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Monday, November 29, 2010

हाथ का दर्द और कम्प्यूटर पर बैठने की आदत........................नरेश सिंह राठौड़

     आप और हम सब लोग जो भी कम्प्यूटर के उपयोग कर्ता है उन्हें ज्यादा से ज्यादा समय कम्प्यूटर के सामने बैठ कर बिताना होता है | कम्प्यूटर हेतु बाकायदा आजकल उसके लिए निर्धारित टेबल का उपयोग किया जाता है | कई बार ये देखने में आया है की काम करने वालों के हाथ या कंधे में दर्द रहता है और वे अपने आप को असहज महसूस करते है | ये दर्द इतना बढ़ जाता है की वे कम्प्यूटर पर काम करने में भी असमर्थ रहते है |

     मेरे कहने का मतलब ये नहीं है की कम्प्यूटर पर काम करने से हाथ या कंधे में दर्द होता है | दर्द किसी भी वजह से हो सकता है लेकिन उस दर्द में स्थायित्व और वृद्धि कम्प्यूटर पर बैठने की गलत आदत की वजह से होती है | अब गलत आदत क्या है वो मै आपको बताता हूँ जिस पर आपने कभी ध्यान ही नहीं दिया होगा |

     आप जब कम्प्यूटर पर काम करते है तो आपकी कोहनी को सहारे की जरूरत होती है विशेषकर के दाहिने हाथ की कोहनी को जिससे की आप माऊस को आपरेट करते है | कम्प्यूटर की निर्धारित टेबल की साईज इतनी छोटी होती है की आप की कोहनी को सहारा मिलना लगभग नामुमकिन होता है | टेबल की चौडाई को देखे तो उस पर केवल आपका मोनिटर ही आ सकता है की बोर्ड और माऊस के लिए जगह उसके नीचे ही बनाई जाती है | उस परिस्थिति में आपकी कोहनी बगैर सहारे के ही रहती है | उससे उसकी मांस पेशियों में खिचाव बढ़ जाता है | जिससे दर्द बढ़ता है | जब कभी आपके कोहनी या कंधे में दर्द हो तो आप इस बात का जरूर ध्यान रखे की आपकी कोहनी को सहारा मिलता रहे और आपका हाथ कोहनी के पास ९० डिग्री का कोण बनाता हुआ रहे|

     पिछले कुछ दिनों से मेरे हाथ में किसी कारण से दर्द हो गया था जिसे ठीक होने में बहुत समय लग गया तकरीबन तीन महीने जैसा अब इन दिनों में मैने इस बात पर काफी चिंतन किया है वो सब मै आपको इस पोस्ट के जरिए ही बता रहा हूँ |
बैठने की सही स्थिति के लिए आप इस चित्र को देखे |
चित्र गूगल से सभार
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Friday, November 26, 2010

चर्चा रचना बी की ---भाग १ .............................नरेश सिंह राठौड

     रचना बी जैसा की आप सभी जानते है यह नाम नया है | लेकिन मेरे शहर में यह नाम पुराना  है रचना बी की उम्र लगभग ३० - ३२ के आस पास है | आज सुबह सुबह दूकान पर चढ़ गई राशन पानी लेकर (मतलब आटा चावल लेने ) |

     वैसे मेरा कभी उससे ज्यादा वास्ता नहीं पड़ा था, लेकिन मोहल्ले भर के लोग कहते थे रचना बी पढ़ी लिखी बेवकूफ है | एक तो पढ़ी लिखी ऊपर से बेवकूफ यानी करेला और नीम पर चढा हुआ | मै इस प्रकार के लोगो से हमेशा बचा करता हूँ | मेरे पिताजी हमेशा कहा करते थे बेवकूफ को टका दे दो लेकिन अकल मत दो | मैने भी रचना बी को ज्यादातर ना नुकर से टरकाया है | लेकिन आज तो हालात कुछ अलग थे दाल कुछ ज्यादा ही जला कर आयी थी | सो आते ही बोली आप अकेले ही काम कर कर रहे है दूकान पर | मै ने कहा क्या करू , नौकर जितना काम ही नहीं है | क्यों आप अपनी घरवाली को क्यों नहीं रखते है ? आजकल घरवाली को परदे में रखना गैर कानूनी है| उन्हें समानता का अधिकार देना चाहिए | मै आप की महिला आयोग में शिकायत करूंगी रचना बी ने धुवा उड़ाते हुए कहा | रचना बी जब भी गुस्से में होती है , तो उनके कान में से धुवा निकलता रहता है | क्या कहते, हमें भी नियम कानून का कंहा पता है जो रचना बी से पंगा ले सकते | क़ानून की जानकारी तो दिवेदी जी को है|

      वैसे भी ताऊ ने कह रखा है बच्चे,ब्रह्मण ,गाय,जल,अग्नि ओर नारी से पंगा नहीं लेना, वरना इज्जत का फ़ालूदा बनते देर नहीं लगेगी | हमने भी रचना बी की बात मानते हुए अपनी अनपढ़ घरवाली को दूकान में रखने लग गए | वो भी साथ साथ काम करके सहयोग करने लगी |

    कुछ दिन बाद फिर अचानक रचना बी के दर्शन हुए , घरवाली को देखते ही कहा अरे ! आप घरवाली से काम करवाते है | आपको शर्म नहीं आती | औरतों पर अत्याचार करते हुए, घर का काम भी करे और आपकी दूकान का भी, यह तो नारी जाती पर अन्याय है आपकी शिकायत कोइ जागरूक महिला बलोगर से करनी पड़ेगी मै आपको ब्लॉग जगत में बदनाम करके रहूंगी | सूना है आपने भी ब्लॉग जैसा रोग पाल के रखा है | आपके इस दूकान में कम्प्यूटर भी नजर आ रहा है | आप जानते नहीं है मेरे सम्बन्ध बहुत ऊपर तक है | पूरा मोहल्ला मेरे नाम (आतंक ) से सलाम करता है | मेरे पसीने छूटने लगे आमिरखान  का आल इज वैल भी कुछ काम नहीं आया | मैने कहा रचना बी आप अभी तो घर जाइए आपकी दाल जल जायेगी जो आप चूल्हे पर चढ़ा कर आयी थी और टीवी पर आपके पसंदीदा कोमेडीयन अलबेला खत्री का प्रोग्राम  भी निकल जाएगा |
जैसे तैसे मैंने रचना बी से पीछा छुड़ाया लेकिन अब लगता है संगीता जी के ज्योतिष का सहारा लेकर देखना पडेगा की ये साढ़े साती है या ढया है|  जन्म कुण्डली के कोनसे भाव में क्या बैठा है पता ही नहीं चल रहा है | या सुबह सुबह कही शीशे में अपना ही चेहरा तो नहीं देख लिया ? क्या पता भगवान जाने क्या होने वाला है | आल इज वैल...... आल इज वैल.... आल इज वैल.....|
(नोट :-उपरोक्त पोस्ट का किसी भी जीवीत या मृत आदमी से कोइ सम्बन्ध नहीं है फिर भी अगर कोइ सम्बन्ध जोड़ना चाहे तो ये उसकी मर्जी है  )

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भूखे भक्तों को भगवान , भोजन कब पहुचाओगे-- मालीगांव

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Thursday, November 25, 2010

तिलियार में हुआ सम्मलेन भाग -२ --------- नरेश सिंह राठौड़

      पिछली पोस्ट में मै बता चुका हूँ की किस तरह रोहतक पहुँचा और वहां पर कौन कौन मौजूद था | चित्र आपने इतने देख लिए है की नया कुछ नहीं है | सभी चित्र जो अब  तक आपने विभिन्न पोस्टो पर देख चुके है वो सतीश भाई की मेहरबानी है | इस विषय से जुड़ी सभी पोस्ट के लिंक आपको यहां पर मिल जाएंगे | अगर किसी की कोइ भी पोस्ट का लिंक यहां नहीं हो तो कृपया मुझे बताये ताकी मै उसे लगा सकू और मेरी शेखावाटी के पाठको को ज्यादा से  ज्यादा  जानकारी हो सके | बार बार उन्हीं चित्रों को यहां लगाने का कोइ औचित्य नहीं है |
अब आप वो चित्र देखिये जो ताऊ स्टाइल में है यानी की इस चित्र में कोइ बलोगर शिकायत नहीं करेगा की वो मौजूद नहीं है यंहा तक की मै खुद भी हूँ |
इस चित्र में बाए से - डॉ.श्री मति अरूणा कपूर  ,श्री महेन्द्र जी कपूर ,मै (नरेश सिंह राठौड़ ),अजय कुमार झा ,संजय भास्कर ,केवल राम ,कविराज योगेन्द्र मोदगिल ,खुशदीप सहगल, निर्मला कपिला जी ,श्री मति संजू तनेजा ,श्री मति संगीता पुरी जी ,ललित भाई,डॉ.प्रवीन चौपडा ,राजीव तनेजा जी ,हरदीप राणा ,शाहनवाज भाई आयोजक राज भाटिया जी ,अंतर सोहिल जी ,नीरज जाट,सतीश सक्सेना जी
     इस चित्र में एक शख़्स गायब है जो ताऊ के फोटो खींचने के बाद आये थे | जी हां अलबेला खत्री जी वो काफी देर से आये थे|  इस लिए आपको उन की फोटो इस विषय पर लिखी गयी पोस्टो में बहुत कम जगह मिलेगी | अलबेला जी जब पधारे थे तब मेरा वंहा से निकलने का समय हो रहा था इस लिए केवल उनसे हाथ ही मिला सका मेरे लिए ये भी बहुत गर्व वाली बात थी |

     वहां आये हुए बलोगरो ने आपनी अपनी कमिया बताई और  बताया की बलोगिंग में आने के बाद उनको कैसा महशूस होता है | उसके बाद कवियों और  कवियत्रियो ने अपनी रचनाओं से झिलवाया (सुनाया ) जो की मेरे जैसे मूढ़ प्राणी के लिए भेजे के ऊपर से निकलने वाली चीज है | केवल तालिया बजाई और झेली | कई किस्म के कवी थे दाढी वाले कवि, मूंछ वाले कवि  | उनकी कविताएं तो बहुत अच्छी रही होगी लेकिन हम जैसे मजदूर(लठमार ) आदमी को अच्छी रचना की कंहा समझ है| और जाते जाते भी योगेन्द्र मोदगिल जी ने अपनी रचनाओं की पुस्तक "अंधी आँखे गीले सपने" भेंट की और रास्ते भर उस पुस्तक को झेला और बस में अपने पास सहयात्री  को भी झेलवाया |

     उनकी इसी पुस्तक से चार  लाइन आप भी झेल ले .....

वो भी मुझ जैसा लगता है,
शीशे में उतरा लगता है || 
  
बूढी विधवा -टूटी लाठी ,    
दुक्खो का मेला लगता है ||

इसको पानी देना री बहूओ,
ये पीपल प्यासा लगता है ||

     अब बात करते है कमियों की मुझे इस समारोह में आयोजन में कोइ कमी नजर नहीं आयी ,लेकिन जो बलोगर वंहा आये उनकी समस्यों का समाधान वंहा नहीं हो सका इसका मलाल जरूर  है | जैसे की बहुत से बलोगरो ने यह क़हा की बलोग्वानी बंद हो गयी है इसका उन्हें बहुत दुःख है अब ये पता नहीं चलता है की किस चिट्ठे पर नयी पोस्ट कब आयी है | इस प्रकार के आयोजन पर जब इतना खर्चा हो रहा है तो एक प्रोजेक्टर का खर्चा और किया जाना चाहिए  | उसके द्वारा सभी बलोगरो को नए टूल नयी तकनीक का प्रदर्शन किया जाता तो और भी ज्यादा ज्ञानवर्धन हो सकता था | मेरा ये भी मानना है की प्रत्येक  ब्लोगर किसी न किसी तकनीक के बारे  में जरूर  जानता है जिसे दुसरे नहीं जानते है| हमें उन तकनीको को आपस में एक दुसरे से ग्रहण करना चाहिए | ताकी उनकी रचनाये शिघ्रता से सटीकता से ज्यादा से ज्यादा से लोगो तक पहुच सके |

     दूसरी एक बड़ी कमी नजर आयी वो थी लाईट(रोशनी की ) की जंहा पर सब लोग मिलते है फोटो वगैरा खीची जाती है उसके लिए  रोशनी, थोड़ी ज्यादा होनी चाहिए जिससे फोटोग्राफ्स ज्यादा सुन्दर आ सके क्यों की सभी लोगो के पास उन्नत तकनीक वाले कैमरे नहीं होते है |
इस सम्मेलन की अन्य बातों को जानने के लिए आप इन पोस्ट पर भ्रमण करे

कैसे हो ब्लोग्गिं से आर्थिक लाभ - रोहतक ब्लोगर मिलन---from प्रेम रस

तिलयार में छाया ब्लॉगरों का जादू ....संजय भास्कर from आदत.. मुस्कुराने की

रोहतक (तिलयार) में ब्लॉगर सम्मलेन : कुछ अविस्मरणीय पल ..केवल राम from चलते -चलते ....!

अंधी आँखें गीले सपने from अन्तर सोहिल = Inner Beautiful by अन्तर सोहिल


जब तिलियार में मिल बैठे यार ....रोहतक ब्लॉगर्स बैठक ..some photos cliked by झाजी from कुछ भी...कभी भी..  

हिंदी पोस्टों/ ब्लॉगर्स के प्रति केवल एक नॉन ब्लॉगर ही निष्पक्ष रह सकता है ...दिल्ली से तिलियार ..एक कार सफ़र विमर्श ..रिपोर्ट नं १ from कुछ भी...कभी भी.. by अजय कुमार झा

तिलयार में ब्लॉगरों की बहार...रोहतक लाइव रिपोर्टिंग...खुशदीप from नुक्कड़

तिलयार चिल यार...रोहतक लाइव रिपोर्टिंग कंटीन्यू...खुशदीप from देशनामा

तस्वीरें बताती है कल क्या था आलम...रोहतक रिपोर्टिंग...खुशदीपfrom देशनामा by खुशदीप सहगल


  इस पोस्ट में अपडेट  की ये जाने की सम्भावना है अगर कोइ पोस्ट का लिंक रह गया हो तो जरूर बताये | एक बात और  चलते चलते , रचना बी

आजकल हमारे मोहल्ले में आ गयी है सो अब उनके चर्चे आपको सुनाऊंगा |

Wednesday, November 24, 2010

रोहतक की यात्रा और बलोगर मिलन (raohatak jurny for blogar meetingh )

     कल यानी की २१ दिसम्बर को तय था, श्री राज भाटिया जी के द्वारा आयोजित बलोगर मिलन | ये बलोगर मिलन हमेशा होने वाले बलोगर मिलन से हटके था क्यों की इसका कोइ एजेंडा नहीं था | पहले से कोइ मकसद नहीं था सो इस पर सफल या असफल की टिप्पणी तो हो ही नहीं सकती है |

     रोहतक की यात्रा के लिए मुझे सुबह बहुत जल्दी उठाना पडा हमारे यंहा से पहली सीधी बस रोहतक के लिए ५ बजे के आस पास जाती है मै सुबह जल्दी जल्दी तैयार हुआ लेकिन बस स्टैंड पर पहूचा तो..... ओले भाई.....नीरज दहिया वाला डायलोग याद आ गया | मतलब की बस जा चुकी थी | इस लिए यात्रा टुकड़ो टुकड़ो में करनी पडी, नहीं तो समय पर नहीं पहुच पाता | मैने बगड से बस पकड़ी पिलानी पहुँचा, वंहा से बस पकड़ी लूहारू आया, लूहारू से बस पकड़ी भिवानी पहुँचा और भिवानी से रोहतक | टुकड़ों टुकड़ों में की गयी यात्रा का भी अपना अलग ही अनुभव होता है हर जगह के बस स्टोपेज को देखने का समझने का मौका मिल जाता है | अब एक चित्र देखिए जो भिवानी से रोहतक की बस में लिया था | और कुछ दृश्य बस स्टोपेज के भी है |
भिवानी से रोहतक की यात्रा में लिया गया एक फोटो 

रोहतक का बस स्टैंड 

     तिलियार लेक यही नाम था उस जगह का जहां ये मिलन आयोजित किया गया था | मुझे यह जगह ढूँढने में ज्यादा परेशानी नहीं हुयी क्यों की मेरे मोबाइल में भी गूगल मैप है उसके सहारे आराम से उस जगह पर पहुंचा जा सकता था |
इस सम्मेलन का सारा श्रेय मै अगर एक आदमी को दू तो वो है श्री राज भाटिया जी जो हाल ही में जर्मनी से यहां आये है | और उन की इच्छा थी की सभी बलोगरो से मिल लिया जाए कम समय में, सबसे मिलने का इससे बढ़िया जुगाड़ और हो भी नहीं सकता था | इस सम्मेलन में जिन लोगो ने अपना कर्त्तव्य निभाया वो इस प्रकार है:

आयोजक -श्री राज भाटिया
व्यवस्थापक -श्री अंतर सोहिल
तकनीकी जिम्मेदारी -शाहनवाज सिद्धिकी  ओर खुशदीप सहगल
संचालन किया -अजय कुमार झा ने |
इस में शामिल होने वाले ब्लोगर निम्न लिखित थे |
ऊपर जिनका जिक्र हुआ उनके अलावा
केवल राम
संजय भास्कर
नीरज जाट
ललित शर्मा 
राजीव तनेजा
श्रीमती संजू तनेजा
सतीश सक्सेना
अरूणा कपूर
कविराज योगेन्द्र मौदगिल

निर्मला कपिला
संगीता पुरी
योगेन्द्र मौदगिल
हरदीप राणा
इस बलोगर सम्मेलन के बारे में अगली पोस्ट में भी बताऊंगा कि वंहा किसने क्या कहा और क्या क्या कमिया दिखी..अगली पोस्ट का इंतज़ार करे |
ताऊ के कैमरे द्वार ली गयी वो फोटो भी देखना ना भूले जिसे आपने अब तक नहीं देखा है | जी हां ताऊ वंहा मौजूद थे |

Wednesday, November 17, 2010

अपने काम के प्रति समर्पित एक व्यक्तित्व - झुंझुनूं जिला कलेक्टर श्री मति मुग्धा सिन्हा

     आप सब सोच रहे होंगे कि इसमें नया क्या है सभी लोग तो अपने काम के प्रती समर्पित होते है |मगर इस बलोग के पुराने पाठक तो इस बात को जानते है कि यहां उसी व्यक्ति के बारे में बात की जाती है जो अपने काम में कुछ विशेष हो, हां ये अलग बात है कि मै इस बार इस पोस्ट में एक सरकारी अधिकारी को ले रहा हूँ |सरकारी अधिकारियों के बारे में हमारी राय कुछ नकारात्मक ही रहती है | उनकी छवी हमारे मानस पटल पर भ्रष्टाचार और कामचोरी में संलिप्त की रहती है इस लिये सरकारी अधिकारी कभी भी इस ब्लॉग या यूं कहे कि हिन्दी बलोग में जगह नहीं बना पाए है |

     श्री मति मुग्धा सिन्हा के यहाँ झुंझुनू में पद भार ग्रहण करने के बाद यहां जो परिवर्तन आये है वो यहाँ कि कोइ भी अनपढ़ महिला भी अपने शब्दों में आशीष वचनों के साथ बयाँ कर देगी | इससे ज्यादा उन की सफलता के बारे में क्या कहा जा सकता है | किसी भी सरकारी अधिकारी के कार्यों का सकारात्मक परिणाम आपके घर रसोई या गली कूचो में दिखाई दे तो उसे आप क्या कहना चाहेंगे |


     मै काफी समय से यही सोच रहा था कि ये पोस्ट लिखू या ना लिखू अगर ना लिखू तो अपने दायित्वों से मुँह मोडना हो जाता है ,अगर लिखता हूँ तो एक सरकारी अफसर का फेवर करने का आरोपी बनता हूँ | आखिर में इस मानसिक द्वन्द में जीत एक बलोगर के नैतिक दायित्व की ही हुई है | परिणाम स्वरूप ये पोस्ट आपके सामने है |

     झुंझुनू आते ही उनहोने पहला काम ,साफ़ सफाई का हाथ में लिया | ज्यादातर अधिकारियों को सफाई के सर्वे में साफ़ सुथरी मुख्य सड़के दिखाई जाती है ,लेकिन यह बात उन्हें पता थी इस लिये उन होने सर्व प्रथम उस जगह का दौरा किया जो शहर की सबसे गंदी जगह (शहीद चौक ,सब्जी मंडी के पास) का दौरा किया और स्थानीय परिषद के अधिकारियों और कर्मचारियों को कहा कि इससे गंदा शहर मेंने अपने कार्यकाल में नहीं देखा है |
 
     गैस एजेंसी की काला बाजारी रोकने के लिये इस प्रकार का आदेश जारी किया कि आज कुकिंग गैस सप्लाई वाला घर घर जाकर बिना बुकिंग किये ही डिलीवरी देता है| वरना हालात रोजाना चक्का जाम और सर फूटोव्वल के रहते थे |


     सडको पर इतना अतिक्रमण था कि एक साथ दो गाड़ी तो दूर की बात है एक गाड़ी को निकालने में भी परेशानी का अनुभव होता था | उनके आने के बाद में नाजायज खड़े रेहड़ी वालो को हटा दिया गया है | दुकानदारों को ताकीद की गयी है कि सामान दूकान के बाहर ना रखे ताकी वाहनों के आवागमन में किसी प्रकार की परेशानी ना हो | जो सड़के आठ फुट चौड़ी दिखती थी वो आजकल बीस फुट चौड़ी नजर आने लग गयी है |

     यंहा के सरकारी विभागों में काफी दिनों से मीटिंग का कलेंडर नहीं बना हुआ था जिसे अब इन्होने लागू किया है| यानी कि सभी कर्मचारियों को पहले से पता रहता है कि मीटिंग कब होगी | जो भी मीटिंग देर तक चलने की संभावना रहती है उसे शनिवार और रविवार को रखा जाता है | ताकी जन  साधारण का कोइ भी काम नहीं रुके | उन के बारे में एक बात और भी मशहूर है कि उनका फोन व्यस्त होने पर अगर आपकी मिसक़ाल उन्हें मिलती है तो उनका फोन आपके पास जरूर आएगा  आपको दुबारा फोन नहीं करना पड़ता है |


श्री मति मुग्धा सिन्हा जी के पुराने कार्यकाल में हनुमान गढ़ जिले में भी बहुत उल्लेखनीय कार्य हुए है जिनकी जानकारी हमारे एक मित्र (श्री ओम पुरोहित 'कागद ')जो लेखक भी है और ब्लोगर भी है ,ने भिजवाई थी | जिसे मै संक्षेप में लिख रहा हूँ |उन्होंने बताया कि हनुमान गढ़ में पहली बार वरिष्ठ पेंशनरों को इन्होने सम्मानित किया |वंहा भी सफाई के अनेक कार्य योजनाबद्ध तरीके से किये गए | गरीबो एवं असहायो हेतु उन्होंने सारथी योजना  बनाई | इसमें शहर के धनी लोगो को  प्रेरित कर जरूरतमंद लोगों की सहायता करवाई गई | चित्र कला में इनकी विशेष रूची होने की वजह से इन्होंने इस कला के प्रोत्साहन हेतु  बहुत सराहनीय कार्य किया है | और स्वयं भी एक बहुत अच्छी चित्रकार हैं |
 
     मै जब इस पोस्ट में उनके कार्य शैली के बारे में लिखने हेतु उनसे जानकारी चाही तो मुझे साफ़ मना कर दिया गया | क्यों कि उनके बारे में सूचना मिली थी कि वो प्रचार प्रसार से हमेशा बचती रही है | फिर भी मुझे उनके बारे में जो जानकारी नेट कि दुनिया में मिली है वो इस प्रकार है |

नाम -श्रीमती मुग्धा सिन्हा

जनम तिथि -04/06/1974

शहर -आगरा

शिक्षा - बी. ए. (हिस्टरी ) एम. ए.(अन्तराष्ट्रीय समबन्ध )

एम. फिल.(अन्तराष्ट्रीय कूटनीति )

वर्तमान कार्य स्थल -जिला कलेक्टर झुंझुनूं (राज.)
 


S.N.POST HELD BY SMT.MUGHDHA SINHAFROMETO
1COLLECTOR &DISTRICT MAGISTRATE, JHUNJHUNU 06/09/2010--
2REGISTRAR, BOARD OF REVENUE, RAJASTHAN, AJMER 06/01/200903/09/2010
3COLLECTOR & DISTRICT MAGISTRATE, HANUMANGARH 30/4/200703/01/2009

4
COLLECTOR & DISTRICT MAGISTRATE, BUNDI 15/06/200528/04/2007
5DEPUTY SECRETARY TO CHIEF MINISTER, RAJASTHAN, JAIPUR 15/12/200315/06/2005
6ADD. COLLECTOR & ADD. DISTRICT MEGISTRATE, JAIPUR-I 30/05/200315/12/2003
7SUB-DIVISIONAL OFFICER, AJMER13/08/200129/05/2003
8UNDER IInd PHASE TRAINING AT LBSNAA, MUSSOORIE25/06/200104/08/2001
9ASSST. COLLECTOR & EXE. MAGISTRATE (UNDER TRAINING), UDAIPUR 20/07/2000----

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शेखावाटी की पहली महिला बलोग्गर 
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शेखावाटी क्षेत्र के हिन्दी बल्लोग्गर ( परिचय )

Saturday, November 13, 2010

एयर सेल जी पी आर एस की स्पीड की तुलना (एक माईक्रो पोस्ट )

जी पी आर एस का मतलब है मोबाइल द्वारा अपने पीसी पर इंटरनेट काम में लेना | अभी राजस्थान में एयरसेल कंपनी ने अपनी सेवा लांच की है | मेरे क्षेत्र में भी इसका आगमन हुआ है | तो सोचा इसकी नेट स्पीड के बारे में मै आपको बताता चलू | इससे पहले भी मैंने इसी विषय पर बताया था कि आप मोबाइल द्वारा अपने पीसी पर इंटरनेट कैसे चला सकते है

आप नीचे दिये गए दोनों चित्र देखिए (जिनमें परिणाम दर्शाया गया है )आपको समझ में आ जाएगा कि मै क्या कहना चाहता हूँ |
एयर सेल द्वारा प्राप्त की गयी डाटा स्पीड 




रिलायंस जी एस एम् द्वारा प्राप्त की गयी डाटा स्पीड 

राजस्थान के लोक देवता
माली गाँव :मन मोहक नजारा गणेशोत्सव की झांकी का
एक वीर जिसने दो बार वीर गति प्राप्त की

Wednesday, November 10, 2010

शेखावाटी की पहली महिला ब्लोग्गर : डॉ.मोनिका शर्मा

पिछली पोस्ट में मैंने आपका परिचय शेखावाटी के हिन्दी बलोगरो से संक्षिप्त रूप में करवाया था | इस बार मै आपको डॉ. मोनिका शर्मा जी से मिलवाता हूँ |

मोनिका जी सीकर जिले के गाँव जानकीपुरा की रहने वाली है | हमारा गृह जिला झुंझुनू इनकी ससुराल है | लेकिन अब इनके पति महोदय की सेवा कनाडा में होने की वजह से आजकल कनाडा में रहती है| प्रारम्भिक शिक्षा पुश्तैनी गाँव जानकीपुरा में करने के बाद इनकी पढाई भोपाल म. प्र. में हुई । वहां से अर्थशास्त्र में एम. ए. करने के बाद इन होने पत्रकारिता और जनसंचार में भी मास्टर्स डिग्री ली। उसके बाद अपना शोधकार्य राजस्थान विश्वविद्यालय , जयपुर से पूरा किया। जिसका विषय ‘हिन्दी समाचार पत्रों में प्रकाशित सामाजिक चेतनामूलक विज्ञापन’ था। कुछ समय तक निजी महाविद्यालय में बतौर लेक्चरर और जयपुर दूरदर्शन के लिए समाचार वाचक का काम भी किया।अब तक इनके कई पत्र-पत्रिकाओं ( राजस्थान पत्रिका, दैनिक जागरण, नई दुनिया, डेली न्यूज , दैनिक हरिभूमि , दैनिक नवज्योति, दिशा-दृष्टि, वुमन ऑन टॉप और अनौपचारिका आदि) में बतौर स्वतंत्र लेखक करीब 500 आलेख प्रकाशित हो चुके हैं।
इन के पिताजी कोमर्शियल पायलट के पद से कुछ समय पूर्व ही रिटायर हुए है | इनके भाई भी एक कोमर्शियल पायलट ही है | इनका परिवार उच्च पदों पर होने के बावजूद गाँव कि मिट्टी से ये लोग जुड़े हुए है | जिसकी झलक इनके ब्लॉग में स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है |


ब्लोगिंग करने का कारण वे कुछ यूं बयाँ करती है "आज के दौर में अपने विचारों को साझा करने के लिए ब्लॉगिंग बहुत अच्छा प्लेटफॉर्म है। सबसे अच्छी बात यह है कि इसमें एक तरफा संवाद नहीं होता । पाठकों की राय भी हाथों-हाथ मिल जाती है । इस तरह एक वैचारिक प्रवाह बना रहता है जो मुझे काफी सकारात्मक लगता है।"


उनके बलोग तीज तेवार के बारे में पूछने पर उंहोने बताया " तीज-तेवार राजस्थानी भाषा में है। इस ब्लॉग पर मैंने खासतौर पर राजस्थानी नेगचार, रीति-रिवाज और तीज-त्योंहारों से जुङी बातों को सहेजने की कोशिश की है। यह हमारे रीति-रिवाजों के बारे में जो चीजें मुझे पीहर-सासरे में देखने-सीखने को मिली उन्हें अंतरजाल पर सबके साथ बांटने का प्रयास है। इस ब्लॉग को बनाने का मुख्य उद्देश्य यही है कि आगे आने वाली पीढियां भी हमारे गीत-नात, नेगचार को जानें और इनके माध्यम से हमारी सांस्कृतिक और सामाजिक विरासत से जुड़ाव रखे।"

अपनी सफलता का सारा श्रेय वे अपने माता पिता को देते हुए कहती है "मेरे माता पिता मेरे लिए शक्ति स्तंभ रहे हैं. माँ एक गृहणी हैं और ज़्यादातर समय गाँव में ही रही हैं पर उन्हों ने हमेशा चाहा की मैं अपनी पढाई जारी रखूं . इसी तरह पापा ने भी हमेशा उत्साहवर्धन किया और आगे बढ़ने की हिम्मत दी है |"

भविष्य के बारे में उनका नजरिया " मेरा मानना है- आने वाले समय में हम पारिवारिक और सामाजिक स्तर पर सकारात्मक उन्नति चाहते हैं तो बच्चों का सही तरह से पालन पोषण बहुत जरूरी है। इसके लिए उन्हें समय देना उन्हें समझना बेहद आवश्यक है।मेरा इस बात में पूरा विश्वास है कि माँ होने से बढकर जिम्मेदारी दूसरी कोई नहीं हो सकती। यही वजह है कि फिलहाल मैं अपना पूरा समय अपने बेटे चैतन्य की बेहतर परवरिश में लगाना चाहती हूं। जितना समय मिलता है उसमें अच्छा पढने लिखने की कोशिश जरूर करती हूं"

मोनिका जी के ब्लॉग :
परवाज ....शब्दों के पंख
तीज तेवार
चैतन्य का कोना

Monday, November 8, 2010

10 साल पुराने वो 110 रूपये

     बटुआ, पर्स, वैलेट अपनी पेंट की पिछली जेब में सभी लोग रखते है | मै भी रखता था | लेकिन अब दिन भर दूकान में बैठता हूँ तो यह आदत भी छूट गयी थी | आज अचानक हमारी गुडिया ने मेरा पुराना  पर्स(बटुआ)कही से निकाल लिया जिसका मैंने काफी दिनों से उपयोग बंद कर दिया था | और उसने एक एक जेब की तलाशी लेनी चालू की | लेकिन जब पर्स में कुछ रखा हुआ हो तब मिले ना | अचानक उसके होठो पर मुस्कान तैर गयी क्यों कि पर्स के अंदर की जेब (गुप्त जेब) में उसे एक सौ का नोट और एक दस का नोट दिखाई दे गए |अब उसके सवाल चालू हो गए |
चित्र गूगल के सौजन्य से 

चित्र गूगल के सौजन्य से

     मेरा ध्यान अपने पुराने बीते हुए समय की तरफ लौट गया | यही कोइ दस ग्यारह साल पहले मै जब सूरत में पेमेंट कलेक्सन का काम करता था | यह पैसे उसी समय के रखे हुए थे | उस समय ये रूपये मुझे मजबूरन सबसे छिपाकर रखने पड़ते थे | यह उस समय का टूव्हीलर का नो पार्किंग चार्ज था जो ट्रैफिक वाले वसूलते थे | आजकल की रेट  मझे भी पता नहीं है कितना बढ़ गया है | लेकिन तब 110  ही था | ये 110 रूपये केवल आपात स्थिति में ही काम में लेने हेतु रखे जाते थे | जो भी मार्केटिंग का काम करता है | उसे अपना व्हीकल नो पार्किंग में ही रखना पड़ता है क्यों कि अगर पार्किंग में पार्क करे तो उसे घुसाने और बाहर निकालने में ही 15-20  मिनट लग जाते है जो कि बैंकिंग हावर में बहुत महत्वपूर्ण होते है | इस लिये नो पार्किंग चार्ज हमेशा ही पास में रखना मुनासिब रहता है |
     अगर उस समय आपके पास रुपये है और आप समय पर पहुच जाते है,तो आप की बाइक क्रेन पर लटकने से बच जायेगी नहीं तो आपकी बाइक ट्रैफिक पुलिस की क्रेन पर झूला झूलते हुयी जायेगी | ट्रैफिक पुलिस मुख्यालय जाने पर ही छुड़ा पायंगे | मुख्यालय तक आप को ऑटो में जाना पड़ेगा | दूसरी बात जिस इन्सपैक्टर ने उसे उठाया है वो ही उसका चालान अपनी चालान बुक में से काटेगा दूसरा नहीं | जब आप वंहा पहुचते है और वो क्रेन दुसरे राऊंड हेतु गयी हुयी हो तो आप को मुख्यालय में दो तीन घंटे इंतज़ार भी करना पड सकता है |अगर आप ने एक दिन से ज्यादा वंहा छोड़ दिया तो तो आपकी बाईक की असेसरीज से लेकर टायर ट्यूब तक गायब हो जाते है | इन सब बातो को एक भूक्त भोगी अच्छी तरह से समझ सकता है |इन सब खतरों को देखते हुए ये 110 रूपये हमेशा पर्स की चोर जेब में ही रखे जाते थे | आप कहाँ रखते है ?


राजस्थान के लोक देवता
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माली गाँव