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Monday, April 27, 2009

बिना किसी सोफ्टवेयर के अपनी जन्म कुण्डली बनाये Make your horoscope without any software

आप सबने अपनी जन्म कुण्डली किसी पण्डित जी या ज्योतिषाचार्य से बनवाई होगी । जन्म कुण्डली बनाते समय जन्म के समय के नक्षत्रो,ग्रहो आदि की गणना की जाती है । ज्योतिष विज्ञान मे दो महत्व पूर्ण घटक है एक गणन दूसरा फलन । ये दोनों घटक मिलकर ही इस विज्ञान को सम्पूर्ण बनाते है । इस गणन के कार्य मे मानवीय भूल होना सम्भव है । इस भूल की वजह से कोई भी भविष्य वेत्ता कुण्डली को देख कर सही भविष्यवाणी नही कर सकता है । सही भविष्यवाणी के लिये शुद्ध रूप से बनी कुण्डली जरूरी है ।
पुराने समय मे गणना करने के लिये साधनों का अभाव था इस लिये जैसे तैसे काम चला लेते थे लेकिन आज का समय विज्ञान एंव तकनीक का है । इसलिये आप को परेशान होने की जरूरत नही है। आप अपनी जन्म कुण्डली अपने कम्प्यूटर के द्वारा बिना किसी साफ्टवेयर के, ओन लाईन रह कर इस वेब साइट की मदद से बना सकते है ।
इस मे आपको दो तीन जरूरी जानकारी भरनी है, जैसे जन्म तिथि, जन्म का समय और जन्म का स्थान आदि और बस हो गया आपकी जन्म कुण्डली तैयार और किसी अच्छे ज्योतिषी को दिखा कर मार्ग दर्शन ले सकते है । अगर आपकी ज्योतिष विषय मे ज्यादा रूची हो तो आप इन दो ब्लोगो पर भी भ्रमण कर सकते है पहला है संगीता पुरी जी का गत्यात्मक ज्योतिष और दूसरा है सिद्घार्थ जोशी जी का ज्योतिषदर्शन



अपडेट -
पोस्ट में एक समस्या काफी लोगो को आई थी विशेषकर नेपाली भाईयो को क्यों की उनका शहर उस लिस्ट में नहीं था | जब शहर का नाम भरने का ओप्सन आता है तो वो असमंजस में पड जाते है की क्या करे | इसका समाधान यह है की आप उस शहर का (जन्म स्थान का ) लोंगी ट्यूड ओर लैटी ट्यूड यानी अक्षांश और देशांतर स्थिति भर दे | अक्षांश और देशांतर स्थिति जानने के लिए आप गूगल मैप या अन्य मैप का सहारा ले सकते है |

Saturday, April 18, 2009

ब्लॉगर बंधू इस साइड बार विजेट पर ध्यान दे

शीर्षक पढ़ कर चोंकिये मत क्यो की मै सही कह रहा हूँ | बहुत से ब्लोगर मित्रों ने अपने ब्लॉग पर साइड बार में एक सी बॉक्स नामक विजेट लगा रखा है | वैसे तो यह बहुत ही काम की चीज है क्यों की इसके फायदे बहुत है | इस पर लिखा हुआ मैसेज बहुत से पाठको की निगाह में आ जाता है | लेकिन मै आपको इसके फायदे बता कर आपका समय बरबाद नही करूंगा क्यों की आप सब इसके बारे में जानते है |
मै तो आपको इससे होने वाले नुकसान के बारे में बताने वाला हूँ | अगर आप सीधे और शरीफ आदमी है तो कोई भी असामाजिक तत्व आपकी छवि को दो मिनट में ख़राब कर सकता है | क्या कहा यकीन नही हो रहा है ? तो आप यह स्क्रीन शोट देख लीजिए जिसे मैने आशीष जी के ब्लॉग हिन्दी ब्लॉग टिप्स पर से लिया है इसमें यह जो बदमाश आदमी के नाम से लिखा है वह किसी और ने नही मैने ही लिखा है | अब आप समझ गए होंगे की इस बॉक्स में कोई भी आदमी फर्जी नाम व इ मेल आइ डी से कोई भी मैसेज लिख कर छाप सकता है | और उसका स्क्रीन शोट बना कर आप की इज्जत को आपके रूतबे को मिट्टी में मिला सकता है
कुछ दिन पहले एक ब्लोगर भाई ने इस प्रकार की बदनामी के चलते हिन्दी ब्लोगिंग से किनारा करने की ठान ली लेकिन अगर आप ज्यादा प्रसिद्ध है कोई आप को इस प्रकार बदनाम करे तो आप क्या करेंगे सिवाय अपना माथा पीटने के |

Tuesday, April 14, 2009

एक बातचीत श्री दिनेशराय द्विवेदी जी से

आप ब्लोगिंग क्यों करते है? शायद आप इसका ठीक ठीक जवाब नहीं दे पाए| कुछ
कहेंगे की अपनी भड़ास निकालने के लिए कुछ कहेगे की प्रसिद्धि पाने के लिए ब्लॉग
लिखते है| मेरा मानना है की बहुत से लोग ब्लोगिंग केवल समाज सेवा के लिए ही
ब्लोगिंग करते है| उन लोगो में से एक नाम श्री दिनेशराय द्विवेदी जी का भी है |
द्विवेदी जी हिन्दी ब्लॉग जगत में किसी परिचय के मोहताज नहीं है| यहाँ सभी
पुराने ब्लोग्गर उन्हें अच्छी तरह जानते है| मेरा यह परिचय नामा लिखने का
मक़सद द्विवेदी के बारे में नए लोगो को बताना है, ताकि उनके द्वारा किये जा रहे
समाज हित के कार्यों से अन्य लोग भी प्रेरणा ले सके |

53 वर्षीया द्विवेदी जी सपरिवार कोटा (राज.) में रहते है| पेशे से वकील हैं और
उनका हिन्दी ब्लॉग तीसरा खम्बा और अनवरत बहुत ही प्रसिद्घ है| तो चलिए शुरू
करते है द्विवेदी जी से बातचीत |

मै-द्विवेदी जी आपका मेरी शेखावाटी ब्लोग पर स्वागत है ?
द्विवेदी जी- धन्यवाद आप का ।

मै- द्विवेदी जी हमारे पाठको को संक्षेप अपने परिवार के बारे में बतायें ?
द्विवेदी जी- जरूर, छोटा सा परिवार है, धर्मपत्नी शोभा राय गृहिणी हैं, जिन्हों ने
परिवार को पूरी तरह संभाल रखा है, घर वे ही चलाती हैं। दो बच्चे हैं। एक 26 वर्षीय
पुत्री पूर्वा राय है जो पेशे से जनसंख्या विज्ञानी है। , वर्तमान में एम्स, हरियाणा
सरकार के स्वास्थ्य विभाग और एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था के सम्मिलित प्रयासों से
चल रहे जन स्वास्थ्य के एक प्रकल्प में स्टेटीशियन/डेमोग्राफर के पद पर कार्यरत
है। 23 वर्षीय पुत्र वैभव राय ने एमसीए कर रहा है। अगस्त-सितम्बर, 09 तक वह
भी सोफ्टवेयर डेवलपर के रूप में नियोजन में होगा

मै-आपकी शिक्षा दीक्षा कहाँ पर हुई?
द्विवेदी जी- स्नातक तक मेरी शिक्षा बारां (राज.) मे हई, उस के बाद मैं ने विधि
स्नातक कोटा में हुआ। विश्वविद्यालय राजस्थान विश्वविद्यालय ही रहा।

मै- द्विवेदी जी हमारे पाठको को बारां जिले के पर्यटन-स्थलों के बारे मे कुछ बताये ?
द्विवेदी जी- नरेश जी बारां जिला एक प्राचीन क्षेत्र है। लगभग एक हजार से भी
अधिक वर्षों तक ब्राह्मण राज्य यहाँ रहा। प्राचीन स्थलों की कमी नहीं है। मुख्य
रुप से ब्राह्मण राज्य की राजधानी श्रीनगर थी जो आज रामगढ़ के नाम से जानी
जाती है, जिले का एक मात्र पहाड़ वहीं है जो चालीस किलोमीटर दूर से दिखाई देता है।
पहाड़ी पर माताजी का मंदिर है। पूरी पहाड़ी वृक्षों से भरी पड़ी है। पहाड़ी के ठीक नीचे
मैदान में प्राचीन शिव मंदिर है जिसे भण्ड देवरा कहा जाता है यह मन्दिर राजस्थान
का मिनी खुजराहो है। इस के अतिरिक्त । सीता बाड़ी, कन्या
दह और विलास प्राचीन स्थल हैं और सभी रमणीक स्थानों पर हैं। सीताबाड़ी में ग्रीष्म
ऋतु में बड़ा मेला होता है जिस में सहरिया भील बड़ी संख्या में आते हैं। इस मेले में
सुई से ले कर बैलगाड़ी और अब तो मोटर वाहन भी खरीदे जा सकते हैं। भील अपनी
गृहस्थी का सारा सामान यहीं से खरीदते हैं। इन के अतिरिक्त, शाहबाद, नाहरगढ़ और
शेरगढ़ के प्राचीन किले हैं। परवन नदी के किनारे काँकोणी गणेश का मंदिर है और

यहाँ उत्खनन में मंदिर समूह प्राप्त हुआ है। ये सभी प्राचीन स्थल हैं जिन के बारे में
जानकारी बारां जिले की वेबसाइट पर उपलब्ध है।

मै- आपको हिन्दी ब्लोग जगत से जुड़े हुये कितना समय हो गया ?
द्विवेदी जी- डेढ़ वर्ष हुआ है। अक्तूबर २००७ में तीसरा खंबा ब्लाग बनाया था तब से
लगातार लेखन पठन का कार्य जारी है। लेकिन लेखन का शौक पुराना है। विद्यार्थी
जीवन में कहानियाँ लिखने का जुनून हुआ करता था। पेशे के रूप में पत्रकारिता को
अपनाना चाहता था। इस के लिए एक बार मुम्बई यात्रा भी की। लेकिन बाराँ के खुले
वातावरण में जीने वाले को वहाँ का घुटनपूर्ण आवास और भीड़ पसंद न आई।
मुम्बई में ही तय किया कि वकालत करनी है। छह माह बाद मैं अदालत में था।

मै- आप हिन्दी बलोग जगत मे किस ब्लोगगर से ज्यादा प्रभावित हुये है ?
द्विवेदी जी- पसंद तो बहुत हैं पर कुछ का नाम लेने पर बहुतों की नाराजगी उठानी
पड़ सकती है। हाँ फुरसतिया जी का नाम बेखौफ ले सकता हूँ, वही मुझे ब्लागरी में
खींच लाए हैं।

मै- अब एक अलग तरह का प्रश्न, आप आजकल के समाज मे बढ़ रहे पीढी अन्तर
(जेनेरेशन गेप) के बारे मे क्या कहेगे?
द्विवेदी जी- नरेश जी, जेनेरेशन गेप अपने आप पैदा नही हुआ है। इसे हमने यानी
समाज ने ही पैदा किया है। अगर हम बुजुर्ग नवयुवको के साथ मित्रवत व्यवहार
करें और अपने विचारों पर रूढ़ होने के बजाए नए विचारों को भी समझने और
अपनाने को तैयार हों तो इस तरह के अन्तराल के लिए कोई रिक्ति ही नहीं रहेगी।
लेकिन हम एक उम्र के बाद विचार और व्यवहार में जड़ता ले आते हैं, जिस का
नतीजा जेनरेशन गेप के रूप में सामने आता है। प्रकृति और समाज यहाँ तक
कि जगत का कण कण प्रतिपल परिवर्तन शील है। उस परिवर्तन को स्वीकार
करने को तैयार रहें तो कोई समस्या ही नहीं हो सकती। मेरे परिवार में मेरे और
बेटे बेटी के बीच कोई जनरेशन गैप नहीं है। लगभग सभी विषयों पर हम खुल कर
चर्चा करते हैं। एक दूसरे के साथ अपने अनुभव और विचार शेयर करते हैं। परिवार
के सदस्यों के पास व्यक्तिगत के नाम पर शायद ही कुछ हो। जो कुछ है परिवार का
है। यही अवधारणा और आचरण पूरे समाज में लागू हो सके तो बहुत सी समस्याएं
रहें ही नहीं।

मै- कोटा मे जलवायु के हिसाब से आपका भोजन क्या रहता है?
द्विवेदी जी- सामान्य भोजन। दाल, सब्जियाँ और रोटी। मक्का ,ज्वार की रोटी और
हरी सब्जियां मुझे बहुत पसंद है। यहाँ एक कहावत प्रचलित है कि बिना तीखे खाने
के कब्ज रहती है जिस का नतीजा यह है कि यहाँ की कचौड़ियाँ प्रसिद्ध हैं और लोग
इन्हें सात समुंदर पार तक ले जाते हैं। वैसे यदि पिकनिक या गोठ हो तो पचधारी के
कत्त और बाफले मुख्य भोजन है। उपयुक्त क्या है यह तो कोई चिकित्सक ही ठीक-ठीक
बता सकता है ।

मै- आप किस प्रकार के ब्लोग ज्यादा पढना पसन्द करते है ?
द्विवेदी जी- सभी प्रकार के ब्लोग जिनमें जानकारी और ज्ञान हो, शिक्षा हो, थोड़ा
मनोरंजन हो और समय का अपव्यय न हो।

मै- द्विवेदी जी,हिन्दी ब्लोग जगत को आप मंजिल के कितना करीब मानते है ?
द्विवेदी जी- देखिए नरेश जी, अधिकांश ब्लोगर समाज में सकारात्मक परिवर्तन
लाना चाहते हैं और अपने अपने विचार के अनुसार सक्रिय हैं। यह बात सब को
जोड़ती है। विपरीत विचार भी आपस में जुड़ने में बाधक नहीं हैं। यदि इस काम को
ईमानदारी से करते रहें तो वह रास्ता भी तलाशना असंभव नहीं जिस से सब मंजिल
तक पहुंच सकते हैं। आखिर मंजिल तो एक ही है।

मै- द्विवेदी जी मेरे जैसे नये ब्लोगर के लेखन मे क्या कमियां देखते है ?
द्विवेदी जी- आप लिखते चलें और हर स्तर पर सचाई और ईमानदारी बनाए रखें।
विपरीत विचार रखने वालों के प्रति क्रोध और द्वेष न पालें। गलती करने वाले को
दया का पात्र समझें। और जड़-चेतन जगत से प्रेम करें। फिर कोई काम करें,
सफलता कभी तो आप के चरण चूम ही लेगी।
इसके साथ ही हमने द्विवेदी जी का शुक्रिया अदा करते हुये उनसे विदा ली ।
द्विवेदी जी के हिन्दी ब्लोग- तीसरा खंबा , अनवरत
द्विवेदी जी के अंग्रेजी ब्लोग -LEGALLIB , Life & Law ,Crime & Punishment
फेस बुक प्रोफ़ाईल- लिंक- http://www.facebook.com/home.php?#/profile.php?id=1477055905&ref=nf

Tuesday, April 7, 2009

चोरी का माल मगर मजेदार

जब कुछ लिखने के लिये नही मिलता तो इधर उधर से चोरी कर के लिख देते है तो पेश है, ये चोरी का माल जिसे मैने ऑरकुट से उठाया है ख़ास आपके मनोरंजन के लिए |
(1)
तेरे प्यार में पागल हो गया पीटर ...
वाह! वाह!
तेरे प्यार में पागल हो गया पीटर ...
वाह! वाह!
अब हीरो होन्डा स्पलेन्डर ८० किमी प्रती लीटर ..!!


(2)
बहार आने से पहले फ़िजा आ गयी ....
वाह! वाह!
बहार आने पहले से फ़िजा आ गयी ....
वाह! वाह!
फूल को खिलने से पहले बकरी खा गयी ...!!


(3)
आत्मा छोड गयी शरीर पुराना ...
वाह! वाह!
आत्मा छोड गयी शरीर पुराना ...
वाह! वाह!
दीदी तेरा देवर दीवाना ..!!

(4
य़शोमति मैया से बोले नन्दलाला .....
वाह! वाह!
य़शोमति मैया से बोले नन्दलाला .....
वाह! वाह!
टाटा स्काई लगा डाला तो झींगा लाला...!!


(5)होठो पे "हां" है दिल मे "ना" है ....
वाह! वाह!
होठो पे "हां" है दिल मे "ना" है ....
वाह! वाह!
शशी कपूर कहता है "मेरे पास मां है ....!!"









(6)
आपकी सूरत मेरे दिल में ऐसे बस गयी है ...
वाह! वाह!
आपकी सूरत मेरे दिल में ऐसे बस गयी है ...
वाह! वाह!
जैसे छोटे से दरवाजे मे भैंस फंस गयी है .. !!

Thursday, April 2, 2009

एक मुलाकात- आशीष जी के साथ

हिन्दी ब्लॉग जगत में कुछ ऐसे ब्लॉगर भी हैं जिन्हें हम इस हिन्दी जगत की वर्चुअल दुनिया के आधार स्तम्भ कह सकते हैं | जिस प्रकार एक मकान के लिए सीमेंट, ईंट, पत्थर आदि की जरूरत आधारभूत जरूरत कही जा सकती है, वैसे ही हिन्दी में ब्लॉगिंग के लिए तकनीकी ज्ञान भी आधार भूत जरूरत है | इसी तकनीकी ज्ञान को प्राप्त करने के लिए सभी ब्लॉगर इच्छुक रहते हैं | आज मैं आपका परिचय ऐसे ही एक तकनीकी ब्लॉगर से करवाऊंगा जिनके ब्लॉग को आप अगर हिन्दी ब्लॉगिंग का आधारभूत स्तम्भ कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी |

आपको अनुमान शायद पहले ही लग गया होगा। जी हां, आपने ठीक सोचा | मैं आशीष जी के बारे में ही बात कर रहा हूँ। उनके ब्लॉग 'हिन्दी ब्लॉग टिप्स' से तो आप वाक़िफ़ ही हैं, लेकिन आप उनके बारे में शायद कम ही जानते है । इसलिये हम आपके लिये लाये है उनसे की गयी एक संक्षिप्त बातचीत का ब्योरा --

आशीष जी आपका मेरी शेखावाटी ब्लॉग पर स्वागत है ?
जवाब - जी धन्यवाद आप का ।

सवाल- आशीष जी, थोड़ा हमारे पाठकों को अपने बारे में बतायें ?
जवाब -मेरा पूरा नाम आशीष खण्डेलवाल है | रहने वाला जयपुर का हूं । हालांकि शहरी माहौल में ही जन्मा और पला-बढ़ा हूं, लेकिन प्राथमिक शिक्षा गाँव में पूरी करने के कारण मुझे ग्रामीण परिवेश का भी थोड़ा अनुभव है । वैसे मुख्य स्कूल जो रहे वो थे राजकीय दरबार माध्यमिक विद्यालय, जयपुर एवं सुबोध स्कूल जयपुर। यहां पर मेरी काफी शरारत भरी यादें हैं |

सवाल- आशीष जी कुछ ऐसी शख़्सियत जिनसे आप का स्कूली जीवन प्रभावित हुआ है ?
जवाब- मैं खुशनसीब हूं कि मुझे मेरे गुरुओं का आशीर्वाद हर वक्त मिला। उन्हीं के मार्गदर्शन की बदौलत आज मैं खुद को सुखी इंसान मानता हूं। विशेष कर महावीर प्रसाद जी द्विवेदी और राकेश पाण्डेय जी का मैं हमेशा शुक्रगुजार रहूंगा।

सवाल आशीष जी-कुछ अपने बचपन के बारे में बतायें ?
जवाब- मैं जयपुर में ही जन्मा और पला-बढ़ा हूं। माता जी शिक्षिका हैं इसलिए प्रारंभिक शिक्षा (पाँचवीं तक) भोजपुरा कलां नामक गांव में हुई। उसके बाद मैं गांव के दर्शन को तरस गया हूं।

सवाल आशीष जी,आप इस रोग (ब्लॉगिंग) से कब और कैसे जुड़े?
जवाब-सन 2004 में मैं हिन्दी चिट्ठों में रूचि लेने लग गया था पत्रकारिता से जुड़ा होने के कारण लिखने-पढ़ने का शौक था । अख़बारों के लिए काफी आलेलेख लिखता था, लेकिन वहां एक-तरफा संवाद होने के कारण पाठकों की प्रतिक्रिया का पता ही नहीं चल पाता था। ब्लॉग जगत में हाथोहाथ प्रतिक्रिया की सुविधा की वजह से 2005 से मैंने ब्लॉग पर भी लिखना चालू कर दिया |

सवाल-हमारे पाठकों को आपके वेब पेज हिन्दी स्टोर के बारे मे कुछ बताए?
जवाब- जी ज़रुर ,ऐसा है कि हिन्दी में लिखने के लिये काफी टूल्स(औजारों) की जरूरत पड़ती है । इन सब के लिये आपको अलग-अलग साइट पर जाना पड़ता है इसलिये इस वेब पेज (हिन्दी स्टोर) को बनाने का विचार मेरे दिमाग मे आया । आपको यहां सब चीजें एक ही जगह उपलब्ध हो जाती है, जैसे यूनिकोड फ़ॉन्ट कनवर्टर, हिन्दी लिपि, हिन्दी के समाचार, चुटकुले, हिन्दी चिट्ठों की ताज़ा पोस्ट आदि।

सवाल - आप किस प्रकार के लेख पढ़ना ज्यादा पसंद करते है ?
जवाब - तकनीकी लेखन ज्यादा करता हूं, इसलिए वह मेरी पहली पसंद मानी जा सकती है। इसके अलावा हिन्दी साहित्य का विद्यार्थी होने के नाते कहानी, कविता आदि से प्यार करता हूं। हंसमुख स्वभाव का होने के कारण मुझे व्यंग्य और चुटकुले भी पसंद आते हैं। राजनीतिक लेखन भी किया है, लेकिन उसमें व्यक्तिगत रूप से ज्यादा दिलचस्पी नहीं रखता।

सवाल - आपको किस तरह का खाना पसंद है ?
जवाब- मैं अच्छा खाना वह मानता हूं, जिसकी महक सीधे दिल तक उतर जाए । राजस्थानी, पंजाबी, साउथ इंडियन, चाइनीज़ या कॉन्टीनेंटल सब कुछ पसंद करता हूं, लेकिन यह स्पष्ट कर देना चाहूँगा कि मैं शुद्ध शाकाहारी हूं।

सवाल - आशीष जी आप महिला ब्लॉगरों की हिन्दी ब्लॉग जगत में क्या स्थिति देखते है |
जवाब – देखिए, हिन्दी में महिला ब्लॉगरो का काफी योगदान है | इस क्षेत्र में बहुत सी महिलाओं ने उल्लेखनीय कार्य किया है | इस बारे में मैने एक पोस्ट भी लिखी है जिसमें राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित मेरे एक लेख का हवाला है |

सवाल- आशीष जी हिन्दी ब्लॉग जगत की सबसे अच्छी बात आपको क्या लगती है ?
जवाब-यहां सभी लोगों के बीच गहरी आत्मीयता है। सभी लोग एक परिवार की तरह हैं। ब्लॉग संसार की वजह से ही इंटरनेट पर हिन्दी की उपस्थिति दर्ज हुई है। अब हिन्दी साहित्य भी तेजी से इंटरनेट पर पहुंच रहा है।

सवाल - आशीष जी अब एक आखिरी सवाल आपको मेरी शेखावाटी को पढ़ कर क्या कमी नजर आती है?
जवाब- यह बहुत मुश्किल सवाल है। मुझे बस आपके ब्लॉग से बस यही शिकायत है कि यह रोज़ाना अपडेट नहीं होता ?
अच्छा आशीष जी मैं मेरी शेखावाटी के समस्त पाठकों की ओर से आपके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हू । आपने इस ब्लॉग के लिये अपना कीमती समय निकाला जिसके लिये आपका धन्यवाद ।

जवाब - जी शुक्रिया ।

ये थी हमारी आशीष जी से छोटी सी बातचीत अगली बार फ़िर एक हस्ती से परिचय होगा तब तक के लिये राम राम ।
आशीष जी के ब्लॉग-हिन्दी ब्लॉग टिप्स,
हिन्दी स्टोर
संपर्क -ट्विटर पर , ऑरकुट पर ,फेस बुक पर
इ मेल - com.ashish@gmail.com