मै हिन्दी चिठ्ठाजगत में नया था । आज भी नया हूं ओर नया ही रहना चाहता भी हूं। जो नया है वही सीखना चाहता है पुराने तो केवल सिखाते है । मै आपको सिखाउगां नही । मै बताउगां की मेरे नजरिये से आप क्या गलती करते है । मै जब भी किसी चिठ्ठे पर पढता हूं ओर जो विचार उस वक्त मेरे मन में आते है वही आपके साथ बांटना चाहता हूं।
१- पाठक उन चिठ्ठों पर कम जाना पसन्द करता है , जिनका लोडींग समय बहूत ज्यादा है । साज सज्जा के चक्कर में चिठठाकार भूल जाते है कि सब पाठको के पास ब्रोडबैण्ड नही है।
२-आपका चिठ्ठा आपने बनाया है उसका मकसद क्या है । अगर आप केवल पाठक चाह्ते है तो आप को अपने चिठ्ठे व उसकी प्रविष्टी का हेडीगं कुछ रोचक देना पडेगा । यानी की खोदा पहाड ओर निकले पत्थर ,चुहिया नही वरना असर उलटा भी हो सकता है । लेकिन दूसरी तरफ़ यदि आप यह चाहते है पुराने लिक्खाडो जैसी टिप्पणीयां मिले तो उसके लिये कुछ त्याग करना पडेगा ।मै जिस चीज को त्याग कहता हू । शास्त्री जी उसे निवेश की संज्ञा देते है पूरी जानकारी के लिये उनकी यह पोस्ट पढ सकते है ।
३- आप को कुछ भी नहीं आता ओर फ़िर भी आप प्रसिद्ध होना चाहते है तो एक बहूत ही सुपर हिट फार्मूला है जो कि आजकल फ़िल्म जगत,राजनीति, कोर्पोरेट आदि मे चलन में है। यानी कि किसी प्रसिद्ध चिठठाकार के खिलाफ मोर्चा खोल दें। मै जानता हूं कि यह गलत है लेकिन भाई साहब आप को बिना कुछ किये प्रसिद्धी तो मिल ही जायेगी ।
३- काफी चिठ्ठों मे word verification कर वाया जाता है । उसके चलते पाठक उस पर टिप्पणी असानी से नही कर पाता है ।
४- कुछ चिठठाकार एक गलती ओर भी करते है,वो है टिप्पणी मोडरेशन की । इसके कारण आप पाठक के दिल मे नही उतर पाते आप पाठक के प्रती शंका रखते है ओर आलोचनात्मक टिप्पणीयो को पसन्द नही करते । यही गलती पहले मै भी करता था ।
५-कभी भी रेक के चक्कर मे नही पडे पाठक आपकी रेंक को नही आप की विषयवस्तु को देखकर ही आता है । चिठाजगत का उसूल है कम लिखो, अचछा लिखो,ज्यादा पढो,ज्यादा टिप्पणीयां दो बाकी भगवान भरोसे छोड दो कुछ बाकि रह गया हो तो यंहा पढ़े