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Thursday, March 14, 2013

अफ़ग़ानिस्तान से वापसी

सभी पाठको और मित्रो को प्रणाम । 16 महीने की मजदूरी करने के बाद अब ये ब्लोगर वापिस घर आ गया है । हालांकि इस दरमियाँ ब्लॉग जगत से दूरी ही बनी हुयी थी कुछ सुरक्षा कारणों के चलते और कुछ विदेशी नौकरी के नियमो के चलते ब्लॉग जगत से दूरी बनाये रखने की मजबूरी सहनी पडी । लेकिन अब सारी बंदिशे हट चुकी है | इस लिए अब मै आराम से आपको वंहा के हालात बता सकता हूँ ।

1. आवास व अन्य जनरल सुविधाए-  वंहा रहने के लिए सभी लोगो के लिए टेंट बने हुए थे । जिसमे वाटर प्रूफ कपडे की दोहरी दीवार होती है । अन्दर तापमान को नियंत्रित करने के लिए बड़ी साईज की एयर कंडीशन और डीजल फायर हीटर लगे थे;जिससे अन्दर का तापमान लगभग 20 से 25 डिग्री रहता था  । सभी के लिए बढ़िया क्वालिटी के गद्दे और मिंक के कम्बल दिए हुये थे । टेंट के अन्दर धुम्र पान की सख्त मनाही थी । नहाने के लिए गरम और ठंडा पानी २४ घंटे उपलब्ध रहता था । कपडे धोने के लिए लौंड्री की सुविधा दी गयी थी जिसमे आप अपने कपडे सप्ताह में एक बार धो सकते है (डिटर्जेंट फ्री ) ।


2 . खाना पीना - सुबह नाश्ता ,दोपहर का खाना ,रात्री का खाना ( अंडे ,आमलेट ,ब्रेड ,फ्रूट ,दूध ,केक,बिस्किट ,हैस ब्राउन ,ग्रीट,बॉईल राईस ,बॉईल की हुयी सब्जिया ) ये सब रहता था केवल तय समय पर बाकी चाय ,कोफी ,शीतल पेय आदी की सुविधा 24 घंटे रहती थी । इसके अलावा आप अपने ऑफिस में भी ओवन में थोडा बहुत बना सकते है ।

3 .वातावरण - वंहा का वातावरण भी भारत की तरह भोगोलिकता के आधार पर बदलता रहता है ।जंहा मै रहा था ,वो स्थान समुद्रतल से बहुत ऊँचाई पर था वंहा बरसात बहुत कम होती थी बर्फबारी ही होती थी । बर्फ गिरनी जनवरी से शुरू होती है और मई में पिघलती है तापमान न्यूनतम माइनस १५ डिग्री अधिकतम ३५ डिग्री सेन्टीग्रेड रहता है ।

4 .यातयात एवं परिवहन - यातयात के साधन के रूप में हेलीकोप्टर ही मुख्य साधन थे । जिसकी क्षमता ८ यात्री २ चालक एक सह चालक और १ टन सामान को ढो सकते है । सड़क मार्ग से केवल रसद व अन्य भारी सामान आता जाता था , वो भी सेना की निगरानी में । केम्प के अन्दर घूमने फिरने और अन्य कार्यो हेतु विभिन्न मोडल की गाडिया काम में ली जाती थी ।

5 . विधुत व्यवस्था - इस मामले में अफगानिस्तान बहुत पिछड़ा हुआ है , बिजली के लिए सभी को जेनरेटर पर निर्भर रहना पड़ता है । सेना के केम्प में भी इसी से बिजली का निर्माण किया जाता है । सुरक्षा कारणों के चलते बाहर रोशनी नहीं की जाती है केवल टेंट के अन्दर या अन्य अंदरूनी जगहों पर ही रोशनी की जाती है । बाहर आपको टोर्च पर निर्भर रहना पड़ता है ।
   शेष अगले भाग में ( अगर आपको कोइ अन्य जानकारी चाहिए तो टिप्पणी करे । )