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Thursday, January 15, 2015

आइये जाने अपनी जन्म कुंडली के बारे में An analysis about your horoscope (janm kundali)

         आज कल ज्योतिष विधा कोई गोपनीय विधा या ज्ञान नहीं रह गया है  तकनीक के इस युग में आपको गली गली में आपका भविष्य बताने वाले बाबा लोग मिल जायेंगे जो कि सो दो सो से लेकर लाखो रूपया लेकर आपको आपकी जन्म कुण्डली देख कर आपका भविष्य बताने का दावा करते है और साथ ही ये दावा भी करते है की उनका किया गया भविष्य कथन कोइ झुठला नहीं सकता है  उनके दावो में कितना दम है ये तो मै भी नहीं बता सकता लेकिन इस विधा के बारे में जो मेरा अनुभव है वो मै समय समय पर आपसे शेयर करता रहता हूँ ।              
           ज्योतिष में दो चीजो का समावेश होता है पहला है गणित जिसमे की ग्रहों की स्थिति राशी का विहार और उन ग्रहों का कुण्डली के बारह भावो में स्थान ये सब गणित में आता है जिसे कोइ भी मेरे जैसा अनाडी आदमी आसानी से सीख सकता है क्यों की तकनीक का ज़माना है नमूना आप मेरी पिछली पोस्ट(बिना किसी सॉफ्टवेयर के अपनी जन्म कुंडली बनाये )  में देख चुके है ।

            सबसे ज्यादा जो मुश्किल काम है वो है कुंडली को देखकर सटीक भविष्यवाणी करना । ये कार्य जटिल ही नहीं बल्कि बहुत ही श्रम साध्य है । इसके लिए बहुत ही ज्यादा अनुभव की जरूरत है । अगर कोई ये दावा  करता है की उसकी भविष्यवाणी शत प्रतिशत सही होती है तो वो इस दुनिया का सबसे बड़ा झूठा आदमी होगा । इसका कारण  क्या आप जानना चाहोगे? ये मै आपको  अगली पोस्ट में बताऊंगा ।

Friday, December 24, 2010

आपकी जन्म कुंडली में कैसा है भाग्य स्थान -How's your horoscope fortune location


अपने जीवन पर भाग्य या किस्मत का प्रभाव सभी मानते हैं। कहते हैं कर्म से ही भाग्य बनता है लेकिन कई बार पूरी मेहनत से अच्छे कार्य करने के बाद भी संतोषजनक फल प्राप्त नहीं होता। ऐसे में यही बात सामने आती है कि हमारे भाग्य में यह परिणाम ही निर्धारित किया गया होगा। जन्म कुंडली ( horoscope )के अनुसार कड़ी मेहनत के बाद भाग्य की कितनी मदद मिलेगी यह भी मालूम किया जा सकता है।
  • - ज्योतिष में जन्म कुण्डली (horoscope) का नवम भाव भाग्य का होता है। यह स्थान यदि दूषित अथवा अशुभ फल देने वाला हो तो व्यक्ति सदैव भाग्यहीन रहता है।
  • - यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में भाग्य के नवम स्थान पर यदि चंद्र हो या उसकी दृष्टि हो तो वह भाग्यशाली होता है।
  • - यदि भाग्य का स्थान नवम भाव में राहु, मंगल, शनि यदि शत्रु राशि युक्त या नीच के हो तो व्यक्ति भाग्यहीनता से परेशान हो जाता है। उसे छोटे-छोटे कार्यों में भी बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
  • - सूर्य, शुक्र, बुध भाग्य स्थान पर सौभाग्यवती नारी दिलाते हैं। जो व्यक्ति के भाग्य को उच्च शिखर तक ले जाती है।
  • - भाग्य स्थान पर गुरु मान-सम्मान और वैभव दिलाता है। ऐसे व्यक्ति को हमेशा भाग्य का साथ मिलता है और वह कई सफलताएं प्राप्त करता है।
  • - भाग्य स्थान पर केतु सामान्य फल देने वाला होता है।
यदि आपको भाग्य का साथ नहीं मिल रहा है तो किस्मत बदलने में केवल ईश्वर ही सक्षम है। अत: अपने इष्टदेव की प्रतिदिन पूजन, अर्चन, आराधना करें। कुंडली के अशुभ ग्रह का ज्योतिषीय उपचार करें।
(उपरोक्त लेख भास्कर समाचार पत्र से लिया गया है )