मै आपको बता दू की आयुर्वेद से मुझे बचपन से ही लगाव रहा है| अब ब्लॉग के माध्यम से मै आपको इस ज्ञान की खुराक समय समय पर पिलाया करूंगा |
सबसे पहले आते है आजकल के आम रोग पथरी पर | यह रोग आजकल ज्यादा ही पैर पसार रहा है | इस रोग की संभावना उन लोगो में ज्यादा है जिन्हें बहुत कम पेशाब की हाजत होती है | इस रोग की दो अवस्था होती है प्रथम अवस्था में यह बहुत परेशान करता है जब मूत्राशय में पत्थर बनने शुरू हो जाते है | क्यों की ये पत्थर इधर उधर गतिमान होते रहते है जिससे रोगी के पेट में बहुत दर्द महसूस होता है | उसके बाद इनके आकार में वृद्धि हो जाती है और ये अपनी जगह बना लेते है और नलिकाओं में व्यवस्थित हो जाते है | उस के बाद दर्द बंद हो जाता है | रोगी सोचता है की वह ठीक हो गया है | लेकिन महीने दो महीने बाद जब उस स्टोन की साईज और ज्यादा बढ़ जाती है और पेशाब की नलीकाये अवरूद्ध हो जाती है तब दुबारा ज्यादा दर्द होना शुरू हो जाता है |
 |
गोखरू का फूल |
पत्थरी की चिकित्सा में सबसे महत्वपूर्ण औषधी है गोखरू जिसे कई नामों से जाना जाता है | संस्कृत में गोक्षुर,बंगाली में गोखरी ,तेलगु में पालेरी कहते है | यह उत्तर भारत में बहुत ज्यादा पाया जाता है | यह दो तरह का होता एक पहाडी दूसरा देशी | औषधीय उपयोग में देशी गोखरू ही उपयोग में आता है |इसका फल कटीला होता है | फूल पीले रंग के होते है | पोधे की ऊँचाई अधिकतम 18 इंच तक होती है |
 |
गोखरू का पौधा |
औषधी विक्रेता के पास इसके बीज मिलते है जिनका उपयोग आप कर सकते है |पत्थरी के रोगी को इसके बीजो का चूर्ण दिया जाता है तथा पत्तों का पानी बना के पिलाया जाता है | इसके पत्तों को पानी में कुछ देर के लिए भिगो देते है | उसके बाद पतो को १५ बीस बार उसी पानी में डुबोते है और निकालते है इस प्रक्रिया में पानी चिकना गाढा लार युक्त हो जाता है | यह पानी रोगी को पिलाया जाता है स्वाद हेतु इसमे चीनी या नमक थोड़ी मात्रा में मिलाया जा सकता है | यह पानी स्त्रीयों में स्वेत प्रदर ,रक्त प्रदर पेशाब में जलन आदि रोगों की राम बाण औषधी है | यह मूत्राशय में पडी हुयी पथरी को टुकड़ों में बाट कर पेशाब के रास्ते से बाहर निकाल देता है | अगर किसी प्रकार की कोइ शंका हो तो किसी अच्छे वैध से परामर्श लेवे |
 |
गोखरू के बीज |
श्री गंगा नगर (राजस्थान) के बैंक कर्मी श्री अमित कुमार मित्तल
असिस्टेंट कमान्डेंट राज्यश्री राठौड़ :राजस्थान की पहली महिला पायलट
छोटी सी उमर
ज्ञानवर्धक जानकारी।
ReplyDeletevery good post
ReplyDeleteनरेश जी । मेरा नेट चार्ज मंथली । 717 रु. मिनिमम आता है ।
ReplyDeleteइसमें मुझे 1.5 gb मिलता है । आपने जो नोकिया फ़ोन द्वारा
नेट यूज करने के बारे में लिखा है । उस सम्बन्ध में फ़ोन पर बात
करना चाहता हूं । लेकिन about me में भी आपका नम्बर नहीं था ।
कृपया एक मिनट की काल करके अपना परिचय दे देना । फ़िर मैं फ़ोन
मिला लूंगा । असल में मेरे फ़ोन पर मिस्ड काल बहुत आती है । इसलिये एक काल
आपको करनी होगी । एक मिनट की । मेरा नम्बर 0 98087 42164
है ।
बहुत उत्तम जानकारी दी आपने, बचपन मे ये गोखरू उखाड उखाड कर उंट को खूब खिलाये हैं.
ReplyDeleteरामराम.
बहुत ही अच्छी जानकारी प्रदान की है। नरेश जी आपने आजकल ये पत्थरी वाला रोग बहुत ज्यादा लोगों को हो रखा है। अच्छा इस पोस्ट को पढ़कर उनको इस रोग से सस्ते में निजात की जानकारी मिल सकेगी
ReplyDeleteहमारे आस पास ऎसी बहुत सी वनस्पतियां है जो बहुत काम की है पर उनके उपयोग के बारे मे पता नही होने के चलते हम उनका सदुपयोग नही कर पाते ,आपका जानकारी देने का यह प्रयास बहुत लाभदायिक रहेगा :)
ReplyDeleteअच्छी जानकारी है। कोई रोगी मिला तो निश्चय ही सलाह दूंगा आजमाने की।
ReplyDeleteजानकारी तो आपने बहुत बढिया प्रदान की....गोखरू नाम सुना तो था लेकिन ये नहीं मालूम था कि इस पौधे का नाम है. ये तो यहाँ बहुतायत में मिलता है...खरपतवार के जैसे.
ReplyDeleteप्राकृ्तिक चिकित्सा जैसा तो कोई विज्ञान ही नहीं...लेकिन ऎलोपैथी के इस युग में लोग भी भला कहाँ मानते हैं.
ReplyDeleteबहरहाल जानकारी बढिया रही...कौशिश करें कि इसे निरन्तर रखें.
मगर ये क्या पित्त कि थैली में होने वाली पत्थरी में भी काम करती है।
ReplyDeletepathree ka yah to bda aasan upchar hai, lekin aajkal ke yuvako ko desi upchar per jara kam hi bharosa hota hai.
ReplyDeleteplz add share (facebook etc.) button in this post
ReplyDeleteMAI DO SAL ROG SAI GARSAT HUN PESAB KI BAJHA SE MAI KIYA KAR SIR............. ISKA KOI UPAYE BATYE
ReplyDelete