राजस्थान का शेखावाटी क्षेत्र अपनी बहुत सी बातों के लिए प्रसिद्ध है। यंहा की हवेलियाँ,यंहा के उधोगपति ,यंहा की होली की धमाल और यंहा के सट्टेबाज, जी हां आश्चर्य मत कीजिये क्यों की यंहा के सट्टेबाज पूरे भारत में विख्यात है| आज मै आपको बताउंगा उनके द्वारा काम में लिए जाने वाले शब्दों के बारे में |
१. ढकणी - इस शब्द का मतलब है की तय समयावधी में सूर्य को बादल ढक लेगा | इस पर सट्टा लगाया जाता है | इसका सौदा तब होता है जब दुसरे सट्टो का ऑफ सीजन हो |
२ . टैण- शेखावाटी में लोहे की नाली दार चद्दरो को टैण कहा जाता है ,इसका उपयोग छत बनाने में किया जाता है | बाजार में स्थित किसी एक दूकान को सर्वसम्मति से चुन लिया जाता है बारिश के सीजन में जब बरशात होती है तब उस बारिश का पानी चद्दर की नाली से पतली धार बन के गिरने लग जाता है तय समयावधी में इस स्थति पर सट्टा लगाया जाता है |
३.नाला -सर्वसम्मति से बाजार के नजदीक किसी घर के पानी के नाले को जिसमे केवल बरसात का पानी ही बहता है उसकी दूरी तय कर ली जाती है की ये नाला इस दूरी तक तय समयावधी में बहेगा तो उसपे सट्टा लगाया जाता है | बरसात कम होने की संभावना में टैण का और ज्यादा की सम्भावना में नाले का सट्टा किया जाता है |
४.खाईवाली - वो खिलाड़ी जो नकारात्मक भाव रखता है यानी की वो किसी सौदे में नहीं की संभावना रखता है खाईवाल कह लाता है ( क्रिकेट के सट्टे में इसे बुकि के नाम से जाना जाता है ) खिलाड़ी बुकि के पास अपने पैसे लगाकर डील तय करते है बुकि (खाईवाल) सबके सौदे नोट करके रखता है बुकि के तार सरहद पार तक जुड़े रहते है |
शेखावाटी में सट्टेबाजी का बाजार हमेशा गरम रहता है | बरसात का ,चुनावों का ,क्रिकेट का , सट्टा प्रमुखता से किया जाता है इसके साथ साथ आखर और मटका भी खेला जाता है , इसमें १ का १० दिया जाता है | इस में स्टेट लेवल की लॉटरी के आख़री नंबर पर रूपये लगाए जाते है| खिलाड़ी बुकि के पास अपने रूपये जमा करवा देता है और अपना नंबर जो की ० से लेकर ९ तक का होता है बता देता है लाटरी खुलने पर किसी भी माध्यम से पता कर लिया जाता है की आज की विजेता लॉटरी का आख़री अंक क्या आया है जिस खिलाड़ी का नम्बर मैच कर जाता है वो १० गुना रूपये बुकि से प्राप्त करता है | बाकी के अन्य खिलाड़ी के रूपये बुकि के पास जप्त हो जाते है |
इसके अलावा ताशपत्ती के उपर जो जुआ खेला जाता है वो तो हर जगह के समान यंहा भी खेला जाता है |
१. ढकणी - इस शब्द का मतलब है की तय समयावधी में सूर्य को बादल ढक लेगा | इस पर सट्टा लगाया जाता है | इसका सौदा तब होता है जब दुसरे सट्टो का ऑफ सीजन हो |
२ . टैण- शेखावाटी में लोहे की नाली दार चद्दरो को टैण कहा जाता है ,इसका उपयोग छत बनाने में किया जाता है | बाजार में स्थित किसी एक दूकान को सर्वसम्मति से चुन लिया जाता है बारिश के सीजन में जब बरशात होती है तब उस बारिश का पानी चद्दर की नाली से पतली धार बन के गिरने लग जाता है तय समयावधी में इस स्थति पर सट्टा लगाया जाता है |
३.नाला -सर्वसम्मति से बाजार के नजदीक किसी घर के पानी के नाले को जिसमे केवल बरसात का पानी ही बहता है उसकी दूरी तय कर ली जाती है की ये नाला इस दूरी तक तय समयावधी में बहेगा तो उसपे सट्टा लगाया जाता है | बरसात कम होने की संभावना में टैण का और ज्यादा की सम्भावना में नाले का सट्टा किया जाता है |
४.खाईवाली - वो खिलाड़ी जो नकारात्मक भाव रखता है यानी की वो किसी सौदे में नहीं की संभावना रखता है खाईवाल कह लाता है ( क्रिकेट के सट्टे में इसे बुकि के नाम से जाना जाता है ) खिलाड़ी बुकि के पास अपने पैसे लगाकर डील तय करते है बुकि (खाईवाल) सबके सौदे नोट करके रखता है बुकि के तार सरहद पार तक जुड़े रहते है |
शेखावाटी में सट्टेबाजी का बाजार हमेशा गरम रहता है | बरसात का ,चुनावों का ,क्रिकेट का , सट्टा प्रमुखता से किया जाता है इसके साथ साथ आखर और मटका भी खेला जाता है , इसमें १ का १० दिया जाता है | इस में स्टेट लेवल की लॉटरी के आख़री नंबर पर रूपये लगाए जाते है| खिलाड़ी बुकि के पास अपने रूपये जमा करवा देता है और अपना नंबर जो की ० से लेकर ९ तक का होता है बता देता है लाटरी खुलने पर किसी भी माध्यम से पता कर लिया जाता है की आज की विजेता लॉटरी का आख़री अंक क्या आया है जिस खिलाड़ी का नम्बर मैच कर जाता है वो १० गुना रूपये बुकि से प्राप्त करता है | बाकी के अन्य खिलाड़ी के रूपये बुकि के पास जप्त हो जाते है |
इसके अलावा ताशपत्ती के उपर जो जुआ खेला जाता है वो तो हर जगह के समान यंहा भी खेला जाता है |