Followers

Wednesday, April 28, 2010

नरेगा की वजह से महंगाई में वृद्धी

आप शीर्षक  पढ़ कर सोच रहे होंगे की यह कैसे संभव है | यह तो बहुत से गरीब परिवारों का सहारा है | मै काफी दिन से सोच रहा था की अपने कार्य क्षेत्र से सम्बन्ध रखने  वाली बातें भी लिखू |
नरेगा में काम या खैरात
कल जब मै अपनी दूकान के लिए कुछ  सामान खरीदने के लिए झुंझूनू गया तो वहा के व्यापारियों ने जो बताया वो चौंकाने वाला था | पिछले  साल  हाथ का पंखा जो खजूर की पत्तियों से बनाया जाता है उसकी कीमत २ रू. प्रती  नग थी | उसकी कीमत इस साल ५ रुपये प्रती  नग है | कूलर के लिए जो घास काम में लिया जाता है उसकी कीमत १७ रुपये पिछले साल थी | इस साल यह बाजार में ३५-४० रुपये में मिलती है | सूती बांधनी(बंधेज)  प्रिंट की चूंदड़ी(ओढ़नी)  जो पिछले साल ५५ रुपये की मिलती थी| इस साल बाजार से गायब हो गयी है दुकानदार पुराने माल का मुँह मांगा पैसा ले रहे है |
अब इस बढी हुयी दरो का कारण जो उन्होंने बताया वो चौंकाने वाला था | जो मजदूर हाथ का  काम करते थे उन सब ने काम करना बंद कर दिया उनमे से ज्यादातर ने सरकारी सहायता (नरेगा को मै तो सरकारी सहायता ही कहता हूँ ) में जाना शुरू कर दिया है | यह योजना क्या है इसके बारे में ज्यादा बताने की जरूरत नहीं है|  आप अपने आस पास इस के द्वारा किये जा रहे कार्यो व उनके द्वारा हो रहे राजनीतिक लाभ को भी अच्छी तरह समझ रहे होंगे |
अब आप समझ गए ही होंगे की दस्तकारी वाले सभी सामान की कीमत क्यों अचानक बढ़ गयी है | भले ही ए सी की कीमत कम हो गयी हो लेकिन गरीब आदमी को तो हाथ वाले पंखे का ही सहारा है |  उसके लिए तो महंगाई दुगुनी  से भी ज्यादा बढ़ गयी है |  इस बारे में आपके क्या विचार है ज़रा टिप्पणी  में बताइए तो  .....|

Tuesday, April 27, 2010

सबसे सयाना कोआ (एयरटेल व वोडाफोन) क्यों कि वो गन्दगी में चोंच देता है !

पिछले दिनों एयरटेल और वोडा फोन दोनों ने निर्णय किया  और रिटेलर को रिचार्ज  कूपन पर  दिए जाने वाले ३ प्रतिशत कमीशन को आधा प्रतिशत से घटा कर २.५ प्रतिशत  कर दिया |  इसके परिणाम स्वरूप यहाँ के स्थानीय ( जिला- झुंझूनू )  मोबाइल डिस्ट्रीब्यूटर और  रिटेलर ने इन दोनों कम्पनीयों का कोई भी प्रोडेक्ट नहीं बेचने का निर्णय लिया है | और यही निर्णय देश के अन्य हिस्सों के रिचार्ज कूपन रिटेलरो ने भी किया  है | 
इससे पूर्व में मोबाइल  कम्पनीयों ने अपनी काल दरो में काफी कमि की थी जिसके चलते  दुकानदारों के पास उनके रिचार्ज कूपन की बिक्री में गिरावट आ गयी थी और अब ऊपर से यह कमीशन कम करना , रिटेलरो का गुस्सा होना वाजिब ही था | इस बहिष्कार की वजह से कंपनी की सोच में कोई परिवर्तन आयेगा, मै ऐसा नहीं मानता हूँ क्यों की मोबाइल कंपनियां रिटेलर के साथ हमेशा दादागिरी वाला व्यवहार करती है | यह बहिष्कार कितने दिन कायम रहता है यह तो पता नहीं है| लेकिन  आज ६ -७ दिन से लगातार जारी है | इन दोनों कम्पनीयों के मोबाइल धारक  अपने फोन को रिचार्ज करवाने के लिए मारे मारे घूम रहे है | अभी विकल्प के रूप में ज्यादातर ने आइडिया या अन्य कम्पनी की सिम काम में लेनी चालू कर दी है |
आधा प्रतिशत कमीशन के चक्कर में कंपनी ने अपने ग्राहक खो दिए  | कम्पनीयों के लिए यह घाटा शायद आने वाले कई सालो में  भी पूरा कर पाना  असम्भव  है | कमीशन तो सभी मोबाइल कंपनियां कम करेगी लेकिन वो अभी चांदी काट रही है तो उन्होंने  इस समय रूकना मुनासिब समझा है | और बिना मेहनत के उनका बाजार बढ़ रहा है | अब आप बताइए की एयरटेल व वोडाफोन को सयाने कौए की उपाधी देनी चाहिए या नहीं ....|-

Tuesday, April 13, 2010

आइये मोबाईल द्वारा माइक्रो फोटोग्राफी करे

मै आज आपको जो तकनीक बताने जा रहा हूँ वह कोई नयी तकनीक नहीं है फर्क इतना है की यह लेख अंग्रेजी में था जिसे मै आपके लिए हिन्दी में ले कर आया हूँ |
अगर आपके पास कैमरे वाला मोबाइल है तो आप उसके द्वारा सूक्ष्म चीजों की फोटो सामान्य तोर पे नहीं ले सकते है | इसके लिए विशेष लेंस खरीदने की जरूरत होती है | पर आपको ऐसा करने की जरूरत नहीं है | आपको इस कार्य को करने के लिए लेंस आपके घर पर ही उपलब्ध हो जाएगा |
आपके पुराने खराब सीडी प्लेयर, या डीवीडी प्लेयर या सीडी या डीवीडी रोम में से आप लेंस वाली असेसरीज निकाल ले | उसमे से ध्यान पूर्वक जो लेंस दिया गया है उसे निकाल ले | उस प्लास्टिक के बने लेंस को कैमरे के लेंस के सामने सेलो टेप द्वारा चिपका दे | अगर आपको यह लेंस नहीं मिलता है तो विकल्प के रूप में आप टौर्च में लगने वाला लेंस जो शीशे के सामान दिखता है उसे भी काम में ले सकते है |
बस हो गया आपका जुगाड़ तैयार अब आप मक्खी या मच्छर आदि की फोटो ले सकते है | नीचे मेरे चाइनीज़ मोबाइल जिसमें १.३ मेगा पिक्सल का कैमरा है, के द्वारा ली गयी तस्वीर देखिए | .

Saturday, April 10, 2010

रेलवे टिकट का उपयोग पशुओ के लिए

लालू यादव, रेल्वे, चारा और  पशु | आप कहेंगे की इनमे क्या सम्बन्ध है | लालू यादव और चारे का तो मुझे पता नहीं लेकिन रेल्वे टिकट और  पशुओ का सम्बन्ध मुझे पता है | और आज मै आपको यही बताऊंगा |
हमारे यहाँ शेखावाटी में रेल्वे के पुरानी टिकट जो पीले रंग के मोटे कागज़ की बनी  होती थी  ,उसका उपयोग ग्रामीण  इलाको में नीम हकीम  बहुतायत से करते है |
पशुओ में डिलेवरी के बाद उसके गर्भाशय की सफाई के लिए इसका उपयोग पुराने समय से  किया जा रहा  है | वैसे तो आंवल (placenta) जिसे लोकल भाषा में जेर  क़हा जाता है ,प्राकृतिक रूप से बाहर आ जाती है लेकिन कई बार यह बाहर नहीं आती और एक दो दिन बाद पशु के पेट में इन्फेक्शन हो जाने से उसकी मोत तक हो जाती है |
इस समस्या के समाधान के लिए रेलवे टिकट  को  पानी में उबाल कर उस पानी को पशु को पिला दिया जाता है | फल स्वरूप उस पशु का जेर  ( placenta) बहार आ जाता है | क्यों है ना आश्चर्यजनक उपयोग | अगली बार जब आप कही ग्रामीण इलाके के स्टेशन पर जाओ तो उस टिकट को फेकना नहीं |

Wednesday, April 7, 2010

इसे देख कर हँसू या रोऊँ

कल की मुख्य  खबर थी की दंतेवाडा में सी आर पी ऍफ़ के ७६ जावानो को नक्सलियों ने घेर कर मार डाला |  जब मैंने टीवी को चालू किया तो मुझे यह नजारा देखने को मिला | इसे देख कर आप भी अनुमान लगा सकते है की हमारे देश के नेता ,और मीडिया जगत कितना संवेदन शील है इन मुद्दों पर | 
इन लोगो को शहीदों की शहादत पर भी साबुन तेल बेचने से गुरेज नहीं है और ना ही मनोरंजन  करने से |  लेकिन इस प्रकार की हास्यास्पद बातो से अजीब सा मन हो जाता है | आप भी इस चित्र को देखिये |