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Wednesday, October 1, 2008

भूत प्रेत और अलोकिक शक्तियां

कुछ लोग नास्तीकतावादी होते है। वो भूत प्रेत,देवी-देवता टोने टोटके को महज अन्धविश्वास मानते है। उनके पास इसके लिये अपने ही तर्क होते है। इसके विपरीत कुछ लोग इसको इतना बढावा देते है की विज्ञान टेक्नोलोजीकी उपलब्धीयां बेमानी लगती है
इस पोस्ट को लिखने की वजह आपको इन चीजो के बारे में जानकारी देना है। भूत प्रेतों के बहुत से रूप होते है जैसे जिन्न,शहीद,कच्चा कळवा(छोटे बच्चे की आत्मा),चुडै.,साधु महात्माकी दुष्ट आत्मा इत्यादि मनुष्य के मरने के बाद में उसकी आत्मा को मोक्ष मिल जाता है तो वह नया शरीर धारणकर लेती है जिनको मोक्ष प्राप्ती नहीं होती वे संसार मे विचरण करती है। विचरण करने वाली आत्मायें दो प्रकार की होती है,अच्छी बूरी जिनके कार्य कलाप परेशान करने वाले होते है वो बूरी आत्मायें होती है, और जिनकाकार्य सहायता करना,घर परिवार में सुख शान्ती लाना होता है वे अच्छी आत्मा यानी देवात्मा होती है। शेखावाटी में लोग इन्हे पितर(पित्रस्य) कहते है। पहले हम बुरी आत्माओ के बारे मे बात करते है। इनका विचरण स्थल ५०-१०० कि०मी० से कम ही होता है। और ये सुनशान मकान जो बस्ती के नजदीक होते है उनमें रहते हैं। वह मन्दिरभी इनकी शरणस्थली होती है जिनमें रोजाना पूजा नहीं होती या जिनमें मूर्ती स्थापना बिना पूजा पाठ या गलतमन्त्रोच्चार के साथ हुई हो इन आत्माओं का आवागमन प्राय: किसी माध्यम के द्वारा होता है मीठा भोजन इनकी कमजोरी होती है आप यह सोच रहे होगें कि किस घर या मन्दिर पर बुरी आत्मा का साया है यह कैसेपता चलेगा इसके लिये हमे इनकी कार्यप्रणाली जाननी होगी वैसे आत्माओं का कोइ भौतीक अस्तीत्व नहीं होताहै यह हमारे विचार,मानसिक स्थिती,आर्थिक हालत स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। यदि आपकी आर्थिक हालतकमजोर हो रही है शरीर को कोई एसा रोग लग गया है जिसके लक्ष्ण डोक्टर को समझ में नहीं रहे है,या फ़िर आपकी आय तीव्र गती से बढने लग गई हो साथ ही परिवार की सुख शान्ती बिना किसी वजह के नष्ट हो रही हो तो यह पक्का मानीये की आपके घर में या जिस मन्दिर में जहां आप जाते है वहां बूरी आत्मा कासाया है आम आदमी के लिये यह जानना कि कहां किस पर बूरी आत्मा का साया है,थोडा कठीन जरूर हैमगर असभंव नहीं है चार पैर वाले जानवर यथा कुत्ता,बिल्ली,गाय,बकरी,भैंस आदि इनके प्रती संवेदनशील पायेगये है। इनको बूरी आत्माओं के आवागमन का आभाष मनुष्यों से पहले ही हो जाता है। देवात्मा पित्रस्य हमारेपरिवार की आत्मायें होती है वे सदैव परिवार का भला करती है, हमें उनकी शक्ती को बढाने का प्रयास करना चाहिये ताकी वे बूरी आत्माओं पर विजय पा सके
इसके लिये भजन,कीर्तन,जागरण,जप,हवन,प्रसाद इत्यादि करने चाहिये । प्रसाद का वितरण ज्यादा से ज्यादा लोगों मे होना चाहिये व जागरण कीर्तन, भजन,जप आदि बगैर किसी बाह्य आडम्बर व बिना किसी दिखावे के सादे तरीके से होना चाहिये,तभी उसका लाभ उन देवात्माओं को मिलेगा । ये सब बातें मैं अपने निजी विचार व अनुभव के आधार पर लिखी है जो कि मुझे मेरे वैचरिक गुरु श्री शायर सिंह शेखावत ग्राम कालीपहाडी जिला झुंझुनूं(राज) से मिले है । मेरे गुरुजी बहुतसी अध्यात्मिक शक्तियों के ज्ञाता व पहूचें हुये सन्त है।उन्होनें १९८५ से अन्न का त्याग किया हुआ है केवल दो समय चाय या दूध लेते है। वे राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम में बुकिंग कलर्क के पद पर झुन्झुनूं कार्य करते थे । पिछ्ले साल ही उन्होनेंसेवाकाल पूरा किया है । पूजा पाठ के साथ साथ ही उन्होनें अपने ग्रहस्थ जीवन का भी निर्वाह किया है। वर्तमानमें कालीपहाडी ग्राम के श्री करणी माता मन्दिर में पूजा पाठ करते है। मन्दिर धरातल से काफ़ी ऊंचाई पर एक टीलेपर बना हुआ है । जो एक बार उनसे मिल लेता है उनका मुरीद हो जाता है । देखने में साधारण नागरिक,लेकिनउनकी शक्तियों के बारे में तो उनके नजदीकी लोग ही जानते है।