सबसे पहली टिप्पणी अजीत गुप्ता जी ने की “लेखन कभी भी आर्थिक सम्पन्नता से नहीं होता। यह तो फक्कडों का ही काम है। लेकिन ब्लाग लिखने के लिए कम्प्यूटर, ब्राडबेण्ड आदि चाहिए हीं इसलिए कुछ न कुछ तो दमड़ी जेब में होनी ही चाहिए।”
@अजीत गुप्ता जी, आर्थिक संपन्नता या गरीबी की बात नहीं कह रहा हूँ मै तो उस ब्लोगर की कार्यक्षमता का उपयोग कहा हो रहा है ये जानना चाहता था |
सतीशचन्द्र सत्यार्थी जी “ मुझे नहीं लगता कि आय से इसका विशेष सम्बन्ध है (बशर्ते कि व्यक्ति की पहुँच कम्प्युटर और इंटरनेट तक हो).. अगर ऐसा होता तो सबसे ज्यादा पोस्ट अम्बानी लिख रहे होते :)यह आपके व्यक्तित्व, रुचियों और अपने को अभिव्यक्त करने करने की तीव्र इच्छा से सम्बंधित है.. रुचि होगी तो ५०० रूपये प्रतिमाह की आय वाला भी लिख लेगा.. नहीं तो ५०००० कमाने वाले भी टेंशन में रहते हैं...”
@सत्यार्थी जी केवल रूची से ही सब काम नहीं होता है खाली पेट ब्लोगिंग तो क्या जीने की कल्पना भी नहीं की जा सकती है |५०० रूपये की आय में परिवार का पोषण कैसे होता है ये मेरी तो समझ में नहीं आया है किसी को आया हो तो ज़रा समझाए |
एक अजनबी जी ने फरमाया “बस दोनों टाईम दो मुट्ठी चना मिल जाए यही काफी है |ब्लागिंग करने वाले को भूख तो वैसे भी नहीं लगती कहीं आना-जाना होता नहीं इसलिए कपड़ों की भी चिंता नहीं "Kajal Kumar “मेरे ख्याल से आपका सवाल उल्टा है. सही तो ये है कि जो अफ़ोर्ड कर पाते हैं वहीं ब्लागिंग में हैं न कि न्यूनतम माल-मत्ता होने पर ही ब्लागिंग की जा सकती है “
@अजनबी जी, बीवी बच्चे क्या चने से काम चला लेंगे |
@भाई काजल कुमार जी , आपकी बात में दम है लेकिन केवल ब्लोगिंग की बात तक तो ठीक है, मगर सक्रियता का प्रश्न भी है यंहा |
गोलमाल जवाब देने वालो में रतन सिंह जी ,फुलवरिया जी एस एम् मासूम जी ,वन्दना जी ,अजय कुमार झा जी
अब उन लोगो की बात जिन्होंने सही राय व्यक्त की है |
निर्मला कपिला जी =10--15 हजार रु.
दिनेशराय द्विवेदी जीDineshrai Dwivedi =30000 रु.
केवल राम :जी = 15000 रु.
खबरों की दुनियाँ =20,000 रुपये
अल्पना वर्माजी = 15000 रु.
अविनाश वाचस्पतिजी =50000रु.
दीप्ति शर्माजी = 20000से 25000रु.
ये सब आंकड़े देख कर मैंने भी निर्णय ले लिया है |अब बलोग जगत में सक्रियता से सन्यास लेना ही पडेगा | मेरे इस निर्णय से हिन्दी ब्लॉग जगत में कोइ बहुत बड़ा परिवर्तन नहीं आएगा | पोस्ट लिखना जारी रखूंगा लेकिन टिप्पणियाँ देने में असमर्थ हूँ |जो भी ब्लोगर इस ब्लॉग पर इस आशा में टिप्पणी देता है कि मै वापस उनके बलोग पर जाकर टिप्पणी दूंगा तो वो भाई मुझे क्षमा करे मै ऐसा अब नहीं कर पाऊंगा |अगर किसी बलोगर भाई को कोइ तकनीकी समस्या आ रही हो तो उसके लिए मै हमेशा तैयार हूँ | धन्यवाद
मेरा जवाब २०००/- था शायद वो पोस्ट ना हो सका किसे कारण से. आप लिखते रहे टिप्पणी करने ना भी आ पाए तो कोई बात नहीं. आशीर्वाद केम रहे.
ReplyDeleteआपकी बात समझ नहीं आयी। आप किसी को टिप्पणी नहीं देंगे तो इससे क्या फर्क पड़ने वाला है? यह बात ही अजीब सी है कि टिप्पणी पाने के लिए टिप्पणी की जाती है। लोगों के अन्दर अपने विचार हैं और वे अपने विचार स्वतंत्रता से रखना चाहते हैं इसलिए टिप्पणी करते हैं। जिनके पास विचार नहीं हैं वे बढिया या नाइस से ही काम चला लेते हैं। आप यदि अच्छी पोस्ट लिखेंगे तो हम उस पर अवश्य टिप्पणी करेंगे यदि आपने आप्शन रखा होगा तो। और इस पोस्ट का भी अर्थ समझ नहीं आया, कृपया स्पष्ट करें।
ReplyDeleteआदरणीय नरेश जी
ReplyDeleteसादर प्रणाम
आपने जो सुर्वे करवाया सच में उसे देख कर लगता है ..कि ब्लोगिंग करना कोई आसन बात नहीं ..सब कुछ चाहिए एक व्यक्ति को जीने के लिए ..पर जहाँ तक ब्लोगिंग का सम्बन्ध है .यह .विचारों को अभिव्यक्त करने के लिए यह एक सशक्त माध्यम है ...आप अपने विचारों को अभिव्यक्त करते रहें ..बाकि टिप्पणी तो लेखन पर दी जाती है .....मैं ऐसा सोचता हूँ ...टिप्पणियाँ न ही सही .परन्तु आपकी पोस्ट का तो इन्तजार हमेशा रहेगा ..शुभकामनायें
ब्लॉग जगत में सब अपना सहयोग करें, सामर्थ्य के अनुसार।
ReplyDeleteलोहड़ी और उत्तरायणी की सभी को शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteआते रहेंगें..... पोस्ट पढने भी और अपने विचार रखने भी......
ReplyDeleteनरेश जी
ReplyDeleteप्रणाम
टिप्पणियाँ न ही सही .परन्तु आपकी पोस्ट का तो इन्तजार हमेशा रहेगा
आपको और आपके परिवार को मकर संक्रांति के पर्व की ढेरों शुभकामनाएँ !"
ReplyDeleteलोहड़ी, मकर संक्रान्ति पर हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई
ReplyDeleteअजीत गुप्ता जी की टिप्पणी को ही दोबारा पढ लें
ReplyDeleteमेरे विचार भी यही हैं जी
बस एक बात का वायदा चाहते हैं कि लिखते रहें, जैसे भी बन पडे
प्रणाम