यह कविता शेखावाटी के प्रसिद्ध कवि श्री भागीरथ सिंह भाग्य ने लिखी है | यह कविता राजस्थानी कविता जगत में उनकी सुपर हिट कविता है | उनके हर एक कवि सम्मेलन में इस कविता को सुनवाने का आग्रह श्रोताओं द्वारा किया जाता है | इस कविता की लोकप्रियता का आलम यह है कि इस कविता को एक राजस्थानी फिल्म में गीत के रूप में भी लिया गया है इस फिल्म का शीर्षक भी इस कविता के शीर्षक को रखा गया है | आपको इसका काव्य पाठ सुनने के लिए आपको मेरी गीत संगीत वाली पोस्ट पर जाना पड़ेगा | इस पोस्ट को मै समय समय पर अपडेट करता हूँ ताकी हर बार एक ही विषय पर नयी पोस्ट ना लिखनी पड़े |
एक छोरी काळती हमेशा जीव बाळती,
सींवा जोड़ खेत म्हारो चाव सूँ रूखाळती |(एक छोरी...
ऊंचा ऊंचा टीबडा मै रूंखड़ा रो खेत हो ,
खेत रुजगार म्हारो खेत सूँ ही हेत हो |
हेत हरियाल्या नै तावडा सूँ टाळती || (एक छोरी ...
बेल बीरो शीश फूल फूल बीरी राखड़ी,
एक बार आखडी तो बार बार आखडी |
लाज सूँ झुकी झुकी सी लूगड़ी संभाळती|| (एक छोरी ...भोत राजी रेवती तो झूपडी बुहारती ,
रूसती तो गाव्ड्या नै बाछड़ा नै मारती |
हेत जै जणावती तो टींडसी उछाळती || (एक छोरी ...
गाँव रै गुवाड़ बीच देखती ना बोलती ,
हेत सूँ बुलावता तो आँख भी ना खोलती |
खेत मै ना जावता तो गाळीयाँ निकालती ||(एक छोरी ....
कविता को बहुत ध्यान से पढने के बाद भी समझने मै मुश्किल आ रही है, आप का ओर कवि श्री भागीरथ सिंह भाग्य जी का धन्यवाद
ReplyDeleteगजब की रचना है, ऐसी ही कुछ और नायाब रचनाएं जोगाड कर लगाओ जी.
ReplyDeleteरामराम.
मैंने तो आपके द्वारा भेजी गयी इस कविता की सी डी को mp3 में बदल कर मोबाइल में लोड कर रखी है जब भी दोस्तों के साथ होते है सभी इनकी कविताएँ सुनकर मजा लेते है | हमें तो वो गांव वाली कविता और भी मजेदार लगती है |
ReplyDeleteलोक देवता पाबू जी पर आपका लिखा लेख पढ़कर दिल्ली में उनके एक भक्त का फोन आया था उन्हें पाबू जी का इतिहास चाहिए था संयोग से उस वक्त मैं जोधपुर में था और उनके लिए पाबू प्रकाश ले आया कल वे उसे लेने आये थे पुस्तक पाकर वे अपने आप को धन्य समझ रहे थे पाबू जी के प्रति उनके मन में आस्था देखते ही बन रही थी | उनकी आस्था देख मेरे मन में भी उनको पुस्तक उपलब्ध करा कर संतुष्टि के भाव महसूस हो रहे थे |
ReplyDeleteराजपूत वर्ल्ड पर पाबू जी के बारे में लिखने पर आपको भी वे हार्दिक धन्यवाद दे रहे थे कि उस लेख को पढने के बाद उन्हें पाबू जी का पूरा इतिहास मिल गया | उनका एक बच्चा आपका लेख नेट से प्रिंट कर घर ले आया था तब उन्हें पता चला |
भोत राजी रेवती तो झूपडी बुहारती ,
ReplyDeleteरूसती तो गाव्ड्या नै बाछड़ा नै मारती |
हेत जै जणावती तो टींडसी उछाळती ||
नरेश सिंग जी म्हे तो घणाई दिन पाछे अठे आया
और मनड़ा के लायक गीत मिल ग्यों। मजो आ ग्यों
राम राम
बहुत सुन्दर कविता है जी
ReplyDeleteसुनने में तो मजा ही आ गया, धन्यवाद
प्रणाम स्वीकार करें
"ek chhori kalti" kavita mere guru ki rachana thi. jiski mujhe kaafi dino se talas thi, jo mujhe aaj mili. Thanks.
ReplyDeleteVAH SIR JI
ReplyDeleteMAZA AA GYA .... DIL KHUSH HO GYA
AAP KA JAWAB NHI APNI PERSONAL EMAIL ID DO HUME
HUM AAP K FAN HO GYE
MANJEET SINGH
vah sir jawab nhi aap ka
ReplyDeletedil khush kar diya aap ne to
bhut achi lgi aap ki kvita
mahan thari sari kavita badiya lag h me to din mai 3-4 bar thari kavita padha ha
ReplyDeleteak or kavita h aapri or wo
ungli pakar maharo puncho re pakad than duniya dikhalawungi chal r sathira mahara kheta m thana duniya dikhalungi
ya kavita m suriya mandal ma suni hi ik bad m koni mili
Bahut chokhi lagi
ReplyDeleteMaine yah kavita mere school time me Suni thi our iske sabd har time mere kano me ginjte the Aaj 30 Saal baad ise sun kar bachpan lot aaya. Thank you.
ReplyDeleteSir
ReplyDeleteAapki yah kavita me school time par suno thi iske Bol Abhi bhi meri yadon me aate the. Aaj ise vapas sun kar bachpan lot aaya. Thank you
Maine yah kavita mere school time me Suni thi our iske sabd har time mere kano me ginjte the Aaj 30 Saal baad ise sun kar bachpan lot aaya. Thank you.
ReplyDeleteघणी सुणी रचना छै अेक छोरी काळती जीव म्हारो बाळती
ReplyDeleteबधाई अर मंगलकामनावां सा !
सत्यनारायण राजस्थानी ( प्रदेस प्रचारमंत्री )
मायड़ भासा राजस्थानी छात्र मोरचो , राजस्थान
I was student of Bhagrith Singh ji Bhagya, in Seth Bhiswabar Lal School, Bagar, He used to recite this everytime, this peom, it did not get popular at that time. But we used to enjoy a lot. I used to recite this everytime, my kids know this because, I used to recite a lot. Thanks for reminding aginan. Also Guruji (bhagrith Singh ji ) was the most like teacher, becuase he was very cool with us. He used to enter in class and say App hain meri buddhi jindgi, apko namaskar.
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