महंगाई पर हर जगह हर समय चर्चा रहती है | ये टोपिक ऐसा है कि आजकल गर्मी बहुत ज्यादा है कहने के बाद इसी का नंबर आता है | मै जब भी गट्टू के पास कुछ मिठाई वगैरा लेने जाता हूँ , तो वो हमेशा मिठाई के महंगे होने का कारण गिना देता है जो शायद आप भी जानना चाहेंगे |
कुछ साल भर पहले की बात है गट्टू ने लड्डू के भाव 40 रूपये किलो से बढा कर 50 रूपये कर दिए | कारण पूछने पर बताया कि आजकल चीनी के भाव बहुत बढ़ गए है 45 रूपये किलो से भी ऊपर चल रहे है इसलिए मजबूर होकर भाव बढ़ाना पड़ा |
चार एक महीने बाद बाजार में चीनी के दाम कम हो गए चीनी 45 रूपये की जगह 30 रूपये किलो हो गयी | मैंने सोचा कि गट्टू ने अब लड्डू सस्ते किये होंगे | उससे भाव पूछा तो बताया कि आजकल दाल के भाव आसमान छु रहे है | बेसन का भाव 35 रूपये से बढ़ कर 45 रूपये हो गया है इस लिए लड्डू के भाव 60 रूपये किलो हो गए है |
मान सून की मेहरबानी से दाल के भाव कम हो गए बेसन भी 30 रूपये किलो हो गया चीनी भी सस्ती हो गयी लेकिन गट्टू के लड्डू 70 रूपये किलो हो गए पूछने पर बताया कि वेजिटेबल घी 45 रूपये किलो से बढ़ कर 70 रूपये किलो हो गया है |
अब सुनने में आया है कि पेट्रोल के बाद गैस में आग लगनेवाली है | सिलेंडर के दाम बढ़ने वाले है तो गट्टू की नयी रेट में लड्डू 100 रूपये किलो होने वाला है | लेकिन गट्टू हमारी एक बात का जवाब ठीक से नहीं दे पाया कि जलेबी बनती है 15 रूपये किलो वाली मैदा से और लड्डू उस्से दुगने भाव वाले बेसन से फिर भी दोनों के भाव बराबर कैसे है ?
क्या आपके समझ में आता है ये अर्थशास्त्र ! शायद गट्टू कि इस जलेबी की ही तरह टेढा है !
अपने काम में मगन गट्टू |