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Monday, July 20, 2009

दरद दिसावर भाग -3 ( dard disawar part 3 wrote by shri bhagirath singh bhagya

नीचे लिखे हुये दोहे राजस्थानी भाषा मे हैँ नीचे अंत मे कुछ कठिन शब्दों के
हिन्दी अर्थ भी दिये है फिर भी किसी पाठक को
समझ मे नही आये तो वो
टिप्पणी के रूप मे या मेल द्वारा पूछ सकते है ।



कीडी नगरो सहर है मोटर बंगला कार ।
जठै जमारो बेच कै मिनख करै रूजगार ॥

अजब रीत परदेस री एक सांच सौ झूँठ ।
हँस बतळावै सामनै घात करै पर पूठ ॥

खेत खळा अर रूंखडा बै धोरा बै ऊंट ।
बाँ खातर परदेस के तज देवूँ बैकूँट ॥

देह मशीना मै गळै आयो मौसम जेठ ।
बिरथा खोयी जूण म्हे परदेसा मँ बैठ ।।

ऊमस महीना जेठ रो बो पीपळ रो गांव ।
संगळियाँ संग खेलता चोपङ ठंडी छाव ॥

गाता गीत न गा सक्या करता करया न कार ।
जीतै जी ना जी सक्या मरिया पडसी पार ॥


ठीडै ठाकर ठेस रा ठीडै ही ठुकरेस ।
बिना ठौड अर ठाईचै क्यूँ भटकै परदेस ॥

समरथ जाणु लेखणी सांचो जाणू रोग ।
गावैला जद चाव सूँ दरद दिसावर लोग ।।

सूना सा दिन रात है सूनी सूनी सांझ ।
बंस बध्यो है पीर रो खुशिया रै गी बांझ ।।

हिरण्याँ हर ले नीन्द नै किरत्याँ कैदे बात ।
तारा गिणता काटदे नित परदेसी रात ॥

रिमझिम बरसै भादवो झरणा री झणकार ।
परदेसी रै आन्गणै रूत लागी बेकार ॥

साखीणो संसार है कद तक राखा साख ।
साख राखताँ गांव मँ मिटगी खुद री साख ॥

तन री मौज मजूर हा मन री मौज फकीर ।
दोनूँ बाताँ रो कठै परदेसाँ मँ सीर ॥

ऊंचा ऊंचा माळिया ऊची ऊंची छांव ।
महला सूँ चोखो सदा झूंपडियाँ रो गांव ॥

बाट जोंवता जोंवता मन हुग्यो बैसाख ।
छोड प्रीत री आस नै प्रीत रमाली राख ॥

जद सूँ छोड्यो गांव नै हिवडै पडी कुबाण ।
गीत प्रीत री याद मँ आवै नित मौकाण ॥

प्रीत आपरी सायनी होगी म्हारै गैल ।
भारी पडज्या गांव नै जिया कंगलौ छैल॥

प्रीत करी नादान सूँ हुयो घणो नुकसान ।
आप डूबतो पांडियो ले डूब्यो जुजमान ॥

हेत कामयो देश मँ परदेसा मँ दाम ।
किण री पूजा मै करू गूगो बडो क राम ॥

बाबो मरगो काळ मै करग्यो बारा बाट ।
घर मँ टाबर मौकळा कै करजै रो ठाठ ॥

मारै आह गरीब री करदे मटिया मेट ।
पण कंजूसी सेठ रो रति ना सूकै पेट ॥

किण नै देवाँ ओळमाँ किण नै कैँवा बात ।
टाबरियाँ रै पेट पर राम मार दी लात ॥



कठिन राजस्थानी शब्दो के हिन्दी अर्थ :-

जठै - जहां ,
पर पूठ = पीछे से ,
रूंखडा = पेड़ ,
खळा = खलिहान ,
धोरा = टीला ,
बां खातर = उसके लिये,
तज =त्याग ,
बिरथा = व्यर्थ ,
जूण = योनी,
चौपड़= चौसर ( एक प्रकार का खेल ) ,
ठीडै = जगह ,
ठुकरेश = राजपूती हेकडी ,
ठोड अर ठांयचै = जगह ठिकाना ,
हिरण्यां और कीरत्यां = एक प्रकार के तारे जो रात्री में समय देखने के काम आते है ,
पाण्डियो =पंडित ,
जजमान = यजमान



Wednesday, July 15, 2009

बिणजारी ऐ हंस हंस बोल बाता थारी रह ज्यासी

बलोग जगत के सितारे ताऊ राम पुरिया जी ने एक इस प्रकार की पोस्ट लिखी की मुझे भी इस श्रृखंला को आगे बढ़ाने की चाहत पैदा हो गयी | रही सही कसर श्री रतन सिंह जी ने पूरी कर दी उन्होंने भी यह गीत सुनने की इच्छा जाहिर की | मेरे पास यह गीत उपलब्ध तो नही था लेकिन थोड़ा इधर उधर खंगालने पर आख़िर यू ट्यूब पर यह गीत मिल ही गया | तो आप भी इस गीत का आनन्द ले |,और इसके अपलोडर को धन्यवाद दे |



Friday, July 10, 2009

गुजरात की पोटली रामायण

गुजरात का नाम लेते ही आँखों में गांधी जी की तस्वीर और में नरेन्द्र मोदी की शख़्सियत घूमने लगती है| लेकिन यह जो जहरीली शराब काण्ड है, उससे गुजरात की एक अलग तस्वीर उभर कर सामने आयी है | जहा बहुत सालो से ड्राई ज़ोन घोषित कीया हुआ था वहा इतनी मात्रा में शराब पकड़े जाने से समूचा देश इस ख़बर से हैरत में है |

मै पहले कुछ समय गुजरात के सूरत शहर में रह चुका हूँ इस लिए वहा की स्थानीय सामाजिक स्थितियों से अच्छी तरह से वाकिफ हूँ | कहने को वहा शराब बंदी है लेकिन शाम के समय अगर आप मजदूरों की बस्ती में जाकर देखे
तो केवल दो तीन चीजों के अच्छे खासे व्यापारी मिल जायेंगे | जैसे शराब गोस्त आदि सड़क के दोनों किनारों पर २० लीटर की जरीकेन भरी हुई रखते है ,कुछ विक्रेता पाउच में भरी हुई बेचते है | यह सब चलता है प्रशासन की देखरेख में और प्रशासन की नाक के नीचे | पुरानी जगह जहा मै काम करता था वहा आफिस का एक साथी था । उससे थोड़ी घनिष्ठता हो गयी थी । उसने मुझे बताया कि वह भी अपने परिवार के साथ शराब के धन्धे मे काफी दिनों से लगा हुआ है । जब मै एक दिन उसके घर उससे मिलने गया तो वहा का वातावरण जैसा कि मैने ऊपर बताया हुआ है ठीक वैसा हे मैने पाया । उसके घर के बाहर मैने एक पोलिस के डंडे को खड़ा किया हुआ देखा जब उस दोस्त से इसका कारण पूछा तो उसने मुझे बताया कि इसे देख कर पुलिस वाले दूर से ही समझ जाते है कि यहाँ का हफ्ता पुलिस स्टेशन मे पहुच रहा है । इस लिये वो ज्यादा तंग नही करते है नये पुलिस वाले को जब पता नही रहता है तो वह केवल इतना कोड वर्ड मे पूछना है कि " आ डण्डो कैया साहेब नो छे " मतलब कि यह डण्डा किस साहब का है जवाब मे जिस साहब को हफ्ता दिया जाता है उसका नाम बता देने पर वह वहा से चला जाता है । यह है गुजरात की परिपाटी जो शराब माफिया द्वारा चलायी जाती है।

Tuesday, July 7, 2009

दरद दिसावर भाग -2 ( dard disawar part 2)wrote by shri bhagirath singh bhagya

पिछली पोस्ट में श्री रतन सिंह जी ने व अन्य ब्लोगर मित्रो ने आग्रह किया की दरद दिसावर के औ भी कुछ दोहे पढ़वाए मै ने भी सोचा की पूरी किताब को ही डाल दिया जाए | पेश है आपकी नजर दरद दिसावर के दोहे | नीचे लिखे हुये दोहे राजस्थानी भाषा मे हैँ नीचे अंत मे कुछ कठिन शब्दों के हिन्दी अर्थ भी दिये है फिर भी किसी पठक को समझ मे नही आये तो वो टिप्पणी के रूप मे या मेल द्वारा पूछ सकते है ।



जद तू मिलसी बेलिया करस्यूँ मन री बात

बध बध देस्यू ओळमा भर भर रोस्यूँ बाँथ


पैली तारिख लागताँ जागै घर ओ भाग ।

मनियाडर री बाट मँ बाप उडावै काग


फागण राच्यो फोगला रागाँ रची धमाल ।

चाल सपन तूँ गाँव री गळीयाँ मँ ले चाल ॥


घर, गळियारा, सायना, सेजाँ सुख री छाँव् ।

दो रोट्या रै कारणै पेट छुडावै गाँव ॥


चैत चुरावै चित्त नै चित्त आयो चित्तचोर ।

गौर बणाती गौरडी खुद बणगी गणगौर


चपडासी है सा’ब रो बूढो ठेरो बाप ।

बडै घराणै भोगरयो गेल जनम रा पाप॥


बेली तरसै गांव मँ मन मँ तरसै हेत ।

घिर घिर तरसै एकली सेजाँ मँ परणेत


भाँत भाँत री बात है बात बात दुभाँत ।

परदेशाँ रा लोगडा ज्यूँ हाथी रा दांत


गळै मशीनाँ मँ सदा गांवा री सै मौज ।

परदेसाँ मै गांगलो घर रो राजा भोज


बैठ भलाईँ डागळै मत कर कागा कांव ।

चित चैते अर नैण मँ गूमण लागै गांव ।।


बडा बडेरा कैंवता पंडित और पिरोत।

बडै भाग और पुन्न सूँ मिलै गांव री मौत ।|


लोग चौकसी राखता खुद बांका सिरदार ।

बांकडला परदेस मँ बणग्या चौकीदार


मरती बेळ्या आदमी रटै राम र्रो नांव ।

म्हारी सांसा साथ ही चित्त सू जासी गांव


मै परदेशी दरद हूँ तू गांवा री मौज ।

मै हू सूरज जेठ रो तूँ धरती आसोज॥


बेमाता रा आंकङा मेट्या मिटे नै एक ।

गूंगै री ज्यू गांव रा दिन भर सुपना देख


दादोसा पुचकारता दादा करता लाड ।

पीसाँ खातर आपजी दियो दिसावर काढ ।।


मायड रोयी रात भर रह्यो खांसतो बाप ।

जिण घर रो बारणो मै छोड्यो चुपचाप


जद सूँ परदेसी हुयो भूल्यो सगळा काम ।

गांवा रो हंस बोलणौ कीया भूलू राम ॥


गरजै बरसै गांव मै चौमासै रो मेह ।

सेजा बरसै सायनी परदेसी रो नेह ॥



कुण चुपकै सी कान मै कग्यो मन री बात ।

रात हमेशा आवती रात नै आयी रात



आंगण मांड्या मांडणा कंवलै मांड्या गीत ।

मन री मैडी मांडदी मरवण थारी प्रीत ॥


दोरा सोराँ दिन ढल्यो जपताँ थारो नाम ।

च्यार पहर री रात कीयाँ ढळसी राम


सांपा री गत जी उठी पुरवाई मँ याद ।

प्रीत पुराणै दरद रै घांवा पडी मवाद


नैण बिछायाँ मारगाँ मन रा खोल कपाट ।

चढ चौबारै सायनी जोती हुसी बाट


प्रीत करी गैला हुया लाजाँ तोङी पाळ ।

दिन भर चुगिया चिरडा रात्यु काढी गाळ


पाती लिखदे डाकिया लिखदे सात सलाम ।

उपर लिख दे पीव रो नीचै म्हारो नांम


दीप जळास्यु हेत रा दीवाळी रो नाम ।

इण कातिक तो घराँ ! परदेसी राम


जोबण घेर घुमेर है निरखै सारो गांव ।

म्हारै होठाँ आयग्यो परदेसी रो नांव


जीव जळावै डाकियो बांटै घर घर डाक ।

म्हारै घर रै आंगणै कदै देख झांक


मैडी उभी कामणी कामणगारो फाग ।

उडतो सो मन प्रीत रो रोज उडावै काग ॥


बागाँ कोयल गांवती खेता गाता मोर ।

जब अम्बर मँ बादळी घिरता लोराँ लोर


बाबल रै घर खेलती दरद न जाण्यो कोय ।

साजन थारै आंगणै उमर बिताई रोय ॥


बाबल सूंपी गाय ज्यूँ परदेसी रै लार ।

मार एक बर ज्यान सूँ तडपाके मत मार ॥


नणद,जिठाणी,जेठसा दयोराणी अर सास ।

सगलाँ रै रैताँ थका थाँ बिन घणी उदास


सुस्ताले मन पावणा गांव प्रीत री पाळ ।

मिनख पणै रै नांव पर सहर सूगली गाळ


सहर डूंगरी दूर री दीखै घणी सरूप ।

सहर बस्याँ बेरो पडै किण रो कैडो रूप


खाणो पीणो बैठणो घडी नही बिसराम ।

बो जावै परदेस मँ जिण रो रूसै राम ||


कठिन राजस्थानी शब्दो के हिन्दी अर्थ

* बेलिया -साथी, * बध बध - आगे आकर , * ओळमा - उलाहना,

*बाँथ- आलिंगन , *पैली - एक , *सायना -हम उमर , *सेज़ाँ - शयन करने की जगह

*गौरडी - गणगौर जैसी नायिका , * गेल -पिछला , *परणेत - पत्नी ,

*बेली- साथी , *लोगडा - आम आदमी , *घूमन - फिरना ,

*बेलिया- साथिया , *पीसां - पैसे , *सगळा -सभी ,

*कग्यो - कह गया , *मांड्या - लिखना , *कंवळै - दीवार पर ,

*मैडी - ऊंचा स्थान , *दोरा सोरा - जैसे तैसे किसी कार्य को करना ,

*गैला - पागल, *लाजां - लज्जा , *चीरडा - चिथड़े , * रात्यूं - रात भर ,

*फाग - एक प्रकार की ओढ़नी जो फाल्गुन में राजस्थानी औरते पहनती है ,

*सून्पी- सौंप दिया , * र्रैँतां थका , होने के बावजूद,

*सूगली - गंदी , *डूंगरी - पहाडी ,

*कैडो - कैसा , *जिण रो - जिस का