीडिया वालो ने उनसे यह पूछा की इसका श्रेय आप किसे देते तो उन्होंने यह सब गाँव वालो की मेहनत का परीणाम बताया है | अब देश भर में जंहा भी सफाई व ग्रामीण विकास की कार्यशाला आयोजित की जाती वहा श्री महेंद्र जी कटेवा को बतौर वक्ता बुलाया जाता है |
अविस्वस्नीय किन्तु असम्भव नहीं -अनुकरणीय
ReplyDeleteसही हैं गांव ऐसे सुधर जाएं तो, शहर भी झुग्गियों से बच जाएं। आदर्श विकास का मॉडल ऐसे ही बन सकता है
ReplyDeleteलोग यदि अपने गाँव को प्यार करते हों और सफाई को भी तो यह सब किसी भी गाँव में हो सकता है। बस फोकट राजनीति न करें।
ReplyDeleteजो लीडर होते हैं वो पहले चल कर दिखाते हैं बाकी तो नकल करते हैं. आपका गांव वाकई लीडर है जो एक सच्ची मिसाल कायम कर रहा है. बहुत जरुरत है आज इन कार्यों की, बहुत शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
इस गांव के बाशिंदों की जितनी प्रशंसा की जाए कम है।
ReplyDeleteकाश दुसरे गांवों के लोग और वहां के सरपंच इस गांव से प्रेरणा ले तो कई गांव में ये सुविधाएँ हो सकती है | इस गांव के बारे में में तो कहूँगा कि ये शहरों से भी एक कदम आगे निकल गया है |
ReplyDeleteकाश इन गांव वालो से यह शहर वाले भी कुछ अकल लेते, मुझे आप को हम सब को ऎसे गांव पर मान होना चाहिये, जो जो भी पढे इस लेख को कम से कम अपना मुह्ल्ला, अपनी गली को ऎसा ही रुप दे.
ReplyDeleteधन्यवाद
बहत अच्छा लगा। काश सभी गांव ऐसे हो जाएं...
ReplyDeleteआभार इस जानकारी के लिए। आपकी सकारात्मक दृष्टि से हमें और भी मनभावन और प्रेरक जानकारियां मिलती रहें। जै जै
आपका गाँव तो इस विषय में एक अनुकरणीय उद्धाहरण प्रस्तुत कर दिया है....
ReplyDeleteबेहद प्रेरणायी प्रयास !
महत्वपूर्ण व अनुकरणीय है यह पूरे देश के लिये । आभार ।
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